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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठोकी सैनिकों की पीठ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठोकी सैनिकों की पीठ
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नई दिल्ली। पड़ोसी देशों की ओर से सीमा पर उकसावे की कार्रवाई के बावजूद भारतीय सैनिकों की ओर से संयम के साथ उसका मुंहतोड़ जवाब दिए जाने की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ने समूचे दुनिया को सदैव ही शांति का संदेश दिया है। दुनिया के देशों में भारतीय सुरक्षा बलों की तारीफ हुई है। उन्होंने न केवल दुनिया की रक्षा की है बल्कि उनका दिल भी जीता है। प्रधानमंत्री ने जवानों का जिक्र करते हुए कहा कि इस बार जम्मू-कश्मीर के गुजेज सेक्टर में सुरक्षाबलों के साथ दिवाली मनाना मेरे लिए अविस्मरणीय रहा। उन्होंने कहा कि जहां हमें मौका मिले जब मौका मिले हमारे जवानों के अनुभव जानने चाहिए, उनकी गौरवगाथा सुननी चाहिए । हमारे सुरक्षा-बल के जवान, न सिर्फ़ हमारे बॉर्डर पर, बल्कि विश्वभर में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत के सुरक्षा बलों ने विभिन्न देशों में न सिर्फ लोगों की रक्षा की है बल्कि आमजन का दिल भी जीता है । इस अवसर पर मोदी ने प्रधानमंत्री ने इस दौरान लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने देश के एकीकरण की नींव रखी ।

रविवार को आकाशवाणी पर अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 37वें संस्करण के प्रसारण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर भारत समेच देश के अलग-अलग हिस्सों में संपन्न हुए छठ पूजा का भी जिक्र किया। उन्होंने इस महापर्व की चर्चा करते हुए कहा कि आस्था के महापर्व छठ में उगते सूर्य की उपासना और डूबते सूर्य की पूजा का सन्देश अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है ।

उन्होंने कहा कि दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला महापर्व छठ, हमारे देश में सबसे अधिक नियम निष्ठा के साथ मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। सूर्य और जल महापर्व छठ की उपासना के केंद्र में है, तो बांस और मिट्टी से बने बर्तन और कंद-मूल, इनकी पूजन-विधि से जुड़ी अभिन्न सामग्रियां हैं।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर खादी का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी जयंती पर मैं हमेशा हैंडलूम के लिए खादी की वकालत करता रहता हूं। इसका परिणाम ये हुआ कि इस महीने 17 अक्तूबर को धनतेरस के पर्व पर दिल्ली के खादी ग्रामोद्योग भवन स्टोर में लगभग एक करोड़ बीस लाख रुपये की रिकॉर्ड बिक्री हुई है। उन्होंने कहा कि खादी और हैंडलूम ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाते हुए उन्हें सशक्त बनाने का, शक्तिशाली साधन बनकर उभर रहा है। मोदी ने कहा कि खादी और हैंडलूम ग्रामोदय के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र दिवस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को विश्वभर में यूएन डे मनाया गया। विश्व में शांति स्थापित करने के लिए यूएन के प्रयासों, उसकी सकारात्मक भूमिका को हर कोई याद करता है। हम तो वसुधैव कुटुम्बकम को मानने वाले हैं। यानी पूरा विश्व हमारा परिवार है।

मोदी ने कहा कि हमने नारी समानता पर हमेशा जोर दिया है और यूएन डिक्लरेशन ऑफर ह्यूमन राइट्स इसका जीता-जागता प्रमाण है। इसके शुरुआती दिनों में प्रावधान किया गया था कि ऑल मेन आर बॉर्न फ्री एंड एक्वल। जिसे भारत की प्रतिनिधि हंसा मेहता के प्रयासों से कर लिया गया और बाद में स्वीकार हुआ ‘ ऑल ह्यूमनस बिंग्स ऑर बॉर्न, फ्री एंड इक्वल। वैसे तो ये बहुत छोटा बदलाव लगता है लेकिन एक तंदरूस्त सोच का उसमें दर्शन होता है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में भगिनी निवेदिता को याद करते हुए कहा कि हमारी पुण्य भूमि ऐसे महान लोगों से सुशोभित रही है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है। जिन्हें हम भगिनी निवेदिता भी कहते हैं, वो भी उन असाधारण लोगों में से एक थीं। वो आयरलैंड में मार्गरेट एलिज़ाबेथ नोबेल के रूप में जन्मी थीं लेकिन स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘निवेदिता’ नाम दिया। निवेदिता का अर्थ है वो जो पूर्ण रूप से समर्पित हो। बाद में उन्होंने अपने नाम के अनुरूप ही अपने स्वयं को सिद्ध करके दिखाया। कल भगिनी निवेदिता की 150वीं जयंती थी। वे स्वामी विवेकानंद से इतना प्रभावित हुई, कि अपने सुखी-संपन्न जीवन का त्याग कर दिया और अपने जीवन को ग़रीबों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। भगिनी ब्रिटिश राज में होने वाले अत्याचारों से बहुत आह्त थीं। अंग्रेज़ों ने, न सिर्फ हमारे देश को ग़ुलाम बनाया था बल्कि उन्होंने हमें मानसिक रूप से भी ग़ुलाम बनाने का प्रयास किया था। हमारी संस्कृति को नीचा दिखा कर हम में हीन-भावना पैदा करना, यह काम निरंतर चलता रहता था। भगिनी निवेदिता ने भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित किया।

Updated : 29 Oct 2017 12:00 AM GMT
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