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सहमति बनाने का प्रयास बेनतीजा, उम्मीदवार के नाम पर सभी दल खामोश

सहमति बनाने का प्रयास बेनतीजा, उम्मीदवार के नाम पर सभी दल खामोश
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्ष में दांवपेच लगातार जारी है। शह और मात के इस खेल में एक-दूसरे को खंगालने का समय चल रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन में मात्र दिन 12 दिन शेष बचे हैं, परन्तु अभी तक न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष ने अपने-अपने उम्मीदवार की घोषणा की है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। 28 जून नामांकन की आखिरी तारीख है। आगामी 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा और 20 जुलाई को वोटों की गिनती होगी। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है।

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति बनाने को लेकर सत्ता पक्ष प्रयास कर रहा है परन्तु अपने उम्मीदवार का नाम अभी तक नहीं खोला है। जिसके चलते विपक्ष ने भी नाम पर चुप्पी साध रखी है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू शुक्रवार को सुबह 11 बजे राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ आवास पर मुलाकात की। हालांकि यह बैठक बिना किसी नतीजे के ही पूरी हुई। सोनिया और राजनाथ-नायडू के मध्य ये मुलाकात करीब 30 मिनट तक चली। बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल रहे। बैठक के बाद आजाद और खड़गे ने कहा कि दोनों भाजपा नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम नहीं पेश किया। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि भाजपा नेताओं ने कांग्रेस से ही राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम पूछा।

कांग्रेस नेताआें के बयानों से अलग कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी ने भाजपा नेताआें को कोर्इ सीधा जवाब नहीं दिया बल्कि पहले वे अन्य विपक्षी नेताओं से भाजपा के उम्मीदवार को लेकर चर्चा करेंगी आैर फिर अपना जवाब देंगी। माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों के नेताआें की मुलाकात 20 या 21 जून को एक बार फिर हो सकती है। इसमें सोनिया गांधी आैर विपक्षी नेता मिलकर एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव पर मंथन करेंगे। राजनाथ और वेंकैया इसके बाद शुक्रवार दोपहर 3:15 पर सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी से मिलने एकेजी भवन पहुंचे। करीब 30 मिनट की बैठक वहां पर भी बेनतीजा रही। बैठक के बाद येचुरी ने कहा कि सत्ता पक्ष की तरफ से अभी तक कोई नाम नहीं रखा गया है, बिना नाम के आगे चर्चा नहीं हो सकती है।

इसके बाद देर शाम वेंकैया नायडू ने उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी नेता सतीश मिश्रा से मुलाकात की। हालांकि सत्ता पक्ष ने विपक्षी नेताओं से चर्चा में किसी नाम का प्रस्ताव नहीं दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह और सतीश मिश्रा ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सर्वमान्य चेहरे की बात नायडू के समक्ष रखी है।
रात्रि में करीब 8 बजे राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति बनाने को लेकर सीपीआई नेता डी राजा के पार्टी कार्यालय पहुंचे। सूत्रों के अनुसार राजनाथ और नायडू ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया परन्तु बात वहीं अटक गई कि उम्मीदवार कौन!
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार का ऐलान करने से पहले प्रत्येक दल से आम सहमति बनाने के लिए बात कर रही है। इसके लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बनाई गई कमेटी ने बड़ी पार्टियों से बात करनी शुरू कर भी दी है। वहीं क्षेत्रीय दलों को मनाने की जिम्मेदारी एनडीए के घटक दलों के दूसरे नेताओं को दी गई है।

हालांकि, इसके लिए शाह द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी अपना काम तो कर ही रही है पर सूत्रों के मुताबिक इस कमेटी को मदद करने के लिए कई नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को महाराष्ट्र के नेताओं में आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। 18 जून को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात से पहले बातचीत का खाका गडकरी ही तैयार करेंगे। गडकरी की कोशिश शिवसेना नेताओं की नाराजगी दूर करने की होगी। वहीं गडकरी को एनसीपी तक भी भाजपा की बात पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है। भाजपा को उम्मीद है कि वो जब एनसीपी से किसानों के लिए आने वाले दिनों में कुछ कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा का वादा करेगी तो इससे उसके रुख में नरमी अवश्य आएगी।

