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भारत का प्रेरणादायी इतिहास

इतिहास में जिन महापुरुषों का जीवन प्रसंग प्रेरणादायी है, उस गौरव के इतिहास को राजनैतिक दृष्टि से बदलने के प्रयास सच्चाई पर पर्दा डालने का पाप है। विडंबना यह रही कि राजनैतिक गुलामी को कायम रखने के लिए जिन्होंने इतिहास में फेरबदल कराए, उनको ठीक करना राष्ट्र चिंतन से प्रेरित इतिहासकारों का काम है। आजादी के बाद सेकुलर पाखंड की राजनीति का प्रभाव रहा।

यही नहीं सेकुलर शब्द सत्ता पर काबिज दल के ऐसे गणेश बन गए, जिनके नाम की घंटी बजाए बिना सेकुलर पहचान नहीं हो सकती। जातिवादी, परिवारवादी, व्यक्तिवादी नेतृत्व सेकुलर बिल्ला लगाकर लोगों को सच्चाई से दूर रखने का कर्मकांड करते रहे। जिस तरह तीन तलाक को मुल्ला-मौलवी, इमाम आदि हदीश का उदाहरण देकर इस अत्याचारी रूढ़ी को इस्लामी उसूल बताते हैं, उसी तरह सेकुलर पाखंड मजहबी सांप्रदायिकता का पर्याय बन गया। एक समुदाय को संतुष्ट करने के लिए सेकुलर जहर फैलाया गया। हालांकि मुस्लिम भी अब सेकुलर राजनीति की सच्चाई को समझ गए हैं। चाहे साम्यवादी विचार को दुनिया नकार रही है, लेकिन भारत में ऐसे बुद्धिजीवियों, जिनमें इतिहासकार भी शामिल हैं

जिन्होंने भारतीय गौरवशाली इतिहास को विकृत करने की लगातार कोशिश की। ये वे ही बुद्धिजीवी हैं जो सहिष्णुता के नाम पर अपने बिल्ले वापिस करते हैं। राष्ट्रवादी विचार के नेतृत्व ने भारत को नई ऊंचाई दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो देश के लिए पूरी तरह समर्पित हैं, दुनिया में भारत का गौरव और प्रभाव बढ़ा है। आज दुनिया के सुपर पॉवर देश भारत से हाथ मिलाने को आतुर है। यह स्थिति वामपंथी बुद्धिजीवियों को पसंद नहीं है, इसलिए अब उनकी थोड़ी-बहुत टर्र-टर्र मीडिया में सुनाई देती है। अभी इनके द्वारा विकृत किए गए इतिहास को ठीक करने का काम शेष है। इसी विकृत इतिहास को फिल्मकार लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म में प्रस्तुत किया है। पद्मावती न केवल चित्तौड़ की महारानी थीं, बल्कि वे भारत की मातृशक्ति के लिए सतीत्व की रक्षा और आन-बान-शान और बलिदान की प्रतीक थी। ऐसे प्रेरणादायी जीवन को नाच-गाने और मनोरंजन का माध्यम बनाना भारत की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करना है। यही कारण है कि न केवल राजपूत समाज, बल्कि भारत का समग्र हिन्दू समाज अपना गुस्सा सड़कों पर व्यक्त करने लगा है। मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार ने इस फिल्म पर पाबंदी लगा दी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने कहा कि पद्मावती राष्ट्रमाता हैं। सवाल केवल अभिव्यक्ति की आजादी का नहीं है, महत्व इस बात का है पद्मावती फिल्म ने देश की भावना, संस्कृति और इतिहास को कितना प्रभावित किया है। भावना के प्रबल प्रवाह को कानून या सरकार नहीं रोक सकती।

Updated : 23 Nov 2017 12:00 AM GMT
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