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प्रिया प्रियतम को राधारानी मंदिर में धराए 56 भोग

मथुरा। कान्हा की आल्हादिनी शक्ति राधा रानी की जन्मभूमि रावल में प्रिया प्रियतम का उत्सव श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया। भक्तों ने रासेश्वरी संग रासेश्वर को 56 प्रकार के व्यंजन धराये और रसिकों ने मधुरिम स्वरों में भजन गायन कर रंग रस की बरसात की।

भक्त समुदाय ने प्रिया प्रियतम उत्सव आयोजित किया। मां के आंगन में रसोई तैयार कराई और शुद्ध स्वादिष्ट व्यंजन प्रिया प्रियतम को अर्पित किए। संगीत मण्डल के सदस्यों ने भक्त महिला-पुरुषों के स्वरों में स्वर मिलाकर मन भूल मत जाना राधा रानी के चरण, कान्हा बरसाने में आइ जइयो, बधाई गायन आदि भजन प्रस्तुत कर समां बांधा। इस दौरान दर्जनों महिलाओं-युवतियों, पुरुषों संग बच्चों ने जमकर नृत्य किया। श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर को सुगंधित पुष्पों से सजाया-संवारा भी। इत्रादि की सुगंध से भी मंदिर गर्भ गृह, जगमोहन खूब महके।

महंत ललित मोहन कल्ला मुखिया, जगमोहन कल्ला, राहुल कल्ला ने सेविका रमा देवी आदि ने राधा कृष्ण के प्राचीन श्री विग्रहों का वैदिक मंत्रोच्चरण के बीच अभिषेक-श्रंगार किया। पूर्वान्ह में 56 भोग लगाए और भजन-संकीर्तन का दौर आरंभ हुआ। अपरान्ह में संत-विप्र सेवा की गई। उत्सव के आयोजक प्रहलाद दास भगत, पन्ना लाल वाष्र्णेय आदि ने प्रसाद वितरण एवं विदाई धर्म का दायित्व निभाया।

इस अवसर पर आगरा, हाथरस, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, बलदेव, राया आदि क्षेत्रों के सैकड़ों भक्त महिला-पुरुषों ने प्रिया प्रियतम की सेवा की। दर्शन और परिक्रमा करने का दौर सुबह से दोपहर तथा सायं से देर रात्रि शयन तक निरंतर चलता रहा।

Updated : 15 Feb 2017 12:00 AM GMT
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