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भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सअप पर निगरानी बना राजनीतिक मुद्दा

Update: 2019-10-31 15:59 GMT

नई दिल्ली। व्हाट्सअप पर इजरायली स्पाइवेयर द्वारा भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गोपनीय जानकारी जुटाने से जुड़े मामले ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने इसके लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं केन्द्रीय मंत्री ने कांग्रेस को संप्रग सरकार के दौरान वित्त मंत्रालय में हुई जासूसी की याद दिलाई है।

केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश करने वालों को संप्रग शासन के दौरान तत्कालीन प्रख्यात वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के कार्यालय में हुई घटना के बारे में याद दिलाना चाहते हैं। साथ ही तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की जासूसी भी ऐसा ही एक मामला था। एक परिवार की व्यक्तिगत सनक और सोच के लिए अत्यधिक प्रतिष्ठित व्यक्तियों की गोपनीयता के उल्लंघन के यह उदाहरण हैं।

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार जासूसी करती हुई पकड़ी गई है। इस पर ध्यान जाता है लेकिन आश्चर्य नहीं होता है। भाजपा सरकार ने गोपनीयता के अधिकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। करोड़ों रुपये का निगरानी तंत्र बनाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रुकवाया। सुप्रीम कोर्ट को तुरंत इसका संज्ञान लेना चाहिए और भाजपा सरकार को नोटिस देना चाहिए।

वहीं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारतीय नागरिकों की गोपनीयता के हनन पर चिंता जाहिर की है और इस संबंध में फेसबुक की कंपनी से स्पष्ट स्थिति प्रस्तुत करने को कहा है। इसके अलावा कंपनी से पूछा गया है कि भारतीय नागरिकों की गोपनीयता को सुरक्षित करने के लिए कौन से सेवगार्ड अपना रही है।

केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर के माध्यम से कहा कि भारत सरकार अपने नागरिकों की निजता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध है। सरकारी एजेंसियों ने इंटरसेप्शन के लिए एक व्यवस्थित प्रोटोकॉल तैयार किया है, जिसमें अनुमति और निगरानी रखने को लेकर भी रैंक तय किए गए हैं। यह भी स्पष्ट है केवल राष्ट्रीय हितों के लिए ऐसा किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार भारत में कम से कम 20 से ऊपर शिक्षाविदों, वकीलों, दलित कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से व्हाट्सअप ने संपर्क कर उन्हें अलर्ट किया है। उन्हें बताया गया है कि मई 2019 तक दो सप्ताह की अवधि के लिए उनके फोन निगरानी में थे। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि किसके इशारे पर दुनिया भर के पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फोन को निशाना बनाया गया। व्हाट्सअप ने यह भी कहा कि वह इसके लिए जिम्मेदार एक इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा करने जा रहा है। 

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