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मुख्यमंत्री की कायल हो गई अटेर

मुख्यमंत्री की कायल हो गई अटेर
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अनिल शर्मा

भिण्ड। अटेर उपचुनाव में मामूली बोटों से जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ठीक उसी तरह प्रफुल्लित है, जिस तरह नंगा के घर पीतल आई, बाहर धरें के भीतर। सहानुभूति के बल पर अटेर का चुनाव जीतने के बाद अपनी एकता का कुछ इस तरह ढिंढोरा पीट रही है कि अब भोपाल उससे दूर नहीं है। कांग्रेस सिंधिया के नेतृत्व में 2018 के आम चुनाव की पतवार किनारे लगाने का सपना देखने लगी है। लेकिन चुनाव हार कर भी आज मुख्यमंत्री ने अटेर का दिल जीत लिया और मुख्यमंत्री के व्यवहार से अटेर उनकी कायल हुई है। चुनाव परिणाम को आए एक माह भी नहीं हुआ है और मुख्यमंत्री ने अटेर के उन ग्रामों में पुन: जाना तय किया जिनके यहां वे चुनाव के दौरान रुके थे। या जिन दलित परिवारों के संग भोजन किया था। अटेर के नरसिंहगढ़ गांव में रात्रि को आधी रात में मुख्यमंत्री शिवराज चुनाव के दौरान पहुंचे थे और अनुसूचित परिवार के बीच उनके सुख-दुख की न केवल चर्चा की, बल्कि भोजन भी साथ किया फिर गांव का पसंदीदा लांगुरिया भी साथ बैठकर गाया। वे गांव की बेटियों व बेटों से ऐसे हिलमिल गए शायद उनके सगे मामा भी इस तरह कभी न उनसे मिले हों, अक्सर गांव के लोग नेताओं पर टिप्पणी कर ही देते हैं, आज तो चुनाव है सो घर-घर जा रहे हो और रोटीअऊ खा रहे हैं। चुनाव के बाद कोऊ नहीं दिखत, इस बात को शायद ही अभी तक किसी नेता ने गंभीरता से लिया हो, लेकिन मुख्यमंत्री को यह बात घर कर गई और अटेर चुनाव हारने के बाबजूद भी उन्होंने अटेर से फिर मिलने की ठान ली।

अटेर के दलित बाहुल्य गांव नरसिंहगढ़ व टीकरी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंचे तो नरसिंहगढ़ में तामझाम लगा देख नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम गांव वालों से मिलने आए हैं। उनकी सुनने आए हैं। हमारे और हमारी जनता के बीच कोई दीवार नहीं बन सकता, उन्होंने मंच पर नेताओं से माला पहनने से इन्कार करते हुए सीधे ग्रामीणों को मंच पर बुला लिया और पुलिस वालों को निर्देश दिए कि कोई नहीं रोकेगा, उन्हें आने दो। उनकी एक आवाज पर ही सुरक्षा की सारी दीवारों को लांघते हुए गांव के लोग मुख्यमंत्री के बीच थे। तब मुख्यमंत्री गांव को विकास के लिए क्या चाहिए बताओ, ग्रामीणों ने जो मांगा सो दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव का विकास गांव के लोग ही तय करेंगे। उन्होंने कहा कि हार-जीत तो होती रहती है। लेकिन आपने स्नेह का जो बंधन जोड़ा है, वह अमिट है, कभी नहीं टूटेगा। न भूतो न भविष्यते यह तो नहीं कह सकते, लेकिन वाकई में अब तक प्रदेश को ऐसा लोकप्रिय मुख्यमंत्री नहीं मिला जो सत्ता में रहते हुए भी सीधे जनता से जुड़ाव रखता हो। प्रदेश को पहला ऐसा मुख्यमंत्री शिवराज के रूप में मिला है। जो लोगों के दिलों पर राज करता है। क्या बच्चा, क्या बूढ़ा, जवान या फिर माता-बहनें सभी के लाड़ले हैं शिवराज। हर व्यक्ति उन पर अपना हक समझता है। तो वे भी किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचने देते। वैसे तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले में अनवरत दौरे हुए हैं। बड़ी-बड़ी सभाएं हुईं और मुख्यमंत्री जी ने कई सौगातें भी दीं। लेकिन आज का मुख्यमंत्री का दौरा ऐसा कुछ संदेश दे गया जो विरोधियों ने सोचा तक नहीं होगा। वेशक अटेर में भाजपा मामूली अंतर से चुनाव हार गई है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भाजपा को अटेर की जनता का दिल जीतकर हार कर भी जिता दिया। अटेर हमेशा के लिए उनकी कायल हो गई है। अपार नेतृत्व क्षमता के धनी सरल स्वभाव के व्यक्तित्व वाले शिवराज आज सिर्फ इसलिए तीन गांव में पहुंचे, क्योंकि उन्होंने गांव की बेटियों को फिर आने का वादा किया था। सरकार आती है जाती है, लोग चुनाव जीतते हैं और हारते हैं, लेकिन ऐसे विरले ही लोग होते हैं जो जनता से आत्मीय सीधा रिश्ता जोड़ पाते हैं।


Updated : 5 May 2017 12:00 AM GMT
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