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रजिस्ट्री में स्टाम्प शुल्क का गोलमाल, 18 लाख की अंतर राशि जमा करें

रजिस्ट्री में स्टाम्प शुल्क का गोलमाल, 18 लाख की अंतर राशि जमा करें
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ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि। जमीन खरीदार पंजीयन विभाग की मिली भगत से राज्य शासन को लाखों करोड़ों की चपत लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जिलाधीश कार्यालय के पास बेशकीमती जमीन के विक्रयपत्र का है, जिसमें जमीन को मुख्य मार्ग की जगह अंदर की बताकर कीमत छिपाकर कम मूल्य पर रजिस्ट्री करा ली गई, इस घटना की शिकायत जब तहसीलदार और जिला पंजीयक से की गई, तब यह चोरी पकड़ी गई, इसमें कूटरचित दस्तावेज से जमीन को मुख्यमार्ग का न बताकर अंदर का दर्शा दिया गया था। इस मामले में तहसीलदार ने नामांकन रोक लिया है।

वहीं जिला रजिस्ट्रार ने अंतर राशि 18 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 5 झांसी रोड निवासी रचित गुप्ता पुत्र अरूण गुप्ता फर्म मै. प्रेमशांति एण्ड कंपनी ने ग्राम ओहदपुर अलकापुरी से कलेक्ट्रेट मार्ग पर सर्वे क्रमांक 355/3/2 पर कुल रकवा 0.318 हेक्टर जमीन खरीदने का अनुबंध पत्र 7 फरवरी 2016 को रामेश्वर दयाल एवं मनीराम शर्मा पुत्रगण स्व. राजाराम शर्मा से किया जिसमें यह जमीन 5 करोड़ रुपए में खरीदना तय हुआ और 30 लाख रुपए के दो चैक आंध्रा बैंक सिटी सेंटर के अदा किए। बाद में 23 अगस्त 2016 को जब रजिस्ट्री कराई गई तो सारी बातें बदल दी गई। जिसमें जमीन क्रेता का नाम रचित गुप्ता की जगह संगीता गुप्ता पत्नी अरूण गुप्ता करते जमीन की कीमत 5 करोड़ की वजाय 2 करोड़ 98 लाख 10 हजार रुपए बता दी गई। यह सब स्टांप ट्यूटी बचाने के लिए किया गया जिसमें 25 लाख 34 हजार 850 रुपए स्टांप शुल्क अदा हुआ। इस काम को अंजाम उप पंजीयक हरीओम शर्मा ने किया। जिसका पंजीयक क्रमांक एमपी 142592016ए149289 है। यह मामला वैसे तो काफी गुपचुप तरीके से किया लेकिन इसी बीच बारादरी चौराहा निवासी संदीप तिवारी पुत्र आनंद तिवारी ने तहसीलदार और जिला रजिस्ट्रार के यहा शिकायती आवेदन देकर बना-बनाया मामला बिगाड़ दिया। शिकायत में कहा कि ये बेशकीमती जमीन अंदर की न होकर मुख्य मार्ग की है, साथ ही जमीन के चारों ओर दीवार भी खड़ी की है। इस लिहाज से कलेक्टर गाईड लाइन के मुताबिक यह जमीन 5 करोड़ 45 लाख 82 हजार की होने से इस पर 50 लाख 76 हजार 126 रुपए के स्टॉप लगाना चाहिए। तहसीलदार भूपेन्द्र सिंह ने पटवारी रिपोर्ट के आधार पर 4 मार्च 2017 को अपने आदेश में शिकायत को सही मानते हुए इसे कूटरचित दस्तावेज से तैयार बताया गया। वहीं जब यह शिकायत जिला रजिस्ट्रार दिनेश गौतम के पास पहुंची तो उन्होंने पक्षकारों, गवाहों और उप पंजीयक हरीओम शर्मा को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए तलब किया।

हड़बड़ाहट में हरीओम शर्मा ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें वार्ड क्रमांक 60 के तहत ओहदपुर से विवेकानंद नीडम मुख्य मार्ग के कार्नर में इस जमीन को पाया। उन्होंने इस जमीन की कीमत 4 करोड़ 98 लाख 20 हजार रुपए का मानते हुए अंतर राशि 18 लाख 41 हजार 430 रुपए निकाली। उप पंजीयक की रिपोर्ट के आधार पर श्री गौतम ने 26 अक्टूबर 2016 को गलत ढंग से पंजीयन का दोषी मानते हुए संगीता गुप्ता को अंतर राशि जमा करने के आदेश दिए।

गवाहों के बयान ने बिगाड़ा खेल

इस मामले में जांच के दौरान विक्रय अनुबंध पर गवाही देने वाले भूपेन्द्र नागर पुत्र दामोदर नागर और अरूण शर्मा पुत्र प्रकाश शर्मा ने शपथ पत्र देकर बयान दिया कि नोटरी पीएन शर्मा के समक्ष जो अनुबंध पत्र शर्मा बंधुओं और रचित गुप्ता के बीच हुआ था, उसमें जमीन की कीमत 7.50 करोड़ रुपए थी, इससे गुप्ता का केस कमजोर पड़ गया। हालांकि संगीता गुप्ता की ओर से यह तर्क पेश किया गया कि अनुबंध पत्र निरस्त कर दिया गया था।

आयकर विभाग की नजरआयकर विभाग की नजर

5 करोड़ की जमीन खरीदने के मामले में आयकर विभाग को इसकी जानकारी दी गई या नहीं इसे लेकर क्रेता और विक्रेता दोनों परेशान है। क्योंकि इतनी बड़ी राशि को अपने खातों में दर्शाना जरूरी है।

इनका कहना है

ओहदपुर में संगीता गुप्ता द्वारा खरीदी गई जमीन मामले में जांच के बाद स्टांप शुल्क कम जमा करने पर 18 लाख 41 हजार रुपए जमा करने के आदेश दिए है। यहां तक उपपंजीयक द्वारा मौके पर जाकर स्थल निरीक्षण की बात है तो वह अब संभव नहीं है क्योंकि ई-रजिस्ट्री में इसकी व्यवस्था नहीं है। इसीलिए आवेदन जो दस्तावेज पेश करते हैं उसके आधार पर रजिस्ट्री कर दी जाती है।

दिनेश गौतम, जिला रजिस्ट्रार

Updated : 28 Dec 2017 12:00 AM GMT
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