नई दिल्ली। गूगल ने प्रसिद्ध कवयित्री, उपन्यासकार और निबंधकार पंजाब अमृता प्रीतम की सौवीं जयंती के मौके पर खास डूडल अपने होमपेज पर खास अंदाज में बनाया है। जिसमें एक लड़की सूट सलवार पहनकर और सिर पर दुपट्टा लिए कुछ लिख रही है। अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त, 1919 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला में हुआ था।
साल 1980-81 में उन्हें कागज और कैनवास कविता संकलन के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। अमृता ने आठ सौ से ज्यादा किताबें लिखी हैं। इसमें उनकी चर्चित आत्मकथा रसीदी टिकट भी शामिल है।
अमृता का बचपन लाहौर में बीता और छोटी उम्र में ही उन्होंने लिखना शुरू किया। उन्हें पंजाबी कविता 'अज्ज आखां वारिस शाह नूं' से काफी शोहरत मिली। इस कविता में भारत विभाजन के समय पंजाब प्रांत में हुई भयानक घटनाओं का जिक्र है।
31 अक्टूबर 2005 का वो दिन था जब अमृता की कलम हमेशा के लिए शांत हो गई। लंबी बीमारी के चलते 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. वह साउथ दिल्ली के हौज खास इलाके में रहती थीं।
आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है, पर कहते हैं एक लेखक आपको कभी छोड़कर नहीं जाता, उनकी लिखी हुई कविताएं, कहानियां नज़्में और संस्मरण सदैव ही जिंदा रहते हैं।
उनकी खास कविता में से एक-
एक घटना-
तेरी यादें
बहुत दिन बीते जलावतन हुई
जीती कि मरीं-कुछ पता नहीं।
सिर्फ एक बार-एक घटना घटी
ख्यालों की रात बड़ी गहरी थी
और इतनी स्तब्ध थी
कि पत्ता भी हिले
तो बरसों के कान चौंकते।