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पारसेन बांध पर खदान को हरी झंडी

पारसेन बांध पर खदान को हरी झंडी
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-बहते पानी पर मुरम डालकर खनिज ठेकेदार ने लगाया क्रेशर प्लांट


पारसेन बांध के निकट रामनिवास शर्मा द्वारा लगाया जा रहा क्रेशर प्लांट, दूसरे चित्र में पारसेन बांध के पास दिखाई देता खनन कारोबार।

ग्वालियर। पारसेन सहित आसपास के गांवों में किसानों को फसलों के लिए पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तीन वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुए पारसेन बांध से सटी पहाड़ी को शासन एवं जिला प्रशासन ने दो हिस्सों में एक ही ठेकेदार को उत्खनन के लिए लीज पर दे दिया। खास बात यह है कि पारसेन के सर्वे क्रमांक 4157,4158, 4174, 4175 आदि पर स्वीकृत 15 हैक्टयर परिक्षेत्र की इन दो खदानों के लिए क्रेशर प्लांट पारसेन बांध के उस जल भराव स्थल पर लगाया जा रहा है, जहां से बांध को पर्याप्त पानी उपलब्ध एवं एकत्रित होता है।

सुमेरपाड़ा में चन्द्रपुरा मौजे की पहाड़ी पर पूर्व से संचालित ओमप्रकाश वदरेटिया भंसाली बंधुओं की खदानों के अलावा पारसेन में रामनिवास शर्मा की 12 हेक्टेयर की खदान पूर्व से स्वीकृत थी। स्वीकृत होने के बावजूद ठेकेदार ने यहां खनन कारोबार नहीं किया था। हाल ही में जिला प्रशासन की पर्यावरणीय समितियों डेक और डिया ने भी रामनिवास शर्मा की 3 हेक्टेयर परिक्षेत्र की खदान को हरी झंडी दिखा दी है। जबकि 8 हेक्टेयर वाली पूर्व से स्वीकृत खदान के लिए ठेकेदार द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति राज्य स्तरीय पर्यावरण समाधान निर्धारण प्राधिकरण (सिया) से ली गई है। सूत्र बताते हैं कि तीन हैक्टेयर की खदान के चार सर्वे क्रमांकों में से दो पर जल संसाधन विभाग ने पूर्व में बांध को खतरा बताते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन बाद में यह अनुमति किस आधार पर दे दी गई। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सबसे खास बात यह है कि जिस स्थान पर क्रेशर प्लांट स्थापित किया जा रहा है उस स्थान पर बांध का पानी एकत्रित होता है। साथ ही इस प्लांट के लग जाने से बांध का कैचमेंट क्षेत्र अत्यधिक बाधित होगा। इस संबंध में जिलाधीश राहुल जैन से संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।

बांध की गुणवत्ता और ऊंचाई के पीछे खनन माफिया!

करीब 10 वर्ष पूर्व स्वीकृत हुए पारसेन बांध के 8 साल विलंब से बनने तथा खराब गुणवत्ता एवं पूर्व में निर्धारित ऊंचाई को कम करने की चर्चा ग्रामीणों के बीच सुनी जा सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित पारसेन बांध की ऊंचाई सात मीटर से अधिक थी। लेकिन खनिज कारोबारियों ने ठेकेदार और अधिकारियों से सांठगांठ कर इसकी ऊंचाई को कम करा लिया। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी कहने से बचते हैं तथा नियमानुसार बांध का निर्माण पूरा करने की बात कह रहे हैं। ग्रामीणों का तर्क इसलिए भी प्रासंगिक लगता है क्योंकि इस बांध की ऊंचाई अगर पूरा सात फीट होती तथा गुणवत्ता ठीक होने पर यह बांध पूरा भर जाता तो खनिज ठेकेदार रामनिवास शर्मा का वर्तमान में लगाया जा रहा क्रेशर प्लांट इस बांध के जल भराव क्षेत्र की सीमा में होता। ऐसी स्थिति में यहां न तो खदानों की लीज और न ही क्रेशर लगाने की अनुमति मिल पाना संभव थी।

क्रेशर संचालक ने घेरा मंदिर का रास्ता, धमाकों से भयभीत ग्रामीण


बिलौआ में नगर परिषद से खाका कारोबार की अनुमति लेकर संचालित किए जा रहे जय दाऊ बाबा स्टोन इंडस्ट्रीज के संचालकों द्वारा किए जा रहे उत्खनन और क्रेसिंग कारोबार के लिए प्राचीन मंदिर के रास्ते को कब्जा लिया है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व पुलिस अधिकारी जे.पी.भट्ट के बेटे निशांत भट्ट, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके पुलिसकर्मी सहित कुछ अन्य लोगों द्वारा स्थानीय निवासी महेन्द्र शर्मा की भूमि पर संचालित किए जा रहे खनन कारोबार में नियमों को खूंठी पर टांग दिया गया है। जय दाऊ बाबा स्टोन इंडस्ट्रीज के संचालकों द्वारा पुराने मंदिर के रास्ते को घेरकर जहां बड़े-बड़े पत्थर रख दिए गए हैं, वहीं खदान से पत्थर निकालने सड़क किनारे किए जा रहे डी-फोर धमाकों के कारण राहगीरों और श्रद्धालुओं को हरदम खतरा बना रहता है।

इनका कहना है

‘खनन ठेकेदार रामनिवास शर्मा के चार में से दो पर जल संसाधन विभाग ने बांध को खतरा बताते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी। उनकी खदान स्वीकृत होने की जानकारी नहीं है।’

सतीश शर्मा
अनुविभागीय अधिकारी
जल संसाधन विभाग ग्वालियर

‘मैं अभी कहीं बैठा हूँ। थोड़ी देर में बात करता हूँ। ’

राम निवास शर्मा
खनिज ठेकेदार, पारसेन

‘उत्खनन हम दूसरी स्वीकृत खदान पर करते हैं। हमारे कुछ विरोधी रास्ते को जबरदस्ती मुद्दा बना रहे हैं। हमारे काम से ग्रामीणों को परेशानी नहीं है।’

महेन्द्र शर्मा
संचालक जय दाऊ बाबा स्टोन इंडस्ट्रीज बिलौआ

Updated : 28 Sep 2017 12:00 AM GMT
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