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युवाओं के हुनर को निखार रही है ‘थिंकस्किल’

युवाओं के हुनर को निखार रही है ‘थिंकस्किल’
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की कौशल विकास योजना ने निर्धन परिवार के युवाओं को रोजगार कमाने का अवसर मुहैया कराया है। जम्मू कश्मीर से लगायत पूर्वोतर के युवा भी इस योजना से जुड़कर लाभ उठा रहे हैं। ये युवा स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी, रिटेल सेक्टर, कपड़ा उद्योग समेत पांच क्षेत्रों से जुड़े कामों का प्रशिक्षण लेकर नौकरी कर रहे हैं और अपने परिवार की मदद कर रहे हैं| थिंकस्किल कंस्लटिंग के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) आशीष अग्रवाल की संस्था इन युवाओं को प्रशिक्षण देने के बाद इस बात की भी निगरानी करती है कि वे युवा रोजगार में बने रहें और नौकरी न छोड़ें।

थिंकस्किल कंस्लटिंग के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) आशीष अग्रवाल ने इस पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनकी संस्था जम्मू कश्मीर, असम पूर्वोतर, केरल और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दे रही है। इन राज्यों में उनकी संस्था ने विधिवत प्रशिक्षण केंद्र खोल रखे हैं| ग्रामीण इलाकों से ऐसे युवाओं का चयन करके प्रशिक्षण देती है जो गरीबी रेखा (बीपीएल) की श्रेणी में आते हैं। इसके लिए गांव के पंचायत प्रमुख से लेकर ब्लॉक स्तर पर उनकी संस्था संपर्क साधकर युवाओं का चयन करती है। अग्रवाल बताते हैं कि हम युवाओं को स्वास्थ्य सेवाओं, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल सेक्टर, कपड़ा उद्योग से जुड़े कामों प्रशिक्षण देते हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन युवाओं के रहने और खाने पीने का सारा इंतजाम प्रशिक्षण केंद्र पर किया जाता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन महीने का होता है। जितना आईटीआई में हम साल भर में पढ़ते हैं उतना हम कुल 576 घंटे में पूरा करते हैं। इसके बाद हम युवाओं को उनके प्रशिक्षण वाले क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराते हैं।
अग्रवाल बताते हैं कि पिछले तीन साल में हमने दो हजार युवाओं को प्रशिक्षण दिया है। इसमें से तकरीब 75 प्रतिशत युवा रोजगार में हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से हमें इस साल चार हजार युवाओं को प्रशिक्षित करने का काम मिला है। असम, मणिपुर, केरला और उत्तर प्रदेश में हमें यह काम करना है। असम और केरला में प्रशिक्षण का काम शुरु हो चुका है और उत्तर प्रदेश व मणिपुर में काम शुरु होने जा रहा है।

आशीष बताते हैं कि असम, मणिपुर इन राज्यों में ग्रामीण इलाकोंसे बच्चों का चयन कर उनके प्रशिक्षण केंद्र तक लाना आसान नहीं होता। सबसे पहले तो बच्चों के माता-पिता को यह विश्वास दिलाना पड़ता है कि हम लोग उनके बच्चे का भविष्य संवारने में मददगार हैं और किसी तरह के गलत कार्य के लिए वह बच्चों का इस्तेमाल नहीं कर रहे। इसके अलावा भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अग्रवाल बताते हैं कि बच्चों के अभिभावकों को भी लग रहा है कि उनके लिए सरकार कुछ कर रही है| इसलिए वह भी इस बात को समझ कर बच्चों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए राजी होते हैं। जम्मू-कश्मीर के करगिल इलाकों के बच्चों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं। कश्मीर के युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए उनका स्नातक होना अनिवार्य होता है। हम उन्हीं को प्रशिक्षित करते हैं जो स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर चुके हों। इन युवाओं को हम रिटेल सेक्टर में प्रशिक्षित करते हैं और उसके बाद टॉमी हिलफीगर, फैब जैसी कंपनियों में उनको रोजगार दिलाते हैं।

Updated : 31 Jan 2018 12:00 AM GMT
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