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रामबेटी के इस्तीफे का कई पार्षदों ने किया समर्थन

रामबेटी के इस्तीफे का कई पार्षदों ने किया समर्थन
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-निगमायुक्त के व्यवहार से परेशान हैं कई पार्षद
-बोले- क्षेत्रवासियों की नाराजगी तो हमें सहनी पड़ती है
ग्वालियर। बीते रोज निगम परिषद की बैठक में वार्ड 29 की पार्षद रामबेटी मेहताब सिंह का इस्तीफा भले ही मंजूर नहीं किया गया, लेकिन उनके समर्थन में कई पार्षद आ गए हैं। सभी पार्षदों का यही कहना है कि निगम के अधिकारी मनमानी कर कर रहे हंै। उनकी मनमानी के चलते उन्हें जनता की खरीखोटी सुननी पड़ रही है। निगम आयुक्त के व्यवहार को लेकर नगर निगम के अधिकारियों की मनमानी से आम जनता के साथ अब सत्ता धारी दल के पार्षद भी परेशान हैं।

हालत यह है कि नगर सरकार के अधिकारियों की धींगामस्ती से परेशान होकर बीते रोज सत्ताधारी दल की एक पार्षद ने अपना इस्तीफा ही दे डाला। सत्ताधारी दल के पार्षद द्वारा इस्तीफा देने से यह तो साफ हो गया कि नगर निगम में अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं।

सीधे साधे पार्षदों के वार्ड में जनसमस्याओं के अंबार लगते जा रहे हैं। किसी वार्ड में सड़कें खराब हैं, तो कहीं सीवर का पानी सड़कों पर बह रहा है वहीं किसी वार्ड में स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। संबंधित वार्ड का पार्षद जब अपने क्षेत्र की समस्याओं से नगर निगम के अधिकारियों को अवगत कराकर उनके निराकरण की मांग करता है तो अधिकारी उसकी बात को अनसुना कर देते हंै। लेकिन अगर पार्षद दबंग है, और पार्टी के बडेÞ नेताओ से उसकी अच्छी पैठ है तो निगम के अधिकारी उस पार्षद के वार्ड की समस्या का समाधान भी तुरंत कर देते हैं। ऐसे में सीधे साधे पार्षदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इनका कहना है

जिन वार्डो में विकास कार्य अधूरे हैं उसके लिए पार्षद दल की बैठक रखी जा रही है, मैंने निगमायुक्त को भी बैठक के लिए बोला है, जल्द ही बैठक आयोजित कर सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

विवेक नारायण शेजवलकर, महापौर

पार्षदों ने कहा-निगमायुक्त का व्यवहार ठीक नहीं

मैंने निगमायुक्त को अपने वार्ड की खराब सड़कों का एस्टीमेट बनाकर सौंपा था, लेकिन उन्होंने फाइल ही वापस कर दी। मैने उनसे कहा था कि यदि आपको शंका है तो आप या आपके अधिकारी मेरे वार्ड की सड़कों की दशा देख सकते हैं। लेकिन निगमायुक्त किसी की भी नहीं सुन रहे हैं। वहीं उनसे जब मिलने जाते है तो एक-एक घंटे बाहर बैठाया जाता है। हम लोग जनप्रतिनिधि हैं, लोग हमारे पास यही उम्मीद से आते हैं कि हम उनकी समस्या का समाधान करेंगे, लेकिन हम जब अधिकारियों के पास जाते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती है। निगमायुक्त के बात करने का तरीका सभी को पता है कि वह किस तरीके से बात करते हैं।

रामबेटी मेहताब सिंह कंसाना, वार्ड 29 पार्षद

वार्ड 29 के पार्षद का मैं पूरी तरह से समर्थन करता हूं, निगमायुक्त विनोद शर्मा के बोलचाल का तरीका बहुत बेकार है। मैंने कुछ दिनों पहले अपने वार्ड में टूटी पुलिया के निर्माण की बात कही थी, मैंने कहा था कि पुलिया का निर्माण कराया जाए, नहीं तो कोई दुर्घटना हो सकती है। जिस पर निगमायुक्त ने कहा था कि अभी कोई दुर्घटना तो नहीं हुई है न। जब परिषद में मैंने इस मुद्दे को उठाया तो निगमायुक्त बोलते हैं मेरे पास फाइल भेजों में निर्माण कराता हूं।

गौरी रिंकू परमार, पार्षद वार्ड 4

मैं वार्ड 29 के पार्षद के साथ हूं, जो उस दिन परिषद में हुआ, उसमें पार्षद की कोई गलती नहीं है। नगर निगम के अधिकारी अपने कार्यालय से बाहर निकलकर कहीं नहीं जाना चाहते हैं, अगर निगम के अधिकारी कार्यालय से बाहर निकलेंगे तो सभी समस्याएं ही खत्म हो जाएंगी। लेकिन निगमायुक्त के इशारे पर सभी अधिकारी कार्य कर रहे हैं।

बृजेश गुप्ता, पार्षद वार्ड 27

यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि अब पार्षदों की सुनवाई नहीं हो रही है। पार्षद अपनी समस्याओं को लेकर निगम अधिकारियों के पास पहुंचते हैं, लेकिन उनकी वहां पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। महापौर को सभी पार्षदों के साथ बैठक करना चाहिए, ताकि पार्षदों की समस्याओं का निदान हो।

कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष

Updated : 2 Nov 2017 12:00 AM GMT
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