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झीरमघाटी हत्याकांड पर एसआईटी जांच समय की बर्बादी तो नहीं ?

Update: 2019-01-05 07:34 GMT

नई दिल्ली/विशेष संवाददाता। बस्तर के झीरमघाटी हत्याकांड मामले में एसआईटी जांच बिठाकर कांग्रेस फिर से मामले को गरमाकर आग में घी डालने का काम कर रही है। आगामी कुछ माह में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस प्रदेशभर में झीरम घाटी हत्याकांड की लहर फैलाकर मतदाताओं से सहानुभूति पाने की राजनीति करके भाजपा को बैकफुट पर लाना चाहती है। पांच साल पहले कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की सुरक्षा कर्मियों सहित 29 लोगों की निर्मम हत्या पर लगातार राजनीति होती रही है। कांग्रेस लगातार इस नरसंहार के लिए भाजपा सरकार और सुरक्षा व्यवस्था यानी स्थानीय पुलिस को कटघरे मे खड़ा करती रही है। कांग्रेस लम्बे अरसे से इस घटना को षड्यंत्र करार देती आ रही है। कांग्रेस इस कथित षड्यंत्र की सीबीआई व्दारा जांच की मांग करती रही है। हालांकि इस घटना की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी (एनआईए) द्वारा की जा चुकी है। इसके अलावा एक न्यायिक जांच आयोग भी नौ बिन्दुओं पर लगातार सुनवाई कर रहा है। बहरहाल, कांग्रेस सरकार के गठन होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम मामले की पुन: जांच की घोषणा की थी। उसी के तहत बस्तर आईजी के नेतृत्व में दस सदस्यीय एसआईटी का गठन कर जांच प्रारम्भ किए जाने के संकेत मिल रहे हैं। इस पूरे मामले की समूची फाइल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी के पास है। इन दस्तावेजों और फॉरेंसिक रिपोर्ट को एनआईए इस एसआईटी को देगी या नहीं और देगी तो कब तक देगी।

यहां सवाल यह नहीं है बल्कि सवाल यह है कि कांग्रेस जिस स्थानीय पुलिस को इस घटना का दोषी ठहराती रही है और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करती रही है तो फिर उसी स्थानीय पुलिस की एसआईटी से जांच क्यों कराना चाहती है? आज जब राज्य मे कांग्रेस की सरकार है तो विधान सभा मे झीरम मामले की जांच सीबीआई से कराने का प्रस्ताव पास कर मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं कराती? एक और सवाल यह उठता है कि झीरम नरसंहार के समय केन्द्र मे कांग्रेसनीत संप्रग की सरकार थी और सीबीआई भी संप्रग के अंतर्गत ही थी तब कांग्रेस इस मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं करवा पाई? जब एनआईए इस घटना की लम्बी और सूक्ष्म जांच के बाद भी किसी साजिश या षड्यंत्र का पता नहीं लगा पाई तो स्थानीय पुलिस की एसआईटी अब सवा पांच साल बाद इस घटना में कौन से नए साक्ष्य जुटाकर तीर मार लेगी? तब क्या भूपेश बघेल नाहक ही जनता का ध्यान बंटाकर उसे भ्रमित करने का प्रयास कर रही है?

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