प्लास्टर चढ़ाकर अस्पताल से भगा दिए घायल दंपति

उपचार की आस में परिवार सहित खुले में पड़े हैं पति-पत्नी
ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय की बदइंतजामी इन दिनों गरीब मरीजों पर भारी पड़ रही है। इसी के चलते दुर्घटना में घायल गरीब दंपति माधव डिस्पेंसरी के बाहर उपचार की आस में अपने परिवार के साथ खुले में पड़े हुए हैं। उपचार के लिए पहुंचे पति-पत्नी के पास पैसे न होने के कारण चिकित्सकों ने प्लास्टर चढ़ाकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। श्योपुर जिले के गसवानी निवासी बालकिशन आदिवासी और उसकी पत्नी कमलेश भिण्ड जिले में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दुर्घटना में दंपति की एक मासूम बेटी की मौत भी हो गई थी। दुर्घटना के बाद कुछ लोगों ने 108 एम्बुलेंस की सहायता से पति-पत्नी को भिण्ड जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेन्टर के लिए रैफर कर दिया।
इसके चलते 108 एम्बुलेंस दोनों को गत गुरुवार को दोपहर करीब 12.30 बजे जयारोग्य चिकित्सालय की कैजुअल्टी लेकर पहुंची, जहां से उन्हें ट्रॉमा सेंटर में पहुंचा दिया, लेकिन वहां भी उन्हें उपचार नसीब नहीं हो सका। ट्रॉमा सेन्टर के चिकित्सकों ने घायल दंपति से दीनदयाल कार्ड मांगा और कार्ड नहीं होने पर 400 रुपए का सामान मंगाकर दोनों को प्लास्टर चढ़ा दिया। इसके बाद ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सक ने उन्हें गुरुवार को शाम पांच बजे यह कहते हुए बाहर कर दिया कि तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं, इसलिए यहां नि:शुल्क उपचार नहीं हो सकता। इसके बाद घायल दंपति परिवार के साथ माधव डिस्पेंसरी के बाहर उपचार की आस लेकर ठंड में खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की इन पर नजर नहीं पड़ रही है।
दीनदयाल कार्ड मांग रहे थे चिकित्सक, हम कहां से लाएं
घायल दंपति के परिजन हरिसिंह का कहना है कि उसके दामाद बालकिशन के पैर की हड्डी तीन जगह टूटी हुई है, जबकि बेटी कमलेश के पैर व सिर में गंभीर चोट है। इसके बाद भी उन्हें उपचार के लिए भर्ती नहीं किया गया। चिकित्सक उससे दीनदयाल कार्ड मांग रहे थे, लेकिन वह कार्ड कहां से लेकर आएं। उसने बताया कि चिकित्सक ने उसके घायल दामाद व बेटी को यह कहते हुए अस्पताल से बाहर कर दिया कि अगर दीनदयाल कार्ड नहीं है तो पैसे की व्यवस्था करके लाओ तभी उपचार होगा। हरिसिंह ने बताया कि उनकी बेटी के सिर से खून निकल रहा है। अब मैं उपचार के लिए किसके पास जाऊं।
इनका कहना है
‘‘मरीज को पुरानी चोट थी, इसलिए कैजुअल्टी के स्टाफ को दंपति को ट्रॉमा सेन्टर की जगह ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंचाना चाहिए था। अगर ऐसा नहीं किया गया है तो गलत है। पीड़ितों को ओपीडी में दिखवाकर भर्ती कराया जाएगा।’’
डॉ. जितेन्द्र नरवरिया
सहायक अधीक्षक
जयारोग्य, अस्पताल