दूसरी ओर, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव को एआईडीएमके के दोनों धड़ों से बात करने की जिम्मेदारी दी गयी है। बिखराव के दौर से गुजर रही अन्ना द्रमुक के दोनों धड़ों के पास सिवाय भाजपा के समर्थन के अलावा कोई चारा नहीं है क्योंकि डीएमके पहले ही साफ कर चुका है कि वह विपक्ष के धड़े में है। एनडीए के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू को टीएमसी और बीजेडी से बात करने की जिम्मेदारी दी गयी है। नायडू एनडीए संयोजक भी रहे हैं और मौजूदा दौर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं| लिहाजा उनकी बात इन दोनों मुख्यमंत्रियों तक प्रभावी ढंग से पहुंचेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार से बात करेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी सहयोगी दलों के साथ राष्ट्रपति उम्मीदवार पर सहमति बनाने की बात कह रहे हैं। इस संबंध में वह कई क्षेत्रीय दलों के साथ चर्चा भी कर रहे हैं।

देश में इस बार राष्ट्रपति चुनाव रोचक होने की उम्मीद जताई जा रही है। एकतरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को भी बल मिल रहा है जिसमें उन्होंने गुजरात में कहा था कि वो अपने गुरु पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को गुरु दक्षिणा देंगे। कई लोग पीएम मोदी के इस गुरु दक्षिणा के बयान को राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि अयोध्या में विवादास्पद ढांचा ढहाए जाने के मामले में उनका नाम होने के चलते उनका नाम इस उम्मीदवारी से हट भी सकता है। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने इस संबंध में आडवाणी को राष्ट्रपति पद का सबसे योग्य उम्मीदवार बताया है। दूसरी तरफ शिवसेना ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत या एमएस स्वामीनाथन का नाम प्रस्तावित किया है।

पीएम मोदी और अमित शाह हमेशा आश्चर्यजनक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश चुनाव और परिणाम के दौरान जिस नाम की कहीं चर्चा नहीं थी और योगी आदित्यनाथ को यूपी की कमान सौंपी गयी थी। ठीक उसी तरह उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार भी कोई आश्चर्यजनक नाम की घोषणा सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा की जा सकती है।

इधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं। सोनिया गांधी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सोनिया का प्रयास है कि विपक्षी पार्टियों की सहमति से ही प्रत्याशी का नाम घोषित किया जाये। इधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी विपक्ष को एकजुट करने के लिए कई राज्यों का दौरा कर चुकी हैं, परन्तु सफलता न के बराबर मिल पाई है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नाम सामने आने के बाद ही अपने पत्ते खोलने की बात कही है। वहीं बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। चुनाव आयोग के अनुसार 14 जून को राष्ट्रपति चुनाव का नोटफिकेशन जारी किया जा चुका है। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 1 जुलाई है। राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद और देश की तमाम 31 विधानसभाओं का इलेक्टोरल कॉलेज मिलकर करता है। संसद के दोनों सदनों में वोट देने वाले 776 सांसद हैं और 4,114 विधायक| राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियम 1974 के मुताबिक सांसद और विधायक के वोट की कीमत खास फॉर्मूले के तहत आंकी जाती है।

इन फॉर्मूलों के मुताबिक हर सांसद के वोट की कीमत 708 है तो विधायक के वोट की कीमत उसके राज्य की जनसंख्या और विधानसभा की तादाद के मुताबिक बदलती है। मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक विधायक वोट की कीमत 208 है तो सिक्किम जैसे राज्य मे ये महज 7 रह जाती है। इस गणित के हिसाब से अपनी मर्जी का राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने के लिए किसी भी गुट को वोट की कुल कीमत के आधे यानी 5,49,441 वोट चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग गुप्त बैलट के जरिए होती है।

Updated : 17 Jun 2017 12:00 AM GMT
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