अब किसानो को मिलेगा सब्सिडी का लाभ
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योगी सरकार की ओर से किसानों को चार-पांच दुधारू मवेशी खरीदने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया गया है। सरकार जानती है कि दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता में ढाई गुना की बढ़ोत्तरी आसान नहीं है। इसीलिए वह गुजरात की भांति चारागाह विकास, दूध की खरीद-बिक्री, भंडारण, प्रशीतन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग संबंधी बुनियादी ढांचा भी बना रही है। आंकड़ों के मुताबिक 2013 में उत्तर प्रदेश में एक किसान परिवार की मासिक आमदनी 4932रूपया थी, तो खर्च 6230 रूपया। इस प्रकार किसान परिवार को हर महीने 1298 रूपये गैर-कृषि क्षेत्र से जुटाना पड़ता है।
डेयरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि दूध की अंतिम रूप से चुकाई गई कीमत का 70-80 फीसदी हिस्सा किसानों तक पहुंचता है। यह अनुपात किसी भी फसल की बिक्री से मिलने वाली कीमत से ज्यादा है।
ग्रामीण विकास में डेयरी के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2017-18 के बजट में अगले तीन साल में डेयरी संबंधी आधारभूत ढांचा हेतु 8000 करोड़ रूपये आवंटित किया है। इससे प्रतिदिन 5 करोड़ लीटर दूध की प्रासेसिंग क्षमता बढ़ेगी और डेयरी किसानों को हर साल50000 करोड़ की आमदनी होगी। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का लक्ष्य तय किया।
संगठित डेयरी के अभाव में उत्तर प्रदेश का अधिकांश दूध असंगठित क्षेत्र में बेचा जाता है, जिससे किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाती है। दूसरी ओर गुजरात में अमूल 36 लाख किसानों से हर रोज 177 लाख लीटर दूध खरीदता है। गौरतलब है कि 2015-16 में उत्तर प्रदेश में 36380 मिलियन लीटर दूध का उत्पादन हुआ जबकि गुजरात में 12260 मिलियन लीटर। दूध प्रसंस्करण करने वाली इकाइयों की स्थापना में भी उत्तर प्रदेश पिछड़ता जा रहा है।
प्रदेश में नोडल एजेंसी प्रादेशिक कॉऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन है। इनके तहत लाभार्थियों को सब्सिडी पर लोन उपलब्ध कराया जा रहा है।
इसके साथ-साथ अब योगी सरकार की ओर से किसानों को चार-पांच दुधारू मवेशी खरीदने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया गया है। इन कोशिशों के कामयाब होते ही डेयरी क्षेत्र उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदल देगा।