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जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक ने डॉ. अचल गुप्ता को नोटिस देकर कहा- अस्पताल की छवि हो रही धूमिल, जवाब दें

जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक ने डॉ. अचल गुप्ता को नोटिस देकर कहा- अस्पताल की छवि हो रही धूमिल, जवाब दें
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काम से बचने के लिए अवैध रूप से बुलाते हैं चिकित्सक
ग्वालियर|
कहा जाता है कि किसी भी संगठन य विभाग को संचालित करने के लिए एक मुखिया की जरूरत होती हैं, जो अपने संगठन या विभाग का नेतृत्व करता है। लेकिन जब वह मुखिया खुद ही ठीक न हो तो फिर वह अपने विभाग को कैसे ठीक रूप से संचालित कर सकता है? कुछ ऐसी ही स्थिति इन दिनों जयारोग्य चिकित्सालय के सर्जरी विभाग की बनी हुई है, जिसके विभागाध्यक्ष को विभाग में हो रहीं घटनाओं से कोई वास्ता ही नहीं है। इसके चलते अब विभाग में आए दिन मरीजों से पैसे वसूलना, मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना जैसे कई घटनाएं सामने आ रही हैं।

अब अस्पताल के अधीक्षक द्वारा विभागाध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए जबाव मांगा है, साथ ही विभाग में प्रशिक्षण ले रहे नर्सिंग छात्रों पर नजर रखने की बात कही गई है। अधीक्षक डॉ. जे.एस. सिकरवार ने सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. अचल गुप्ता को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सर्जरी विभाग में बार-बार मरीजों से पैसे मांगने व मरीजों के उपचार में लापरवाही की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसके कारण अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है, इसका स्पष्टीकरण दिया जाए। इसके साथ ही डॉ. सिकरवार द्वारा अस्पताल के सभी विभागों को नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि जिन महाविद्यालय के नर्सिंग छात्र-छात्राएं अस्पताल में प्रशिक्षण लेने के लिए आ रहे हैं, उन पर नजर रखी जाए एवं यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी छात्र अपना पहचान पत्र व महाविद्यालय के निर्धारित गणवेश में ही प्रशिक्षण लेने के लिए आएं। इतना ही नहीं विगत दिवस लगातार सर्जरी विभाग में दो मामले सामने आने के बाद भी विभागाध्यक्ष द्वारा अभी तक किसी भी मामले में न तो कोई कार्रवाई की गई, और न ही कोई जांच कराई गई। जबकि विभाग में दान के नाम पर पैसे मांगने के मामले में अस्पताल प्रबंधन द्वारा पहले ही विभागाध्यक्ष को नोटिस जारी किया जा चुका है। इतना ही नहीं वर्ष 2016 में एक मरीज के परिजन ने अधीक्षक से शिकायत करते हुए कहा था कि डॉ. अचल गुप्ता द्वारा उन्हें धमकाया गया था, साथ ही उन्हें भगाने की बात कही थी। जिससे साफ है कि जब खुद विभागाध्यक्ष ही गलत है तो उनके विभाग के अन्य जूनियर चिकित्सक क्यों न मरीजों को परेशान करेंगे। उल्लेखनीय है कि सर्जरी विभाग का यह कोई पहला मामला नहीं हैं, सर्जरी विभाग के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा मरीजों के साथ अभद्र भाषा में बात करना, परिजनों के साथ मारपीट करना जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। लेकिन उसके बाद भी विभागाध्यक्ष को विभाग में हो रही गतिविधियों से कोई वास्ता नहीं रहता है, जिस कारण अब विभागाध्यक्ष विभाग की व्यवस्थाएं सुधारने में असफल होते नजर आ रहे हैं।

कॉलेज काउंसल्ािंग को भेजे नाम
सर्जरी विभाग में मरीजों से दान के नाम पर पैसे मांगने वाले मामले में जूनियर चिकित्सक डॉ. अयोन शर्मा का नाम सामने आया था, साथ ही विगत दिवस बर्न यूनिट में पकड़े गए छात्र ने जूनियर चिकित्सक शरद शर्मा का नाम लिया था। जिसके चलते अधीक्षक डॉ. सिकरवार ने दोनों छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कॉलेज काउंसलिंग को पत्र लिखा है, जहां से दोनों छात्रों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

जयारोग्य चिकित्सालय में कई नर्सिंग एवं आयुर्वेद महाविद्यालय के कई छात्र-छात्राएं बिना महाविद्यालय की अनापत्ति प्राप्त किए ही जूनियर चिकित्सकों के साथ सांठगांठ कर अस्पताल में प्रशिक्षण लेने आते हैं। जिसकी जानकारी खुद महाविद्यालय के अधिकारियों को नहीं रहती। इतना ही नहीं प्रशिक्षण के लिए कई ऐसे छात्र भी आते हैं जो प्रथम वर्ष में होते हैं, जिन्हें अस्पताल के जूनियर चिकित्सक मरीजों को इंजेक्शन लगवाना, ड्रिप लगवाना जैसे कई काम कराते हैं। लेकिन इस मामले के खुलासे के बाद भी महाविद्यालय में अभी भी बिना आई कार्ड के प्रथम वर्ष के नर्सिंग छात्र काम कर रहे हैं।

