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बिहार विधानसभा भवन को पूरे हुए सौ वर्ष, हैरान कर देंगे अंग्रेजों से लेकर वर्तमान तक के तथ्य

राष्ट्रपति ने बिहार विधानसभा में शताब्दी वर्ष स्तंभ का शिलान्यास किया

Update: 2021-10-21 09:46 GMT

पटना। बिहार विधानसभा शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में शिरकत करने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज बिहार विधानसभा परिसर पहुंच गये हैं। राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अन्य नेता मौजूद हैं।राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में शताब्दी वर्ष स्तंभ का शिलान्यास किया और परिसर में बोधि वृक्ष भी लगाए। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार विधानसभा शताब्दी वर्ष कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने विधानसभा अध्यक्ष के सामाजिक अभियान की शुरूआत की और स्मारिका का विमोचन किया। अब सदन में विमर्श ही संसदीय प्रणाली का मूल है" विषय पर व्याख्यान चल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने सामाजिक अभियान हमारा परिवार 5 सामाजिक वरदानों से युक्त,5 कुरीति मुक्त होगा इसका शपथ भी लिया।


मौके पर मुख्यमंत्री ने आज बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति के समय देने पर उन्हें हृदय से धन्यवाद दिया । उन्होंने कहा कि महामहिम का रिश्ता यहां से काफी पुराना रहा है। राष्ट्रपति हमारे यहां बिहार में करीब 2 साल के लिए राज्यपाल रहे थे। यहीं से इन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिला । हम तो कहते हैं कि ये बिहारी राष्ट्रपति हैं। ये तो सीधे बिहार के राज्यपाल से राष्ट्रपति बने। हमलोगों को बेहद खुशी होती है। राष्ट्रपति कोविंद अब तक 4 बार बिहार आ चुके हैं। 


विधानसभा से जुड़े तथ्य -

  • बिहार विधानसभा में पहली बैठक 7 फरवरी 1921 को हुई थी। जिसे लॉर्ड सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा ने गवर्नर के तौर पर संबोधित किया था। उस वक्त इस भवन को बिहार उड़ीसा विधान परिषद के नाम से जाना जाता था।
  • बिहार विधानसभा के इस भवन ने देश की आजादी से लेकर विभाजन की त्रासदी तक के पल देखे हैं। इस लंबे वक्त में इस भवन में कई ऐतिहासिक विधेयक पास हुए।
  • बिहार विधानसभा का यह भवन मार्च 1920 में बनकर तैयार हुआ। 100 साल के इस सफर में कई बार इसमें बदलाव किए गए लेकिन मूल संरचना को हमेशा सहेजकर रखा गया।  
  • 1952 की पहली बिहार विधानसभा में 331 सदस्य बैठते थे। वर्तमान में बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं।
  • 2000 में बिहार से झारखंड के अलग होने के चलते विधानसभा में सदस्यों की संख्या में कमी हुई है।
  • बिहार विधानसभा भवन देश का पहला ऐसा सदन है जहां सबसे पहले भूमि सुधार विधेयक पास हुआ। इसी सदन ने संविधान में संशोधन कर जमींदारी प्रथा का उन्मुलन किया। 



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