CG NEWS: बिना पंजीयन प्रैक्टिस कर रहे बाहरी डॉक्टरों पर शिकंजा, CMHO का निजी अस्पतालों को नोटिस

Update: 2025-04-19 07:09 GMT

Doctors Practising without Registration in CG : रायपुर। छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों के डॉक्टरों द्वारा बिना पंजीयन के चिकित्सा प्रैक्टिस करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस मुद्दे पर रायपुर के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (CMHO) ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी निजी अस्पतालों को पत्र जारी किया है। पत्र में तीन दिनों के भीतर उन डॉक्टरों की जानकारी मांगी गई है, जो छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकृत हुए बिना प्रैक्टिस कर रहे हैं। इस कार्रवाई ने निजी अस्पतालों में हड़कंप मचा दिया है।

क्या है मामला?

रायपुर CMHO के पत्र में साफ कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में किसी भी बाहरी डॉक्टर को तब तक प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं है, जब तक वे छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद में विधिवत पंजीकृत न हों। इसके बावजूद कुछ डॉक्टर बिना पंजीकरण के निजी अस्पतालों में कार्यरत हैं। इतना ही नहीं, कई डॉक्टर होटलों और ओपीडी के जरिए मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जो नर्सिंग होम एक्ट और छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद के नियमों का खुला उल्लंघन है।

CMHO का सख्त निर्देश

पत्र में निजी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे तत्काल ऐसे डॉक्टरों की सूची साझा करें, जो बिना पंजीकरण के प्रैक्टिस कर रहे हैं। साथ ही, भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन को जवाबदेह बनाया गया है। CMHO ने चेतावनी दी है कि नियमों का पालन न करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मरीजों की सुरक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

क्यों जरूरी है पंजीकरण?

छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकरण डॉक्टरों की योग्यता और प्रामाणिकता की गारंटी देता है। बिना पंजीकरण के प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं। ऐसे में, CMHO का यह कदम न केवल नियमों का पालन कराने के लिए, बल्कि जनता के हित में भी महत्वपूर्ण है।

निजी अस्पतालों में हड़कंप

इस पत्र के बाद निजी अस्पताल प्रबंधन में खलबली मच गई है। कई अस्पताल अब अपने यहां कार्यरत डॉक्टरों के पंजीकरण की जांच कर रहे हैं। कुछ अस्पतालों ने इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए आंतरिक ऑडिट शुरू कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयां पहले भी होनी चाहिए थीं, ताकि मरीजों को गलत इलाज से बचाया जा सके।

CMHO के इस पत्र के बाद अब सभी की नजरें निजी अस्पतालों की प्रतिक्रिया और पुलिस जांच पर टिकी हैं। यदि अस्पताल समय पर जानकारी साझा नहीं करते, तो उनके खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है।

साथ ही, बिना पंजीकरण के प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ भी कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। यह मामला छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य प्रशासन की सतर्कता को दर्शाता है और अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।  

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