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एनआरसी मामला : गृह युद्ध छिड़ने और देश के विभाजित होने का खतरा - ममता बनर्जी

Update: 2018-07-31 15:15 GMT

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल ने मंगलवार को यहां कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से 40 लाख लोगों का नाम हटाया जाना एक चिंताजनक घटनाक्रम है, जिससे देश में गृह युद्ध छिड़ने और देश के विभाजित होने का खतरा है।

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक ईसाई संस्था की ओर से 'पड़ोसी से प्रेम करो' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार देश में फूट डालने की राजनीति कर रही है, जिससे देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय लोगों और बाहरी लोगों के बीच वैमनस्य पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कुछ वर्षों के लिए सत्ता में आई है और उसे इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह देश को खंडित कर दे।

ईसाई धर्म गुरुओं की मौजूदगी में बनर्जी ने अपना राजनीतिक एजेंडा सामने रखते हुए कहा कि 2019 में मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना देश के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।

तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अखंड और संयुक्त भारत की पक्षधर हैं, जिसमें सभी लोग एक दूसरे के साथ प्रेम और सौहार्द के साथ रहें। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के जरिए जो खतरनाक खेल खेला जा रहा है वह अन्य राज्यों में भी खेला जा सकता है।

उन्होंने कहा, ''यदि बंगाल में उत्तर प्रदेश के लोगों, उत्तर प्रदेश में बंगालियों, दक्षिण भारत में उत्तर भारतीयों और उत्तर भारत में दक्षिण भारत के लोगों को बाहर निकालने की मुहिम शुरु हुई तो इसका अंत कहां होगा, तो देश का भविष्य क्या होगा।''

ममता बनर्जी ने कहा कि एनआरसी के बाद असम के हालात बिगड़ने लगे हैं। राज्य के विभिन्न इलाकों में निषेधाज्ञा जारी की गई है। असम के कई क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। सभी जिम्मेदार और शांतिप्रिय लोगों की जिम्मेदारी है कि वह हालात को संभालें।

ममता ने आजादी के बाद हुए 'पंडित नेहरू-लियाकत अली समझौते' और 'शेख मुजीब-इंदिरा गांधी समझौते' का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान विभाजन और बांग्लादेश के निर्माण के पहले भारतीय उपमहाद्वीप एक देश था। ऐसे में 1971 से पहले देश में आने वाला कोई भी बांग्लादेशी भारत का ही नागरिक है। उन्होंने कहा कि असम में 40 लाख लोगों को नागरिकता और मताधिकार से वंचित किया जा रहा है। वह पश्चिम बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होने देंगी।

उन्होंने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) अंतिम मसौदे में पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम नहीं है। इसी तरह एक विधायक और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के नाम भी नदारद हैं।

ममता ने कहा कि असम में चल रहे एनआरसी कार्यक्रम से केवल बंगाली व अल्पसंख्यक प्रभावित नहीं हैं बल्कि हिंदू और बिहारी भी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सत्ताधीन सरकार को वोट किया है, उन्हीं को आज सरकार देश में शरणार्थी बता रही हैं।

उल्लेखनीय है कि सोमवार को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का अंतिम प्रारूप जारी किया गया। इसमें असम में रह रहे उन 40 लाख़ लोगों का नाम नहीं है जो स्वयं को देश का नागरिक साबित नहीं कर पाए। 

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