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कम्युनिस्टों ने भारतीय शिक्षा को किया ध्वस्त

इलाहाबाद। देश में शिक्षा नीति को लेकर संघ परिवार विचार बहुत लंबे से कर रहा है। अनुकूलता आती है तभी गति में परिवर्तन होता है। गिरती शिक्षा को कम्युनिस्टों ने बढ़ावा दिया और जब से कांग्रेस की सरकार रही शिक्षा का स्तर गिरा। एक बार एनडीए सरकार आयी तो उसकी जड़ें हिली लेकिन जैसे ही सरकार गयी तो उसके बाद शिक्षा के खिलाफ लंबा षड्यंत्र चला।
उक्त बातें पद्मश्री ब्रह्मदेव शर्मा ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के बैनरतले मोती लाल नेहरू महाविद्यालय में आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला के प्रथम सत्र में कही। उन्होंने आगे कहा कि 2004 में शिक्षा बचाओ मंच गठित किया था और उसी के बाद से न्यास का गठन हुआ। देश में राष्ट्रीय विचारों की शक्ति का संकल्प लेकर कार्य करेंगे तभी सफलता मिलेगी। कहा कि देश में छह लाख 40 हजार गांव हैं और समाज में शिक्षा, स्वाभिमान व स्वावलम्बन होना चाहिए। जो शिक्षा के लिए अच्छे कार्य कर रहे हैं हम उन्हें मंच देंगे।

समस्याओं पर नहीं समाधान पर चर्चा करनी है: अतुल कोठारी

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि पं.मदन मोहन मालवीय की जन्मभूमि पर यह कार्यशाला आयोजित हो रही है इससे बड़ा महत्वपूर्ण और क्या हो सकता है। समस्याएं तो एक से बढ़कर एक आती रहती हैं लेकिन समस्याओं के समाधान पर चर्चा करना है। समस्याओं पर चर्चा करने से समाधान नहीं होता। लेकिन इस कार्यशाला में देश की शिक्षा पर चर्चा होगी, जो दूर तक जायेगी। उन्होंने सर्वप्रथम समय को मूल्यवान बताते हुए कहा कि समय का प्रबंधन सबसे बड़ा मूल्य है, इस पर सभी को ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में दो प्रस्ताव पारित होंगे। कहा कि 2011 का प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया गया था, जिस पर मोहर लगी है, जिसके लिए एक धन्यवाद प्रस्ताव पारित करेंगे।
भारत सरकार के सालीसिटर जनरल अशोक मेहता ने स्वागत भाषण में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विवेकानंद, अरविन्दो, सावरकर, दादाभाई नौरोजी आदि का शिक्षा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है। इन्होंने जो किया क्या उस पर शोध नहीं होना चाहिए। कहा कि इस देश का हर परिवार वैभव को प्राप्त कर ले तो राष्ट्र सुखी व सम्पन्न रहेगा। हर व्यक्ति अपनी जिन्ह्वा पर ध्यान दे तो आधे न्यायालय व चिकित्सालय बंद हो जायेंगे। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ एसपी सिंह ने कहा कि संगमनगरी का यह अद्भुत संगम है, जहां देश के कोने कोने से लोग आए हैं। ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर मेडिकल कालेज गौरवान्वित है। उन्होंने कहा कि देश की साक्षरता 74 प्रतिशत है। सबसे अच्छी साक्षरता केरल में 94 प्रतिशत तथा सबसे कम बिहार में है। अंत में कहा कि किसी देश के विकास का सबसे बड़ा पैमाना शिक्षा व स्वास्थ्य है।

केन्द्रीय विद्यालय के आयुक्त संतोष मल्ल ने कहा कि केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए की थी, जिससे उन्हें सुविधाएं भी मिले। कार्यशाला में जो बातें निकलकर आयेगी उस पर अमल किया जायेगा। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में शारीरिक शिक्षा पर जोर दिया। राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को सर्वगुण सम्पन्न बनाती है और ऐसा सिम्बल देती है जिसको वह धारण करके समाज में अपना योगदान देता है। शिक्षा को जितना परिमार्जित किया जायेगा उससे शिक्षा सर्वांगीण होगी। कहा कि पुस्तकीय ज्ञान एक सीमा में बंधा हुआ ज्ञान है। हमारी सोच वैश्विक होनी चाहिए। आज ज्ञान-विज्ञान एक उद्योग का रूप ले चुका है, व्यापार नहीं। हमारे प्रधानमंत्री एक नया भारत बनाना चाहते हैं, इसलिए शिक्षा पर एक नीति बननी चाहिए। शिक्षा के सोपान तय करना होगा कि किस प्रकार उसे कर्मयोगी बनाया जाय। हर व्यक्ति वैज्ञानिक नहीं बन सकता।
इसके पूर्व बटुकों ने स्वस्ति वाचन किया तथा अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो.हरि शंकर उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में पूरे देश से न्यास के कार्यकर्ता व देश के अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा शिक्षण संस्थानों के प्रमुख लोगों सहित शिव नारायण, मनोजजी, डॉ राधासत्यम् सहित कई लोग उपस्थित रहे।

Updated : 5 May 2017 12:00 AM GMT
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