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भारत को तवांग के बदले अक्साई चिन दे सकता है चीन

भारत को तवांग के बदले अक्साई चिन दे सकता है चीन
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नई दिल्ली| चीन ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जमीन की अदला-बदली का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने संकेत दिए हैं कि अगर भारत उसे अरुणाचल का तवांग वाला हिस्सा लौटा दे, तो वह अक्साई चिन पर अपना कब्जा छोड़ सकता है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब चीन की ओर से इस तरह की 'पेशकश' की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक सीमा विवाद पर भारत से वार्ताकार रहे चीन के पूर्व वरिष्ठ डिप्लोमैट दाई बिंगुओ ने इस बात के संकेत दिए हैं। उन्होंने बिना उल्लेख किए इशारों में कहा कि विवाद सुलझाने के लिए चीन अरुणाचल प्रदेश में तवांग के बदले अपने कब्जे का एक हिस्सा भारत को दे सकता है। माना जा रहा है कि उनका इशारा तवांग के बदले अक्साई चिन के आदान-प्रदान की तरफ है। हालांकि बिंगुओ कुछ साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं लेकिन उन्हें अभी भी चीन सरकार के करीब माना जाता है। 2013 में रिटायर होने से पहले बिंगुओ ने एक दशक से भी अधिक समय तक भारत के साथ चीन की विशेष प्रतिनिधि वार्ता का नेतृत्व किया था।

गौर हो कि अरुणाचल प्रदेश के प्रसिद्ध बौद्ध स्थल तवांग के बदले चीन पूर्वी क्षेत्र में ऐसे ऑफर इससे पहले भी कई बार दे चुका है। वर्ष 2007 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए वर्किंग ग्रुप की घोषणा के ठीक बाद चीन ने यही पेशकश की थी, जिससे पूरी बातचीत खटाई में पड़ गई थी। गौर हो कि तवांग भारत चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर का सामरिक रूप से बेहद अहम इलाका माना जाता है।

तवांग के पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत है। 1962 में चीनी सेना ने तवांग पर कब्जा करने के बाद उसे खाली कर दिया था क्योंकि वह मैकमोहन रेखा के अंदर पड़ता था। चीन अरुणाचल को तिब्बत से अलग करने वाली मैकमोहन रेखा को नहीं मानता है। भारत और चीन के बीच पिछले 32 सालों में विभिन्न स्तरों पर दो दर्जन से ज्यादा बैठकें हुई हैं और इन सभी बैठकों में चीन तवांग को अपना हिस्सा बताता रहा है।

भारत का कहना है कि चीन ने 1962 की लड़ाई में अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग मील इलाके पर कब्जा कर लिया था। अक्साई चिन का यह इलाका वीरान और बर्फीला है जिसे लेकर भारत उतना चिंतित नहीं है, लेकिन चीन कहता है कि इसका कुछ हिस्सा वह भारत को दे सकता है।

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक तवांग का आदान-प्रदान भारत सरकार के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां पर स्थित तवांग मठ तिब्बत और भारत के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। हालांकि अखबार कहता है कि इसके बावजूद यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि बिना किसी तरह की आधिकारिक स्वीकृति के वह इस तरह के बयान नहीं दे सकते।

Updated : 3 March 2017 12:00 AM GMT
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