इन महाविद्यालयों को है अनुमति
जयारोग्य चिकित्सालय में प्रशिक्षण लेने के लिए कैंसर नर्सिंग महाविद्यालय, ग्वालियर नर्सिंग, जय नर्सिंग, ग्रन्थम नर्सिंग, इंजीनियरिंग कम्बाइंड नर्सिंग, के.एस. नर्सिंग, गौतम नर्सिंग महाविद्यालय को अनुमति प्रदान की गई है। इसके साथ ही अस्पताल में प्रशिक्षण लेने के लिए महाविद्यालय प्रतिवर्ष एक छात्र से सात हजार पाच सौ रूपए जमा कराता है। लेकिन इस महाविद्यालय के अलावा भी कई महाविद्यालयों के छात्र प्रशिक्षण लेने के लिए अस्पताल में पहुंचते हैं। विगत दिवस जब सर्जरी विभाग में दान के नाम पर मरीजों से पैसे मांगने वाले मामले में दयाल महाविद्यालय का छात्र सामने आया था। इतना ही नहीं बर्न यूनिट में पकड़े गए छात्र ने अपने बयान में बताया था कि वह अस्पताल में इस्कॉन नर्सिंग महाविद्यालय व शिवनाथ नर्सिंग महाविद्यालय के नर्सिंग छात्रों के साथ बर्न यूनिट में रूका करता था। जिससे अब अस्पताल प्रबंधन पर प्रश्न उठ रहा है।

नहीं बना सकते नर्सिंग होम में चेम्बर, बुधवार तक चल रही है वेटिंग
जयारोग्य की ओपीडी में जहां समय खत्म होते ही चिकित्सक अपने चेम्बर को छोड़ कर चले जाते हैं, वहीं दूसरी ओर चिकित्सकों की निजी क्लीनिक पर दो से तीन दिन तक की वेटिंग चलती है। डॉ. अचल गुप्ता सर्जरी विभागाध्यक्ष होने के बाद भी एस.एम हॉस्पीटल में मरीजों को देखते हैं, जब एस.एम. हॉस्पीटल में फोन कर मरीज को दिखाने के लिए नम्बर लगाने की बात कही गई तो हॉस्पीटल द्वारा बताया गया कि बुधवार तक मरीजों के नम्बर फुल हो चुके हैं, अब डॉ. अचल गुप्ता को दिखाना है तो आपको मंगलवार को नम्बर लगाना होगा और बुधवार को आपका नम्बर आएगा। जिससे साफ है कि किस तरह डॉ. गुप्ता जयारोग्य से ज्यादा एस.एम हॉस्पीटल में मरीजों को देखते हैं। इतना ही नहीं शासन के नियम अनुसार किसी भी निजी चिकित्सालय में कोई भी शासकीय चिकित्सक न तो अपनी सेवाएं दे सकता है, और न ही अपना चेम्बर बना सकता है, फिर भी डॉ. अचल गुप्ता एस.एम हॉस्पीटल में मरीजों को देखते हैं।

एस.एम. हॉस्पीटल से जुड़े हैं तार, मरीजों को किया जाता है शिफ्ट
सूत्रों की माने तो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. अचल गुप्ता जयारोग्य से ज्यादा माधव डिस्पेंसरी के सामने स्थित एस.एम हॉस्पीटल में मरीजों को देखते हैं। विभाग के जूनियर चिकित्सकों द्वारा कई बार मरीजों को परेशान किया जाता है, साथ ही उन्हें बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के नाम पर एस.एम हॉस्पीटल में भेजा जाता है, जहां मरीजों से पैसे लूटे जाते हैं।

छात्र को छुड़ाने थाने पहुंचे सर्जरी के चिकित्सक
गत दिवस बर्न यूनिट में चिकित्सक बन मरीजों का इलाज करना वाला फर्जी चिकित्सक को कंपू थाने को अस्पताल प्रबंधक ने सौंप दिया था। जिसे सर्जरी विभाग के ही आरएसओ डॉ. मनीष सिंह, डॉ. राघवेन्द्र, जूनियर चिकित्सक डॉ. शशांक, डॉ. श्याम शर्मा छात्र को छुड़ाने के लिए थाने पहुंचे और थाने में कहा कि छात्र को किसी काम के लिए बर्न यूनिट में बुलाया गया था उसकी कोई गलती नहीं है। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि प्रबंधक के ही चिकित्सक उस छात्र पर विगत तीन दिनों से निगरानी रखे हुए थे।

इनका कहना
मेरी जानकारी में दोनों मामले हैं, कोई छात्र अगर अस्पताल में काम कर रहा था, तो इसकी जानकारी क्यों नहीं ली गई ऐसे ही कोई भी छात्र बाहर से आकर मरीजो को उपचार नहीं दे सकता, इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

एस.एन. रूपला, संभागायुक्त

Updated : 28 Feb 2017 12:00 AM GMT
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