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राम मंदिर बनने से पूर्व मृत्यु होने पर शव सुरक्षित रखा जाए, निर्माण के बाद ही हो संस्कार: परमहंस दास

अयोध्या मामले की सुनवाई टलने पर संत समाज आक्रोशित, मुस्लिम पक्षकार को उम्मीद

Update: 2019-01-04 14:35 GMT
मंदिर बनाने अयोध्या में बनकर रखें पत्थर

अयोध्या। राम जन्मभूमि मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी तक सुनवाई टलने को लेकर इस विवाद के हिन्दू-मुस्लिम पक्षकारों ने अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दी। इस घटनाक्रम पर अयोध्या के संतों-महंतों ने नाराजगी जताई है वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्षकारों ने आशा के साथ धैर्य रखने की बात कही है।

अयोध्या में राम मंदिर की मांग को लेकर आमरण-अनशन कर सुर्खियों में आए तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास ने 'हिन्दुस्थान समाचार' से बातचीत में शुक्रवार को कहा कि हमें विश्वास है कि जल्द ही अब इस मुकदमे में फैसला भी आएगा। अगर इस मुकदमे की सुनवाई पर आगे टालमटोल किया गया तो यह अनुचित होगा क्योंकि देर से मिलने वाला न्याय भी अन्याय की तरह ही होता है। दास ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को एक पत्र भेजा है। इसमें उन्‍होंने लिखा है कि वह राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए प्रयागराज के मुक्ति मार्ग सेक्टर नंबर 12 में तपस्वी जी के खालसा में तपस्या करेंगे। उन्होंने यह घोषणा की है कि अगर मंदिर बनने से पूर्व उनकी मृत्यु हो जाती है तो राम मंदिर बनने तक उनके शव को भाजपा सरकार सुरक्षित रखे। जब मंदिर बने तभी उनका अंतिम संस्कार किया जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 5 मिनट मिलने का समय मांगा है।

बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने कोर्ट की कार्यवाही पर कहा कि न्यायालय पर किसी का वश नहीं, वह स्वतंत्र है। कोर्ट की कार्यवाही जैसे चल रही है, उसे चलने दिया जाना चाहिए। उसमें दखलअंदाजी उचित नहीं है। जहां तक इस मुकदमे में मुस्लिम पक्षकारों की बात है तो हमारे कहने से न्यायालय कुछ भी नहीं करने वाला है। हम तो पहले से ही लगातार कहते हैं कि न्यायालय का जो फैसला आएगा उसे हम मानेंगे। हमारे कहने पर न्यायालय इस मुकदमे में कोई फैसला नहीं सुनाएगा। सभी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इस मामले को लेकर चल रही राजनीति बंद की जानी चाहिए।

श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था का अपमान कर रही है। हिन्दुओं का अपमान राष्ट्र का अपमान है। देश का हिंदू समाज अब राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन करेगा जिसका जिम्मेदार सुप्रीम कोर्ट होगा। 1992 में जो कुछ हुआ उसके लिए भी कोर्ट ही जिम्मेदार थी। एक बार फिर से न्यायालय बार-बार हिंदुओं की भावनाओं का अनादर कर रही है जिससे देशभर का हिंदू समाज आक्रोशित है। अब एक बहुत बड़े आंदोलन की भूमिका बनने जा रही है। संत धर्माचार्य प्रयागराज कुंभ में आयोजित धर्म संसद में ठोस निर्णय लेंगे।

श्री राम जन्म भूमि परिसर में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अब और कितनी तारीख पड़ेगी, यह पता नहीं। कोर्ट भी टालमटोल की राजनीति कर रहा है। आशा अब धीरे-धीरे निराशा में बदल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी से कुछ आशा थी लेकिन, वह भी इस मामले से मुकर चुके हैं। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अब सरकार और आपसी समझौता सभी से निराशा हो चुकी है।(हि.स.)

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