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भ्रष्टाचार मामले में लालू को झटका

भ्रष्टाचार मामले में लालू को झटका
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लालू प्रसाद यादव ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके परिजन के खिलाफ आयकर विभाग का शिकंजा भी कस सकता है। चारा घोटाला मामले में वे पहले ही कई बार जेल की हवा खा चुके हैं। बेऊर जेल में रहते हुए राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवाकर रिमोट से बिहार का शासन चलाते रहे हैं। उस समय भी उन पर आयकर का शिकंजा उस तरह नहीं कसा था जैसा कि अब कस रहा है। वह भी तब जब उनके दो बेटे बिहार में मंत्री हैं। वैसे आयकर विभाग ने जिस तरह उनके परिजन की संपत्ति जब्त की है और उनकी पत्नी को नोटिस जारी किया है, उसे बहुत हल्के में नहीं लिया जा सकता।
लालू यादव के परिजन पर लगभग एक हजार करोड़ रुपये मूल्य की बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है। यह आरोप हाल के दिनों में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लगाए थे। आयकर विभाग ने लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा यादव की लगभग 175 करोड़ की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त कर ली है। पहले तो मीसा यादव आयकर विभाग की नोटिस को गंभीरता से नहीं ले रही थीं लेकिन जब विभाग ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी तो विवश होकर उन्हें आयकर अधिकारियों के समक्ष पेश होना पड़ा। उन्होंने तकरीबन छह घंटे तक अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए। 21 जून को जब पूरा देश योगाभ्यास कर रहा था तब लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा आयकर अधिकारियों के सवालों के जवाब देने का योग कर रही थीं। उनके जवाब से आयकर अधिकारी कितने संतुष्ट हुए, हुए भी या नहीं, यह बताया नहीं जा सकता। वैसे भी बहुत सारे सवालों के जवाब तो उन्होंने दिए ही नहीं। चुप्पी साध ली, इससे इतना तो तय है कि आयकर विभाग के अधिकारियों के समक्ष उनकी पेशी दोबारा हो सकती है। चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव पर पहले ही शिकंजा कस चुका है और एक बार फिर उनके जेल जाने के आसार प्रबल हो गए हैं। मोदी विरोध की राजनीति कर रहे लालू प्रसाद यादव के लिए यह दिन किसी झटके से कम नहीं है।

राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने में लालू यादव की बड़ी भूमिका रही है लेकिन जनता दल यूनाइटेड ने जिस तरह राजग प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन किया है और इस बावत आयोजित विपक्ष की बैठक में शामिल होने से इनकार किया है, उससे लालू यादव का विचलित होना स्वाभाविक भी है। जाहिरा तौर पर इसके पीछे नीतीश और लालू के बीच की दूरी और मतभेद ही उजागर होता है। इसके बाद भी लालू प्रसाद यादव का यह कहना कि विपक्ष की बैठक के बाद ही वे कुछ कह पाने की स्थिति में होंगे कि वे राजग प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन करेंगे या नहीं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उन्हें प्रेरणा लेनी चाहिए। अखिलेश यादव ने भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिनर पार्टी से भले ही किनारा किया लेकिन मुलायम सिंह यादव ने मोदी की डिनर पार्टी में शामिल होकर अपने परिवार के लिए मोदी के दिल में साॅफ्ट कार्नर तो विकसित किया ही। ओखली में सिर देने का मतलब होता है कि मूसलों की परवाह नहीं है और मूसलों की परवाह न करना न तो व्यावहारिक है और न ही विवेकयुक्त।

कार्रवाई का सामना तो करना ही पड़ता है। झंडेवालन स्थित विभाग के कार्यालय में मीसा भारती से पूछा गया कि वह कितनी कंपनियों की निदेशक हैं और इन कंपनियों के माध्यम से उन्होंने अब तक कितना ऋण लिया है। कितना ऋण चुका दिया है। उनकी कंपनी मिशेल प्राइवेट लिमिटेड को 1.2 करोड़ रुपये किस लिए दिए गए। शेयर को कम कीमत पर खरीदा गया। इसके बाद ज्यादा कीमत पर बेचा गया, यह किस तरह से किया गया। कंपनियों में काम करने वाले लोग कौन-कौन हैं। कहां रहते हैं। कंपनी में उनकी भूमिका और दायित्व क्या है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनसे चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश अग्रवाल के बारे में भी पूछताछ की।

विभाग ने इससे एक दिन पूर्व ही मीसा भारती, उनके पति शैलेश कुमार, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी दो पुत्रियों रागिनी और चंदा यादव से जुड़ी संपत्ति और भूखंड जब्त किए थे जिसमें राजधानी दिल्ली के बिजवासन क्षेत्र में स्थित फार्म हाउस और डिफेंस कॉलोनी स्थित एक कोठी भी शामिल है। आयकर विभाग ने भारती और उनके पति को पेशी के लिए पहले दो बार नोटिस जारी किया था। पेश नहीं होने पर शैलेश कुमार पर आयकर विभाग ने 10 हजार का जुर्माना भी किया था। इसके बाद दूसरा नोटिस भेजा था लेकिन फिर भी पेश होने पर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की गई थी। विभाग ने पिछले महीने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार से जुड़े एक हजार करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति के मामले में 22 ठिकानों पर राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रो में छापेमारी और सर्वे किया था और जो सपंत्ति कुर्क की गई है उन पर भी छापेमारी हुई थी।

लालू प्रसाद यादव जमीन से जुड़े नेता हैं। उन्हें इसका मतलब तत्काल समझ लेना चाहिए। वैसे भी केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद जिस तरह विभागीय अधिकारियों के पेंच कसे गए हैं, उसका असर अधिकारियों के कामकाज पर भी नजर आने लगा है। कांग्रेस भी परेशान है। मीसा भारती पर कार्रवाई के बाद आयकर विभाग सोनिया गांधी के दामाद रावर्ट वाड्रा पर भी हाथ डाल सकता है। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रपति चुनाव के बाद मोदी सरकार बड़ा फैसला करने के मूड में है। वह भ्रष्टाचार में लिप्त बड़े नेताओं के खिलाफ अभियान छेड़ सकती है। विपक्ष के लोग भी इस बात को जानते हैं। यही वजह है कि वे छोटे-छोटे मुद्दों जैसे किसान के मामलों, दलित उत्पीड़न के मामलों को गरमाए रखना चाहती है।

एक भोजपुरी गीत है कि ‘ आपन झुलनी संभारूं कि तोंय बालमा।’ सरकार अगर जनता से जुड़े मामलों में उलझी रहेगी तो उसकी नजर नेताओं के भ्रष्टाचार पर नहीं पड़ेगी। भ्रष्टाचार किया है तो उसकी सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी। नीति भी यही कहती है कि ‘जैसी करनी वैसा फल। आज नहीं तो निश्चय कल।’ कुल मिलाकर समय बदल रहा है। समाज में, राष्ट्र में बदलाव की बयार बह रही है, ऐसे में बेईमानों पर अंकुश लगना भी लगभग तय है। किसी भी देश और प्रदेश को उत्तम बनाना है तो भ्रष्टाचार और बेईमानी पर अंकुश तो लगाना ही होगा। अफवाह के कारखानों को चिह्नित भी होना है और नष्ट भी होना है। अच्छा होता कि यह सिलसिला और तेज हो पाता।

लेखक : सियाराम पांडेय

Updated : 22 Jun 2017 12:00 AM GMT
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