सनातन संस्कृति संवर्धन के लिए मातृशक्ति की अहम पहल

अनिल शर्मा

Update: 2024-03-29 09:39 GMT

हमारी सनातन धर्म संस्कृति का प्रत्येक उत्सव न केवल सर्व समाज से सरोकार रखता है बल्कि वेज्ञानिक दृष्टि कोण से भी काफी महत्वकारी है, अनादिकाल मे ऋषि मुनि द्वारा बनाये गए सनातन परंपरा के प्रत्येक त्योहार का अपना अलग महत्व है, भारतीय सनातन धर्म परंपरा के प्रमुख तीन वार्षिक त्योहारो मे होली आपसी प्रेम सद्भावना का प्रतीक उत्सव है, इस प्रेम भरे रंग उत्सव को भी लोग बे-रंग बनाने के लिए दुष्प्रचार करने मे कोई कोर कसर नही छोड़ते है,उन्हे होली उत्सव आनेके साथ ही पानी बचाओ और केमिकल रंग से त्वचा बचाने की याद आ जाती है और होली उत्सव को फीका बनाने के अभियान मे जुट जाते है एसे वातावरण मे भारतीय सनातन संस्कृति संवर्धन और बचाने की निरंतर समाज के बीच पहल करने मे राष्ट्रवादी संगठन पर्दे के पीछे न केवल अहम भूमिका मे रहता है बल्कि विकल्प तयार करने आगे है

सनातन धर्म के तीन प्रमुख त्योहारो मे एक होली का पर्व है जिसे पूरे देश और विदेश तक बड़े ही उत्साह के साथ प्रत्येक समाज मे मनाया जाता है,कई दिनों पहले से हीतैयारियां शुरू हो जाती हैं. घरों में तरह-तरह केव्यंजन भी बनते हैं.केमिकल रंग के स्वस्थ्य व त्वचा पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का डर दिखाकर आपसी प्रेम सद्भाव मिलन के प्रतीक उत्सव को फीका बनाने मे जो विधर्मी कोई कोर कसर नही छोड़ते ,उनके समाज द्रोही प्रयासो को विफल बनाने के लिए एक स्वयम सेवक भी अहम भूमिका रखता है क्योकि व्यक्ति निर्माण के साथ राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के जरिये संस्कृति को बचाने वाला संगठन है यह सावित कर दिखाया है संघ विचार धारा से जुड़ी मातृशक्ति ने जिनके द्वारा निश्वार्थ भाव से होली को बे-रंग होने से बचाने के लिए स्वप्रेरणा सेलोक हित की उल्लेखनीय सेवा की जा रही है

रोजगार सृजन के साथ होली के रंगउत्सव भी फीका न पड़े : सीमा भारद्वाज

स्वदेशी जागरण मंच के स्वावलंबी भारत अभियान मध्य भारत प्रांत की महिला विभाग प्रमुख का दायित्व निर्वहन कर रही सीमा भारद्वाज अच्छी समाज सेविका भी है महिला सशक्तिकरण व रोजगार सृजन मे उनका उल्लेखनीय योगदान है उन्होनेहोली से पहले मध्य भारतके 16 जिलों की महिलाओं को फूलों और सब्जियों से रंगहर्बल गुलाल तैयार करने काआन प्रशिक्षण दिया है. ताकि जो लोग केमिकल रंगो की बजह से होली से दूरी बनाते है वे भी अपनी त्वचा का खासख्याल रखते हुए इस प्रेम भरे उत्सव मे रंगो मे सरावोर हो सके

स्वदेश – प्राकृतिक रंग व गुलाल बनाने के प्रशिक्षण देने के पीछे आपका हेतु क्या है ?

सीमा भारद्वाज –हमारी सनातन संस्कृति का होली प्रमुख उत्सव है यह उत्सव प्रेम के विभिन्न रंगो के मिलन का त्योहार है, लेकिन आजकल केमिकल कृतिम रंगो के प्रयोग से लोग इस उत्सव से दूरी बनाने लगे थे विशेषकर महिलाओ को अपने सौंदर्य को बचाने ज्यादा खयाल रहता है, चूकि मैसौंदर्य विशेषज्ञहोने के साथ सनातन संस्कृति की पक्षधर हू इसलिए हर्बल गुलाल रंग तयार करने का मन मे खयाल आया, पहले अपने लिए तयार किया, जब लोगो का रुझान देखा तो शिक्षण संस्थानो मे प्रशिक्षण दिया और अधिक से अधिक लोगो को लाभान्वित करने की दृष्टि से आन लाइन प्रशिक्षण देना शुरू किया,

स्वदेश - हर्बल गुलाल बनाने की विधि और लाभ क्या है ?

