Muzaffarpur Rape Case: मुजफ्फरपुर रेप केस में राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान, CS और DGP को निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश
Kolkata gang rape
Muzaffarpur rape case : बिहार मुजफ्फरपुर रेप केस में राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। मुजफ्फरपुर में नाबालिग दलित बलात्कार पीड़िता को बिना किसी चिकित्सा सुविधा के चार घंटे से अधिक समय तक एम्बुलेंस में इंतजार करना पड़ा था। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने इस मामले में घोर लापरवाही और व्यवस्थागत विफलताओं की कड़ी निंदा की है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को मामले की गहन और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस मामले में अस्पताल अधिकारियों और पुलिस की भूमिका की भी जांच करने को कहा है। कर्तव्य में लापरवाही बरतने के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। राष्ट्रीय महिला आयोग ने यह भी कहा है कि, तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
मुजफ्फरपुर की 11 वर्षीय दलित लड़की के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया था। रेप के बाद उसकी चाकू घोंपकर हत्या भी कर दी गई थी। रविवार को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में उसकी मौत हो गई। एक दिन पहले उसे बिहार के प्रमुख रेफरल स्वास्थ्य सुविधा में बेड की अनुपलब्धता के कारण चार घंटे से अधिक समय तक एम्बुलेंस में गंभीर हालत में रखा गया था। 26 मई को बच्ची के साथ मारपीट की गई थी और गर्दन, छाती और पेट में कई बार चाकू घोंपा गया था।
शनिवार को उसकी हालत बिगड़ने पर मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के डॉक्टरों ने उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया। इस मामले में संदिग्ध रोहित साहनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की के चाचा ने उसके अंतिम क्षणों में भी उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था कि, "रविवार सुबह उसकी नाक और मुंह से खून निकल रहा था लेकिन कोई डॉक्टर उसे देखने नहीं आया।"
लड़की को एम्बुलेंस में इंतजार कराए जाने का वीडियो वायरल हो गया, जिसने बिहार की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर कई सवाल खड़े किए। यह सब तब हुआ जब पीएमसीएच को विश्व स्तरीय सुविधा के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस मामले को लेकर बिहार में कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लवरु ने कहा है कि, "जब भी कोई अपनी जान गंवाता है तो यह बहुत दुखद होता है। यह एक छोटी बच्ची थी, जिसके साथ बहुत अन्याय हुआ। हालांकि वे कहते हैं कि सुशासन है लेकिन यहां तो और भी कुशासन है। सरकार, प्रशासन, पुलिस, मंत्री और मुख्यमंत्री ने बच्ची की मदद नहीं की। वह 3-4 दिन तक संघर्ष करती रही लेकिन उसे उचित उपचार नहीं मिला। उसे अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा।"