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ब्रिटिश सरकार ने सौ वर्ष पहले बनाई थी कोलकाता में नदी के नीचे मेट्रो चलाने की योजना, नक्शा मिला

Update: 2018-08-12 06:43 GMT

कोलकाता। औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने कलकत्ता (अब कोलकाता) को ना केवल अपनी राजधानी बनाई थी बल्कि इस शहर को अत्याधुनिक और विकसित करने की सारी योजनाएं भी तैयार की थीं। कोलकाता में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के रूप में भारत की पहली ऐसी मेट्रो बनकर तैयार हो रही है जो नदी के नीचे से गुजरती है। चंद महीनों के अंदर इसका काम पूरा भी हो जाएगा। इसी बीच मेट्रो के इंजीनियरों ने ब्रिटिश काल में कोलकाता का एक ऐसा नक्शा बरामद किया है जिसमें इस बात का उल्लेख है कि आज से 100 साल पहले ही ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता में नदी के नीचे से मेट्रो रेल बनाने की योजना बनाई थी। कोलकाता नगर निगम की गैलरी से यह 100 साल पुराना नक्शा बरामद हुआ है। इसका विश्लेषण मेट्रो के इंजीनियर कर रहे हैं। इस बारे में रविवार को एक अधिकारी ने जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सौ साल बाद कोलकाता की जनसंख्या अधिक से अधिक बढ़ने की संभावना को ब्रिटिश शासन ने समझ लिया था एवं इसके निदान के लिए काफी पहले यहां नदी के नीचे से मेट्रो रेल बनाने की योजना बनाई थी। इसका नाम दिया गया था "ईस्ट वेस्ट ट्यूब रेल"।

दरअसल जापान व कुछ अन्य देशों में ऐसी रेल चलती है जो समुद्र के अंदर एक द्वीप से दूसरे तक जाती है। ऐसे में समुद्र में एक द्वीप से दूसरे तक लोहा या किसी अन्य मजबूत धातु का बड़ा ट्यूब पहले इस पार से उस पार बिछाया जाता है एवं उसके बीच में ट्रेन चलाई जाती है जिससे पानी के बीच भी यातायात आसानी से संभव हो पाती है। इसी तकनीक के तहत ब्रिटिश सरकार ने 1920 के दौर में कोलकाता में ट्यूबवेल का प्रस्ताव दिया था। तीन मई 1947 को "द कलकत्ता म्यूनिसिपल गैजेट" में इससे संबंधित रिपोर्ट छपी थी जिसमें बताया गया था कि 1920 के दौर में ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता में ट्यूब रेल चलाने की योजना बनाई थी। इसके कारण के रूप में बताया गया था कि ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर कोलकाता था। इसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक थी। लंदन, न्यूयॉर्क और लिवरपूल की तरह यह शहर भी नदी के किनारे स्थित था जो इसकी सुंदरता को बहुत अधिक बढ़ा रहा था। गंगा के दोनों ओर कोलकाता और हावड़ा शहर बसे थे। जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही थी कि आने वाले समय में परिवहन व्यवस्था चरमराने की आशंका ब्रिटिश सरकार को पहले ही हो गई थी। इसीलिए तत्कालीन सरकार ने कमेटी बनाई थी जो इसका निदान कर सके। इस कमेटी का काम जनसंख्या सर्वेक्षण कर परिवहन संबंधी समस्या का निदान करने के बारे में रिसर्च करना था। इस कमेटी ने कोलकाता में नदी के नीचे से ट्यूब रेल बनाने की पेशकश की थी।

गजट में बताया गया है कि इस कमेटी ने 1920 फरवरी में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के पास अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कोलकाता और शिल्पांचाल के विकास और जुड़ाव के लिए विद्युत चालित रेल पथ बढ़ाने के साथ-साथ कलकत्ता के केंद्र में एक रेलवे स्टेशन बनाने की पेशकश की थी ताकि राजधानी के आसपास के लोग सरलतापूर्वक कोलकाता पहुंच सकें। इसी रिपोर्ट में बताया गया था कि सियालदह से लेकर डलहौसी के रास्ते गंगा नदी के नीचे से लिलुया तक ईस्ट वेस्ट ट्यूब रेल बनाई जाए ताकि कोलकाता की सड़कों पर यातायात के लिए जगह भी बचाया जा सके और जल्दी से जल्दी परिवहन भी संभव हो सके।

ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनाया गया नक्शा फिलहाल ईस्ट-वेस्ट मेट्रो रेल प्रबंधन के हाथ लगा है जिस पर रिसर्च चल रहा है। इस बारे में मेट्रो रेल के एक इंजीनियर ने बताया कि ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया यह नक्शा शानदार है। काफी सोच समझकर और विकसित तरीके से इसे पेश किया गया है। हालांकि तत्कालीन वैज्ञानिक क्षमता के अनुसार यह नक्शा अपने आप में अनुपम है। अब तो ईस्ट वेस्ट मेट्रो का काम पूरा होने को है एवं काफी सावधानी से इंजीनियरिंग के मजबूत पहलुओं का इस्तेमाल कर इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया है लेकिन पुराने नक्शे के हाथ में आने के बाद राजधानी कोलकाता के महत्व एवं इसके विकास के प्रति ब्रिटिश सरकार की प्रतिबद्धता एक बार फिर सामने आई है। 

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