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आसपास के मुद्दों पर लिखना ही नागरिक पत्रकारिता

आसपास के मुद्दों पर लिखना ही नागरिक पत्रकारिता
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मामा माणिकचंद वाजपेयी पत्र लेखक सम्मान समारोह आयोजित


ग्वालियर।
हम जहां के बाशिंदे हैं या जिस शहर व गांव से जुड़े हैं, वहां की ही बात करें। वहां जो समस्याएं या मुद्दे हैं, उन पर पत्र लेखन करें। यही नागरिक पत्रकारिता है। हम ऐसे विषयों पर लिखें, जिन पर मीडिया का ध्यान नहीं है तो निश्चित रूप से समाचार पत्रों में हमें जगह भी मिलेगी और समाज में प्रतिष्ठा भी। यह बात भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने मामा माणिकचंद वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा रविवार को मूर्धन्य पत्रकार, राष्ट्रवादी चिंतक एवं समाजसेवी मामा माणिकचंद वाजपेयी की स्मृति में नई सडक़ स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास भवन के विवेकानंद सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय पत्र लेखक सम्मान समारोह में ‘आज की आवश्यकता नागरिक पत्रकारिता’ विषय पर अपने उद्बोधन में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने की। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलसचिव दीपक शर्मा एवं जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त संचालक डी.डी. शाक्यवार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मुख्य वक्ता श्री उपाध्याय ने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि नागरिक पत्रकारिता में आज जो कुछ चल रहा है, उसमें भावनाओं जैसी बात नहीं है, जबकि पत्र लेखन में भावना से लेकर क्रांति तक का भाव होता था, लेकिन अब धीरे-धीरे पत्र लेखन कम होता जा रहा है। समाचार पत्रों ने भी पत्रों को स्थान देना या तो बंद कर दिया है या फिर कम कर दिया है। पत्र लेखन में कंटेट में भी गिरावट आई है। अत: समाचार पत्रों में पत्रों का कॉलम बंद होने के पीछे केवल बजारवाद ही कारण नहीं है अपितु पत्र लेखकों के कंटेट में कमी भी जिम्मेदार है। अत: हमें पत्र में अपने भाव कुछ इस तरह प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे उसमें कुछ नयापन हो। उन्होंने कहा कि पत्र लेखन आक्रोश की अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम है, लेकिन इसके अलावा देश व समाज में बहुत कुछ सकारात्मक बातें भी हैं, जिन पर भी हमें पत्र लेखन करना चाहिए। ऐसे पत्र बड़ी प्रेरणा का स्रोत भी बन सकते हैं। श्री उपाध्याय ने स्वदेश से पत्र लेखकों की कलम को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रतिदिन न सही कम से कम एक सप्ताह, 15 दिवस या एक माह में एक पृष्ठ पत्र लेखकों को समर्पित करने का आग्रह किया। विशिष्ट अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलसचिव दीपक शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में नागरिक पत्रकारिता पूरे देश में तेजी से बढ़ते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह प्रिंट मीडिया के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे उसे कई महत्वपूर्ण खबरें मिल जाती हैं। संघ के प्रचार-प्रसार विभाग ने भी इसका महत्व समझते हुए इसे और आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण वर्ग प्रारंभ किए हैं। उन्होंने कहा कि मामा जी की स्मृति में न्यास द्वारा वर्ष 2006 से पत्र लेखकों के सम्मान में निरंतर आयोजित किया जा रहा यह कार्यक्रम निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, जिसकी स्तुति की जाना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने कहा कि सोशल मीडिया आसान जरूर है, लेकिन इसका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है, जिससे उसके स्तर में गिरावट आई है, जो चिंता का विषय है, जबकि पत्र लेखन में व्यापक सोच और विचारों का सामजस्य होता है। न्यास का प्रयास पत्र लेखन को पुन: वही स्थान, प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाना है। श्री सचेती ने कहा कि मुख्य वक्ता श्री उपाध्याय ने पत्र लेखकों को समुचित स्थान देने की बात कही है, उस पर हम अवश्य विचार करेंगे। प्रारंभ में मामा जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवल से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अतिथियों का परिचय हेमंत त्रिपाठी ने दिया। न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती, प्रवीण प्रजापति, बृजमोहन शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। अंत में दीपक भार्गव, डॉ. राजेश उपाध्याय, इन्द्रजीत शर्मा एवं निशंत जी आदि ने अतिथियों को स्मृति चिन्द्र भेंट किए गए। कार्यक्रम में कुटुम्ब प्रबोधन पर केन्द्रित ‘हिन्दू गर्जना’ पत्रिका के नवीन विशेषांक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार, पत्र लेखक एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम सह संयोजक नीरज महेश्वरी ने एवं आभार राजलखन सिंह ने किया।

अब संस्कार नाम की चीज नहीं
मुख्य वक्ता गिरीश उपाध्याय ने मामा माणिकचंद वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि मेरी पत्रकारिता की शुरुआत इन्दौर स्वदेश से मामा जी के मार्गदर्शन में हुई। उस समय मैंने मामा जी की उंगली पडक़र पत्रकारिता का संस्कार सीखा, लेकिन आज पत्रकारिता के क्षेत्र में संस्कार नाम की चीज नहीं बची है। अब कोई बटुक नहीं होता, जो गुरु से मंत्र लेकर यज्ञोपवीत संस्कार धारण करे। श्री उपाध्याय ने कहा कि हमें अफवाह और सूचना में अंतर समझने के साथ अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही भी तय करना पड़ेगी। हमें लिखने से पहले इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि हम जो लिख रहे हैं, उससे राष्ट्र का हित होगा या अहित होगा।

इनका हुआ सम्मान
अतिथियों के उद्बोधन से पूर्व तत्काल पत्र एवं समाचार लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। तत्पश्चात निर्णायक मंडल के निर्णय अनुसार स्तम्भ लेखन में डॉ. नीलम महेन्द्र प्रथम, ज्योति दोहरे, जावेद खान, वीरेन्द्र परिहार सांत्वना पुरस्कार, पत्र लेखन में उदयभान रजक प्रथम, शुभि जादौन द्वितीय, लक्ष्मी राजावत तृतीय, वीरेन्द्र विद्रोही व टीना वर्मा सांत्वना पुरस्कार, प्रियंका प्रजापति, प्रवीण प्रजापति, देवेन्द्र राज, भवर सिंह नरवरिया, हरिओम जोशी, अशोक शिरढोणकर, मुकेश घनघोरिया, प्रो. एस.के. सिंह, डॉ. नरेन्द्रनाथ लाहा को प्रोत्साहन पुरस्कार, तात्कालिक पत्र लेखन में देश प्रताप सिंह नरवरिया प्रथम, गोविंद प्रसाद गौड़ द्वितीय, प्रशंसा प्रजापति तृतीय, अमित सिंह कटियार रविकांत पाठक, वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, लक्ष्मी राजावत, विशम्भर गुरु, भमर सिंह नरवरिया, हरिओम जोशी, मुकेश घनघोरिया, उदयभान रजक, शुभि जादौन, अमरीश भदौरिया, धर्मेन्द्र गुप्ता को प्रोत्साहन पुरस्कार, तात्कालिक समाचार लेखन में अरुण कुमार शर्मा को प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया। इन सभी को अतिथियों ने स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। अंत में निर्णायक मंडल में शामिल फूलचंद मीणा, जगदीश तोमर, बृजमोहन शर्मा, आकाश सक्सेना को भी स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

Updated : 9 Jan 2017 12:00 AM GMT
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