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रात के अंधेरे में लोगों को दौड़ा रहे हैं आवारा श्वान

रात के अंधेरे में लोगों को दौड़ा रहे हैं आवारा श्वान
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बच्चों को काट रहे आवारा श्वान, निगम खामोश
ग्वालियर,न.सं.।
आवारा और पागल श्वान शहर के लिए खतरनाक होते जा रहे हैं। रात के अंधेरे में बाइक और कार के पीछे दौड़ने वाले श्वान अब दिन में हमला करने लगे हैं। पैदल चलने वालों को 10-12 के झुंड में श्वान घेरकर झपट्टा मार रहे हैं। इनके कारण शहर के कई इलाके खतरनाक बन चुके हैं। पिछले 10 दिन में श्वानों ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 8 से 10 लोगों को जख्मी किया है। जिला अस्पताल में रोजाना 2-3 और निजी अस्पतालों में 5-7 लोग जख्मी होकर पहुंच रहे हैं। इधर नगर निगम द्वारा श्वान को पकड़ने का अभियान बंद है। इन दिनों सिर्फ नगर निगम का मदाखलत अमला सांडों को पकड़ने में लगा हुआ है। जबकि बीते चार दिनों में सांडों की चपेट में आ रहे लोग घायल हुए हैं ।

वहीं बीते रोज एक बच्ची के गाल पर आवारा श्वान ने काट लिया था। जिसका अभी भी इलाज चल रहा है। लेकिन आवारा श्वानों को पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शहर के अधिकांश कॉलोनी व मोहल्लों में आवारा श्वानों का आतंक है। शिंदे की छावनी, कटी घाटी, सिटी सेंटर में आवारा श्वानों ने राहगीरों को परेशान कर रखा है। मोहल्ले के लोग रात में घर से अकेले निकलने में घबराने लगे हैं। श्वानों के झुंड से बचने के लिए लोग भी समूह में निकल रहे हैं। सड़कों पर हर दिन कहीं न कहीं रात में राहगीर इन श्वानों का शिकार हो रहा है।

आवारा सांडो ने जहां दो दिन पूर्व एक छात्रा की जान ले ली वहीं पूरा शहर आवारा कुत्तों से अटा पड़ा हुआ है। यदि प्रत्येक वार्ड में 500 श्वानों को भी मानकर माना जाए तो शहर में करीब 35 हजार आवारा श्वान हैं। इनके काटने पर अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन तक नहीं हैं। मंगलवार को समाधिया कॉालेनी में ही एक आवारा श्वान ने एक सुप्रसिद्ध समाजसेवी पर आक्रमण कर दिया, जिससे वे घायल हो गए हैं। वहीं हार कोटा सीट में पूर्व मंत्री के घर के आस-पास तो श्वानों का अम्बार है जो सुबह-सुबह देखे जा सकते हैं। यह स्थिति एक वार्ड की नहीं है, शहर के सभी वार्डो की है। शहर को स्मार्ट बनाने के पहले नगर निगम को आवारा श्वान, आवारा पशुओं और सांडों से निजात दिलानी होगी। आवारा पशु लंबे समय से शहर पर काबिज हैं, लेकिन एक नन्हीं बच्ची की जान गंवा देने पर नगर निगम कुछ सक्रिय हुआ है। देखते हैं आवारा पशु-विहीन शहर नगर निगम कब बनाता है ग्वालियर को। ा इलाकों में ज्यादा खतरा

शहर के इन इलाकों में ज्यादा खतरा
मुरार, पिंटोपार्क, गोले का मंदिर, बस स्टैंड, स्टेशन बजरिया, पड़ाव, हजीरा, किलागेट, बिरला नगर, चंदनपुरा, कांचमिल, तिकोनिया पार्क, सिटी सेंटर, फूलबाग, सांई मंदिर, दाल बाजार, नया बाजार, मोर बाजार, सिंधी कॉलोनी, कम्पू ईदगाह आदि।

किसी और का बेटा न बने आवारा श्वान का शिकार
आवारा श्वान के काटने की घटना के बाद से अलंकार की मां भी चिंता में पड़ गई हैं। वह अपने बच्चे को स्वयं स्कूल छोड़ने व लेने जाने लगी हैं। अलंकार की मां तृप्ती शर्मा ने नगर निगम प्रशासन से अपील की है कि आवारा श्वान को जल्द से जल्द पकड़ें ताकि किसी और का बच्चा आवारा श्वान का शिकार न हो। श्रीमती शर्मा ने बताया कि सिटी सेंटर इलाके में सैंकड़ों आवारा कुत्ते घूम रहे हैं, जो मौका पाते ही राहगीरों को अपना शिकार बना लेते हैं।

अब तो सड़क पर श्वान देखकर डर जाता हूं
आवारा श्वान के काटने का शिकार हुए सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाले सिटी सेंटर निवासी अलंकार शर्मा आवारा श्वान के काटने से इतने भयभीत हो गए हैं कि वह अब अकेले स्कूल जाने से भी डरते हंै। अलंकार ने बताया कि जब वह घर से रोजाना की तरह स्कूल जा रहे थे, तभी सड़क पर बैठा एक आवारा श्वान उन पर झपटा व पैर से मांस खींच कर भाग गया, बाद में राहगीरों ने किसी तरह मुझे घर तक पहुंचाया उसके बाद मम्मी पापा मुझे अस्पताल ले गए थे। श्वान के काटने के बाद से अब मुझे सड़क किनारे खड़े श्वानों को देखकर भी डर लगने लगा है।

पार्कों में लोगों का घूमना भी हुआ दूभर
शहर के पार्कों में आवारा कुत्तों की इतनी भरमार है कि सैर करना भी लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। लोगों को यही डर सताता है कि कहीं उन पर ये कुत्ते हमला न कर दें।

आवारा श्वान के काटने का शिकार हुए सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाले सिटी सेंटर निवासी अलंकार शर्मा आवारा श्वान के काटने से इतने भयभीत हो गए हैं कि वह अब अकेले स्कूल जाने से भी डरते हंै। अलंकार ने बताया कि जब वह घर से रोजाना की तरह स्कूल जा रहे थे, तभी सड़क पर बैठा एक आवारा श्वान उन पर झपटा व पैर से मांस खींच कर भाग गया, बाद में राहगीरों ने किसी तरह मुझे घर तक पहुंचाया उसके बाद मम्मी पापा मुझे अस्पताल ले गए थे। श्वान के काटने के बाद से अब मुझे सड़क किनारे खड़े श्वानों को देखकर भी डर लगने लगा है।

पार्कों में लोगों का घूमना भी हुआ दूभर
शहर के पार्कों में आवारा कुत्तों की इतनी भरमार है कि सैर करना भी लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। लोगों को यही डर सताता है कि कहीं उन पर ये कुत्ते हमला न कर दें।

नसबंदी ही बचाव
वेटनरी चिकित्सक के अनुसार नसबंदी कुत्तों को रोकने का कारगर और स्थायी उपाय है।

Updated : 10 May 2017 12:00 AM GMT
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