हवाई अड्डा के निर्माण में आएगा पांच हजार करोड़ का खर्च
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-केन्द्र सरकार ने उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जवाब
ग्वालियर। उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में नागरिक (सिविल) हवाई अड्डा के निर्माण को लेकर प्रस्तुत की गई याचिका में केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को जवाब पेश करते हुए कहा कि इसके निर्माण पर कुल पांच हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
यह खर्च निर्माण पर तब आएगा, जब शासन इसके लिए जमीन उपलब्ध कराए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हवाई अड्डा के निर्माण के लिए वायुसेना अपनी एनओसी दे। न्यायाधीश संजय यादव एवं एस.ए. अवस्थी की युगलपीठ में याचिकाकर्ता यशवंत जैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार के पक्ष से असिस्टेंट सॉलीसिटर विवेक खेड़कर ने यह जवाब प्रस्तुत किया। अब केन्द्र सरकार के प्रस्तुत जवाब पर याचिकाकर्ता का पक्ष अपना जवाब पेश करेगा।
यह है याचिका में
वर्तमान विजायाराजे सिंधिया विमान हवाई अड्डा महाराजपुरा में स्थित है। यहां का हवाई यातायात पूरी तरह वायुसेना स्टेशन के रनवे पर निर्भर है। वायुसेना अपनी शर्तों और सुविधा के हिसाब से ही नागरिक विमानों को उतरने की अनुमति देती है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां से ज्यादा शहरों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही लगभग एक दशक में सिविल हवाई अड्डे के निर्माण के लिए कई बार प्रयास हुए, लेकिन वे सभी विफल साबित हुए।
150 कि.मी. तक नहीं बनाया जा सकता कोई स्टेशन
केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए जवाब में कहा गया है कि एयरफोर्स स्टेशन की गाइडलाइन के अनुसार 150 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई हवाई अड्डा नहीं बनाया जा सकता है। सिविल हवाई अड्डा का निर्माण बेहद खर्चीला है। इसके लिए यहां का सर्वे होना बहुत जरूरी है कि यहां पर कितने जहाज आ सकते हैं और कितनी सवारी यहां से मिल सकती हैं। वहीं जवाब में कहा गया है कि एक छोटे एयरक्रॉफ्ट चलाने वाली एविएशन कम्पनी विमान सेवा चलाने के लिए अपना प्रपोजल दे चुकी है, जिस पर विचार किया जा रहा है। जवाब में यह भी कहा गया है कि यह योजना निजी साझेदारी में चलाई जा सकती है।