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भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौती बनी अटेर सीट

भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौती बनी अटेर सीट
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-अटेर उपचुनाव की घोषणा,प्रत्याशी अब तक घोषित नहीं
-कांग्रेस ने शुरू किया सोशल मीडिया पर क्षत्रियों को साधने का प्रचार
ग्वालियर।
अटेर उप चुनाव में 9 को मतदान और 13 अप्रैल को मतगणना की घोषणा होने के बाद अब तक भाजपा व कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है,लेकिन तारीख घोषित होने के बाद सियासी गलियारों में उप चुनाव को लेकर हलचल मचना शुरू हो गई है।

राजनैतिक सूत्र बताते हैं कि अटेर सीट भाजपा के लिए चुनौती बनती जा रही है,वहीं कांग्रेस ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व.सत्यदेव कटारे के पुत्र हेमंत कटारे को अपना उम्मीद्वार अप्रत्यक्ष रूप से घोषित कर दिया है। बता दें कि अधिकतर उपचुनाव में जनमत उसी परिवार की ओर रहता है जिसके नेता के दिवंगत होने पर उपचुनाव हो रहे हों, ऐसे में यह उपचुनाव जीतना भाजपा के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा में नाम को लेकर अभी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है,लेकिन बताया जाता है कि भाजपा के तेजतर्रार नेता अरविन्द सिंह भदौरिया का नाम प्रमुखता से इस सीट के लिए तय होना बताया जा रहा है। वहीं भाजपा से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सेवानिवृत पुलिस अधिकारी अशोक भदौरिया भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। बताया जाता है कि भाजपा इस सीट पर ठोक बजाकर ही उम्मीदवार उतारेगी। यही कारण है कि प्रदेश भाजपा इस सीट को अपने कब्जे में लेने के लिए कई माह से मंथन कर रही है कि ऐसा प्रत्याशी चुनावी समर में उतारा जाए जो पार्टी को जीत दिला सके। सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन में भाजपा अपने नाम का खुलासा कर सकती है।

जातिगत समीकरण करते हैं जीत की दिशा तय
बता दें कि भिण्ड और मुरैना क्षेत्र में कोई भी चुनाव हों इसमें जातिवादी समीकरण हमेशा से हावी रहते हैं। अटेर उपचुनाव में ब्राहम्ण और क्षत्रिय के वोट ही तय करेंगे कि पलड़ा किसका भारी रहेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद भदौरिया इस क्षेत्र में लंबे समय से लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं वहीं कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार हेमंत कटारे ने क्षेत्र में चुनावी प्रचार बहुत पहले से ही करना शुरू कर दिया है।

चंबल क्षेत्र का अपना अलग चरित्र
प्रदेश में जब कोई भी चुनाव होते हैं तो सबसे ज्यादा नजर भिण्ड और मुरैना क्षेत्र में देखी जाती है। यहां का अपना एक अलग हिसाब है। इतिहास गवाह है कि कोई भी ऐसा चुनाव यहां नहीं हुआ है जहां अशांति न फैली हो। बात-बात में जे भिंड जिला है, यहां के लोगों की जुबान पर रहता है। यहां लोग उसी नेता को दमदार मानते हैं, जो उन्हें खदान,राशन की दुकान और बंदूक का लाइसेंस आसानी से दिलवा दे। अटेर उपचुनाव की भी यही कहानी देखने को मिल रही है।

लगातार कोई भी नहीं जीता अटेर सीट
अटेर विधान सभा चुनाव की खास बात यह रही है कि यहां से भाजपा और कांग्रेस के उम्म्मीदवार लगातार चुनाव नहीं जीते हैं। कांग्रेस के सीट जीतने के बाद दूसरी बार के चुनाव में कांग्रेस हारी है वहीं भाजपा के साथ भी यही स्थिति रही है। इसका कारण यही है कि लोगों की उम्मीदों पर जीते गए प्रत्याशी का खरा न उतरना। भाजपा इस बात को बेहतर जानती है कि इस बार का चुनाव उसके लिए करो या मरो जैसा रहेगा।

इनका कहना है
पार्टी किसी को भी अटेर उपचुनाव में प्रत्याशी घोषित करें। हम पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव में अपना योगदान देंगे और जीत तय करेंगे।

अरविंद भदौरिया
प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा

मुझे विश्वास है कि मैं भाजपा से ही टिकट लेकर चुनाव लडूÞंगा। इसके लिए मैंने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। अगर टिकट नहीं मिलता है तो मैं दूसरी पार्टी से भी खड़ा हो सकता हूं।

अशोक भदौरिया
पूर्व पुलिस अधिकारी

अभी हम उप्र के चुनाव में व्यस्त हैं। पार्टी प्रभारी ही अटेर उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करेंगे, हम कुछ नहीं बता सकते हैं।

रामवीर कुशवाह
बसपा जिलाध्यक्ष

Updated : 11 March 2017 12:00 AM GMT
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