Home > Archived > भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल

भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल

भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल
X

अटेर विधानसभा उप चुनाव इस समय भाजपा व कांग्रेस की नाक का सवाल बन चुका है। यद्यपि एक सीट जीतने या हारने से सत्ता पक्ष या विपक्ष पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला लेकिन अटेर सीट की जीत-हार को सीधे-सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों के साथ-साथ जातीय वोटों के ध्रुवीकरण हेतु हर जाति का नेता अटेर में सक्रिय है तो वहीं इस उप चुनाव में पूरी कांग्रेस एकजुट हो चुकी है। कांग्रेस के प्रत्याशी हेमंत कटारे की हार-जीत कुछ भी हो यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इस उप चुनाव ने कांग्रेस के सभी गुटों को एक जरूर कर दिया है। चाहे ज्योतिरादित्य सिंधिया हों या कमलनाथ। सुरेश पचौरी हों या दिग्विजय सिंह। अजय सिंह हों या डॉ. गोविन्द सिंह। इस चुनाव में सभी का लक्ष्य भाजपा को हराना है। अपने उद्देश्य में कांग्रेस को सफलता भले न मिले लेकिन कांग्रेस का एकजुट हो जाना ही बहुत बड़ी उपलब्धि है। सूत्र बताते हैं कि ज्योति बाबू और डॉ. गोविन्द सिंह के बीच कुछ दिन पूर्व चले बयानों के तीर भी अब फिर से तरकश में समा गए हैं और पुरानी बातों को भूलकर नए सिरे से कांग्रेस को संजीवनी देने का काम कर रहे हैं। अटेर के उपचुनाव में मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने स्वयं चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली है और जहां-जहां खाई दिख रही है उसे पाटने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर दर्जनभर से अधिक मंत्री, केन्द्रीय मंत्री, संगठन के राष्टÑीय एवं प्रांतीय पदाधिकारी सांसद, निगम मण्डल के अध्यक्ष एवं सजातीय नेताओं ने अटेर क्षेत्र के गांव-गांव और घर-घर दस्तक दे दी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की जनता में भाजपा के लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। प्रदेश की जनता के बीच उनकी गहरी पैठ भी है और जनता यह मानती भी है कि शिवराज सिंह की जनहितैषी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है। इसलिए प्रदेश में ज्यादातर उप चुनाव भाजपा ने जीते भी हैं और अटेर भी भाजपा की झोली से बाहर नहीं जाएगा। फिर इतनी ताकत किसी सोची समझी रणनीति के तहत ही लगाई जाना प्रतीत होता है।
यूं तो भाजपा के प्रत्याशी अरविन्द सिंह भदौरिया पूर्व में भी भाजपा के विधायक रह चुके हैं। साथ ही चुनाव लड़ने और लड़ाने में वे महारत हासिल किए हुए हैं। श्री भदौरिया ने जहां भी उप चुनाव की चुनावी कमान संभाली है वहां जीत का परचम ही फहराया है। फिर अटेर में भाजपा को इतनी भीड़-भाड़ जुटाने की जरुरत क्यों पड़ गई? शायद कांग्रेस की एकजुटता को देखकर भाजपा ने यह कदम उठाया हो। अन्यथा भाजपा के प्रत्याशी अरविन्द सिंह भदौरिया न सिर्फ संगठन के तपे-तपाए नेता हैं वरन वे चुनावी गणित को अच्छी तरह समझते भी हैं। वे ऐसे मंजे-मजाए उम्मीदवार हैं कि चुनाव की नीति और रणनीति को पूर्व से ही भांप लेते हैं। अटेर की जनता में उनकी गहरी पैठ है और हर वर्ग उनसे प्रभावित है। रही बात कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की तो हेमंत कटारे जिस सहानुभूति लहर के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं वह सहानुभूति क्षेत्र में दिखाई नहीं दे रही है। साथ ही हेमंत का तो यह पहला चुनाव है ही। इसके पूर्व भी वे पिता स्व. सत्यदेव कटारे के चुनाव में भी कभी ज्यादा सक्रिय नहीं दिखाई दिए। लेकिन अटेर के उप चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे खास बात वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविन्द सिंह का पूरी तन्मयता से चुनाव में लगना है। क्योंकि ज्योति बाबू की जो टीम अटेर में सक्रिय है वह सिर्फ मुंह दिखाई मात्र है।

उस टीम का क्षेत्र में कोई खास प्रभाव नहीं है। जबकि डॉ. गोविन्द सिंह भिण्ड जिले में कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो सक्रिय हो गए तो चुनावी गणित बनाने व बिगाड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं। आज से चौथे दिन अटेर में मतदान होना है और इस चुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा यह भी ईवीएम में बंद हो जाएगा। लेकिन 13 अप्रैल को भाजपा व कांग्रेस के चुनावी योद्धाओं की मेहनत और चुनावी सक्रियता का पता लग जाएगा। साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है। अटेर का जातीय समीकरण कुछ इस प्रकार है कि क्षेत्र में लगभग 14 हजार नरवरिया, 12 हजार गुर्जर, 13 हजार बघेल, 8 या 9 हजार यादव मतदाताओं के साथ लगभग 15 हजार अन्य छोटी-मोटी जातियों के वोट हैं। ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता पहले लगभग बराबर थे लेकिन परिसीमन के बाद लगभग 13-14 हजार क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। शेष वर्ग अनुसूचित जाति वर्ग का है। वर्तमान परिस्थितियों में क्षत्रिय व ब्राह्मण मतदाताओं को छोड़ दें तो पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं को जिसने ज्यादा प्रभावित कर लिया वही बाजी मार ले जाएगा।

****

Updated : 6 April 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top