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धर्म और राष्ट्रहित की रक्षा के लिए राजनीति में प्रवेश गलत नहीं

धर्म और राष्ट्रहित की रक्षा के लिए राजनीति में प्रवेश गलत नहीं
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*संतोष तिवारी

दतिया। धर्म एवं राष्ट्रहित की रक्षा के लिए यदि राजनीति में प्रवेश करना पड़े तो यह गलत नहीं है। ऐसे कई उदाहरण है जबकि देश व धर्म की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर साधुओं ने खडग भी उठाए हैं।

यह बात संत सुश्री रुचि देवी ने अपने दतिया प्रवास के दौरान रविवार को स्वदेश संवाददाता के साथ विशेष बातचीत के दौरान कही।"स्वदेश" कार्यालय में पहुंची साध्वीजी ने इस दौरान अपने साधारण जीवन से साध्वी बनने तक के सफर को इस बातचीत के दौरान साझा किया। उन्होंने बताया कि आज उनकी आयु मात्र 20 वर्ष है। वहीं 9 वर्ष की आयु से वह श्रीमद्भागवत कथा व धर्म का प्रचार देश के कोने- कोने में कर रहीं हैं। म.प्र के जबलपुर के भिटोनी नामक गांव के एक साधारण ब्राह्मण परिवार पण्डित आचार्य रामसुन्दर शुक्ला के यहां जन्मी साध्वी रुचि उन्हीं की प्रेरणा से आज देश व विदेशों में सनातन धर्म व श्रीमद्भागतव कथा के माध्यम से जनजागरण करती आ रही हैं। अपने अब तक के सफर की बात करते हुए उन्होंनें बताया कि उनकी कथाएं आस्था चैनल पर प्रसारित होती हैं उन्होंने कहा कि वह देश, विदेश में अभी तक 96 कथाओं का वाचन कर चुकी हैं। वह धर्म के साथ-साथ सेवा कार्य भी करती हैं कथाओं में आने वाली समस्त दान राशि नारायण सेवा संस्थान उदयपुर राजिस्थान को दान कर देती हैं जिससे विकलांग, निराश्रित व गरीब कन्याओं के विवाहों को प्रोत्साहन के साथ -साथ उन्हें समाज में सिर उठाकर जीने का हक दिलाती हैं। उन्होंने 9 वर्ष की आयु में पहली बार भागवत कथा का वाचन देवमुरलीधाम मंदिर नरसिंहपुर जिले में किया था, आज उनकी कथा कई धार्मिक चैनलों पर प्रसारित होती हंै।

स्वदेश प्रतिनिधि ने जब उनसे राममंदिर निर्माण के सम्बन्ध में प्रश्न किया तो उनका राम मंदिर निर्माण सनातन धर्म के लिए अति महत्वपूर्ण विषय है। योगीजी के आने पर हम इस बात को कह सकते हैं कि वे इस ओर जरूर कोई न कोई बड़ा कदम उठाऐंगे जिससे अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ होगा।

प्रश्न-योगीजी एक बहुत बड़े संत हैं और आप भी राष्ट्रीय स्तर की संत हैं क्या भविष्य में धर्म के लिए आपका राजनीति में आने का कोई विचार है?

इसका जवाब मुस्कुराते हुए देकर उन्होंने कहा कि यदि राजनीति में ऐसा कुछ होता है जिसका हम विरोध करते हैं तब धर्म एवं राष्ट्रहित के लिए आवश्यक हुआ तो हम जरूर राजनीति में आएंग। ऐसे कई उदाहरण हैं कि जब देश व धर्म की रक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो संतो ने धूनी त्याग कर खड़ग भी उठाए हैं।

प्रश्न - वर्तमान में एक बड़ा मुद्दा चल रहा है,तीन तलाक का -क्या इस पर रोक लगना चाहिए।

देवीजी- तीन तलाक पर रोक लगाकर महिलाओं के सम्मान व स्वाभिमाान के साथ-साथ उनके भविष्य को भी सुरक्षित किया जाना चाहिए।

प्रश्न- पर्दा प्रथा के विषय में आपकी क्या राय है

देवीजी- जहां तक स्त्रियों के आगे बढ़ने का प्रश्न है, उन्हें आगे बढ़ने का सम्पूर्ण अवसर मिलना चाहिए। लेकिन लाज, शर्म की दृष्टि से देखा जाए तो मयार्दाओं का होना भी जरूरी है।

प्रश्न- आज जगह-जगह कत्लखानों पर रोक लग रही है-क्या आप इससे सहमत हैं।

देवीजी- प्रत्येक जीव में भगवान का वास होता है इसलिए जीव हत्या करना महापाप है। कत्लखानों पर रोक लगना आवश्यक है और यह पूरे देश में लागू होना चाहिए।

प्रश्न - फिर इतनी गायें मारी-मारी फिरती हैं उनका क्या होगा।

देवीजी- गाय हमारी माता है इसलिए गौ सेवा समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है हमारे संतो व सरकार के द्वारा जगह-जगह गौ शालाओं का निर्माण कराया जाएगा तथा वहां पर गायों को रखकर उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी।

प्रश्न -क्या गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए ।

देवीजी-गाय के रोम-रोम में देवताओं का वास है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गौ माता की सेवा की है इसलिए उन्हें गोपाल कहा जाता है। हमें घर-घर गाय पालना चाहिए यदि स्थान की कमी है तो गौ शाला में जाकर उनकी सेवा धन से नहीं-तन व मन से करना चाहिए और गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिलना चाहिए।

उन्होंने एक प्रश्न के जबाव में कहा कि युवाओं व बच्चों में भगवान के प्रति विश्वास व भक्ति भावना को जाग्रत किया जाए क्योंकि उनका मानना है कि आज के बच्चों की जिंदगी में मोबाइल, आईफोन और वाट्सएप तक ही सीमित हो गई है जिसका परिणाम बच्चों में संस्कारों की कमी के रूप में सामने आ रहा है। बच्चे माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान न करना, घर आए अतिथियों का सत्कार न करना और सामाजिक मायार्दाओं का उल्लंघन करना समाज को भ्रमित करने का संदेश दे रहे हैं। हमें अपने बच्चों को संस्कार के माध्यम संत संगत का भी भान कराना चाहिए।

Updated : 10 April 2017 12:00 AM GMT
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