सीमा भारद्वाज - हर्बल गुलाल व रंग मात्र 3 चीजों केइस्तेमाल से आसानी से बनाया जा सकता है,. हर्बल गुलाल बनाने के लिए अरारोट, रंग केअनुसार सब्जी या फूल और साथ में खुशबू के लिए एसेंस का इस्तेमाल किया जाताहै. अलग-अलग रंग बनाने के लिए अलग-अलग फूलों और सब्जियों का इस्तेमाल कियाजाता है. जैसे हल्दी और पीले गेंदे के फूल से पीला रंग तैयार किया जाताहै. ये रंग उबटन की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंटमौजूद होते हैं, जो त्वचा को निखारते हैं. चुकंदर और देसी गुलाब के फूल से गुलाबी रंग तैयारकिया जाता है. पुदीना और पालक की मदद से हरा रंग तैयार कर सकते हैं. इसीप्रकार अन्य रंग के गुलाल भी तैयार किए जाते हैं. ये गुलाल त्वचा के लिएबहुत ही लाभदायक हैं. पुदीना, चुकंदर, हल्दी ये सारी सामग्री फेस पैक बनानेके लिए भी इस्तेमाल की जाती है. सब्जियों और फूलों को पीस कर उनका रंगअरारोट में अच्छे से मिला कर थोड़ी देर के लिए उसकी नमी सूखने दें. फिरमात्र आधे से एक घंटे के अंदर आपका हर्बल गुलाल तैयार हो जाएगा. ये गुलालबाजार में मिल रहे केमिकल वाले गुलाल से सस्ता और बेहतरीन होता है.अरारोट के साथ सब्जियों औरफूलों का रंग मिलाकर बनाए गुलाल से किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं होती.ये गुलाल त्वचा पर उबटन का काम करते हैं. इसमें मौजूद सब्जियों के रस सेत्वचा में निखार आता है. अगर ये रंग खेलते समय आपके मुंह में भी चला जाए तोहानिकारक नहीं होता. गुलाल बच जाने पर आप इसे एयर टाइट डब्बे में बंद कररख सकते हैं

होली त्योहार रंग संस्कृति यथावत बनी रहे इसलिए बनाए हर्वल गुलाल :ममता सिंह

ग्वालियर -चंबल अंचल मे केमिकल मुक्तगोमूत्र मिश्रित गुलाल घर पर ही तैयार किया जा सकता है जिसमेगुलाल चुकंदर, पालक जैसी सब्जियों से रंग तैयार की जाती है. इस गुलाल से केमिकलरिएक्शन का भी खतरा नहीं रहता है एसा ही कुछ अभिनव प्रयोग विधार्थी परिषद से जुड़ी रही और बर्तमान मे अधिवक्ता ममता सिंह ने कर होली के रंग को बरकारर रखने का संदेश समग्र समाज को दिया हैउनसे हुई बातचीत के अंश प्रस्तुत है

स्वदेश - सब्जियों से नेचुरल गुलाल तैयार करने की प्रेरणा केसे और कहा से मिली ?

ममता सिंह –होली सनातन परंपरा का प्रमुख उत्सव है, केमिकल रंगो के प्रयोग से लोग दूरी बनाते जा रहे है मुझे भी कृतिम केमिकल रंगो से एलर्जी हो जाती है,चाहकर भीहोली उत्सव मे शामिल होने से डर लगता था, तो सब्जियों व फूलो से रंग गुलाल बनाने का पहले स्वयम प्रयोग किया फिर खयाल आया पूरे समाज को इसका लाभ मिले, इसलिए अन्य को भी प्रशिक्षित किया और अधिक मात्रा मे तयार भी किया फिर आन लाइन मार्केटिंग की अव काफी मात्रा मे लोग प्रयोग भी कर रहे है और इससे स्वदेशी आंदोलन बढ़ाने के साथ रोजगार सृजन मे बढ़ोत्तरी हुई है हर साल होली का त्योहार आने पर लोग बाज़ार से कैमिकल ये वाली गुलाल उठाकरले आते हैं जिनसे शरीर पर कई तरह के रिएक्शन हो जाते हैं ऐसे में विचार किया कि क्यों ना ऐसा गुलाल तैयार किया जाए जो लोगों को नुक़सानभी ना पहुँचाएँ और होली के त्योहार की संस्कृति भी बनी रहे

स्वदेश – हर्वल गुलाल रंग को केसे करते है तयार ?

होलीका त्योहार आते ही बाजार रंग और गुलाल से सज जाता है लेकिन इनमें ज्यादातरकेमिकल से बने गुलाल होते हैं. जो ना सिर्फ आपकी सेहत और त्वचा को नुकसानपहुंचाते हैं, बल्कि बच्चों के लिए भी खतरनाक होते हैं.इसलिए फूलो और सब्जियों से नेचुरलगुलाल आपकी होली का त्योहार रंगों से तो भरता ही है साथही ये स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं होता;अलग-अलग रंग के गुलाल कई तरह कीखाद्य व अन्य सामग्रियों की मदद से बनते हैं. इसमें फिर गोबर की भस्ममिलाकर इसे अंतिम रूप दिया जाता है. इस अनौखे तरीके से पिछले तीन वर्षोंसे ग्वालियर चंबल अंचल में हर्बल गुलाल तैयार किए जा रहे हैं इसगुलाल को तैयार करने के लिए घेरलू और नेचुरल चीज़ों का उपयोग किया जाता हैइसमें लाला रंग बनाए के लिए चुकंदर और पलाश के फूलों के साथ ही गोबर कीभस्म मिलायी जाती है. वहीं हरे रंग के लिए पालक का इस्तेमाल होता ह, पीलारंग हल्दी से आता है इन रंग बिरंगे हर्बल गुलाल बनाने के साथ ही लोगों कोभी इसका प्रशिक्षण दिया, जिससे लोग घरों में ही इन्हें बनाकर ख़ुद इस्तेमालकरें और अपने आसपड़ौस में भी लोगों को जागरूक कर सके. लोगों को ये बहुतपसंद आता है। 

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