सहारा अस्पताल के संचालक डॉ. भल्ला के यहां पूरी हुई आयकर की कार्रवाई
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नोटबंदी के दौरान हुआ करोड़ों का खेल, अब होगी कागजों की स्क्रूटनी
ग्वालियर। अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य एवं सहारा अस्पताल के संचालक डॉ. ए.एस. भल्ला के यहां आयकर विभाग की इंवेस्टीगेशन विंग की छापामार कार्रवाई शुक्रवार को पूरी हो गई है। सूत्रों के अनुसार डॉ. ए.एस. भल्ला पर आयकर विभाग की यह कार्रवाई नोटबंदी के दौरान करोड़ों रुपयों को इधर से उधर करने को लेकर की गई है। आयकर विभाग के अनुसार मामले की पूरी जांच होने के बाद करोड़ों रुपए की काली कमाई उजागर हो सकती है, जो अब तक सरकार की नजर से बची हुई थी।
उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग शहर में नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 के पुराने नोटों को इधर से उधर करने को लेकर वर्ष 2016 के अंत में छोटे और बड़े व्यापारियों पर कार्रवाई कर चुका है। इस दौरान विभाग ने इन लोगों से 150 से 200 करोड़ रुपए तक जमा कराए थे। इसी क्रम में रायपुर के शराब करोबारी के ठिकानों पर हुई सर्वे की कार्रवाई को लेकर आयकर विभाग की इंवेस्टीगेशन विंग द्वारा सहारा अस्पताल के संचालक डॉ. ए.एस. भल्ला के यहां भी सर्वे की कार्रवाई बुधवार को शुरू होकर शुक्रवार को समाप्त हो गई है। आयकर विभाग को कार्रवाई के दौरान कई बौगस कंपनियों और पुराने नोटों के बदले में बड़े स्तर पर सोने की खरीदी और बैंकों में जमा हुए पैसे को लेकर जानकारी हाथ लगी है। आयकर विभाग ने डॉ. भल्ला के अधिकतर कागजों की जब्ती भी कर ली है। अब इन कागजों की स्कूटनी की जाएगी और इसके उपरांत ही बड़े जुर्माने आदि की कार्रवाई भी होगी।
अपने आपको बचाने के लिए फाइलों में लगाई आग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. भल्ला के घर में कुछ महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज रखे हुए थे। अगर यह सभी कागज आयकर विभाग के हाथ लग जाते तो नोटबंदी के दौरान रुपयों का जो उलट-फेर हुआ है, वह आयकर विभाग के अधिकारियों की नजर में आ जाता। अत: इस बात को भांपकर और अपने आपको बचाने के लिए इन सभी फाइलोें और कागजों में गुरुवार के दिन आग लगा दी गई। वहीं आयकर विभाग के अधिकारी इन कागजों और फाइलों को सर्वे की कार्रवाई से जोड़कर देख रहे हैं। आयकर विभाग के कुछ ऐसे अधिकारी, जो इस कार्रवाई से दूर तो हैं, लेकिन उनका कहना है कि जिन अधिकारियों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है, उन्हें सर्वे के स्थान पर छापामार कार्रवाई करना चाहिए थी, जिससे विभाग को जलने वाले सभी मूल दस्तावेज हाथ लग जाते और शराब करोबारी के साथ जो कारोबार हुआ है, उसका खुलासा हो सकता था।