CG हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: व्यभिचार में लिप्त पत्नी को नहीं मिलेगा भरण-पोषण, पति को राहत

Update: 2025-05-18 04:30 GMT

CG हाईकोर्ट 

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा है कि यदि कोई महिला विवाह के दौरान व्यभिचार में लिप्त पाई जाती है और इसी आधार पर उसे तलाक दिया गया हो, तो वह पूर्व पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं हो सकती। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने उस मामले की सुनवाई करते हुए की, जिसमें रायपुर निवासी एक व्यक्ति को पारिवारिक न्यायालय ने व्यभिचार के आधार पर तलाक की डिक्री तो प्रदान की थी, लेकिन साथ ही पत्नी को 4000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश भी पारित किया था। इस आदेश को पति ने चुनौती दी थी।

दरअसल, रायपुर निवासी याचिकाकर्ता की हिन्दू रिवाज से 2019 में शादी हुई। कुछ दिन बाद पत्नी ने पति पर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मार्च 2021 में ससुराल छोड़कर अपने भाई के घर चली गई। इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय में तलाक का आवेदन लगाया तो वहीं पत्नी ने पति से भरण-पोषण प्राप्त करने कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया। पत्नी ने आवेदन में कहा कि पति उसके साथ क्रूरता करता है, मानसिक रूप से प्रताड़ित कर चरित्र पर शंका करता है। इसके कारण वह घर छोड़कर अपने भाई के पास चली गई है। इधर पति ने अपने आवेदन में कहा कि पत्नी का उसके छोटे भाई से विवाहेतर संबंध है। उसने पकड़ा और मना किया, तो लड़ाई करते हुए झूठे मुकदमें फंसाने धमकी दी, और कुछ आपराधिक प्रकरण दर्ज भी कराई है। साथ ही पत्नी का अपने से कम उम्र के लड़कों के साथ संबंध है। पत्नी के व्यभिचारी होने के परिवार न्यायालय में साक्ष्य पेश किए गए। मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी ने भी यह स्वीकार किया कि वह पति के कारण व्यभिचार में है। रायपुर परिवार न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद व्यभिचार के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का आदेश पारित किया, वहीं पत्नी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार कर पति को प्रतिमाह 4000 रुपए भरण-पोषण देने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने मामले की पुनः समीक्षा करते हुए कहा कि जब पत्नी स्वयं व्यभिचार में लिप्त होने की बात स्वीकार कर चुकी है और पारिवारिक न्यायालय ने इसी आधार पर तलाक दिया है, तो ऐसी स्थिति में वह भरण-पोषण की हकदार नहीं रह जाती। अतः पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए, पति की याचिका स्वीकार कर ली गई और भरण-पोषण की राशि संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया गया।

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