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भारत में 200 करोड़ साल पुराने जीवन का चला पता

भारत में 200 करोड़ साल पुराने जीवन का चला पता
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बेंगलुरु।
झांसी के निकट बुंदेलखंड के ग्वालियर क्षेत्र में 200 करोड़ साल पुराने सूक्ष्म जीवाश्म की खोज हुई है। पटना विश्वविद्यालय में शिक्षक रह चुके भूवैज्ञानिक नरेश घोष की इस खोज को नागपुर में इंडियन जियोलॉजिकल कांग्रेस के सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया।

पृथ्वी पर जीवन के सबसे प्रारंभिक रूप माने जाने वाले ये सूक्ष्म जीवाश्म आकार में एक मिलीमीटर से भी कम के हैं। इसका निर्माण बैक्टीरिया, फफूंद और अन्य सूक्ष्म जीवों के अवशेष से हुआ है। घोष ने इन जीवाश्म को 200 करोड़ साल पुराने कॉबेर्नेशियस शेल (कार्बन और उसके यौगिक से बना पत्थर) से प्राप्त किया। इन सूक्ष्म जीवाश्म की बाहरी परत सिलिका(एक प्रकार का कड़ा सफेद पत्थर) से बनी है और भीतरी संरचना काबोर्नेट (कैल्साइट) की है। घोष के अनुसार कॉबेर्नेशियस शेल में पाए गए इन जीवाश्म के आकार और विभाजन से ज्ञात होता है कि ये सूक्ष्मजीवों के अवशेष हैं।

उन्होंने माइक्रोस्कोप की मदद से इन शेल का अध्ययन किया। 200 करोड़ साल पुराने जीवों का मिलना 'ग्रेट आॅक्सिजनेशन इवेंट' से भी मेल खाता है। इस प्रक्रिया के बाद पृथ्वी पर आॅक्सीजन की मात्रा में बढ़ोतरी होने से जीवन के विकास की श्रृखंला बनी थी। घोष की खोज पर विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भी मुहर लगाई है।

Updated : 24 Nov 2017 12:00 AM GMT
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