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भूखे-प्यासे तड़पते रहे बच्चे मरीजों को दवा मिली न उपचार

भूखे-प्यासे तड़पते रहे बच्चे मरीजों को दवा मिली न उपचार
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मंत्री करते रहे व्यवस्थाओं की प्रशंसा


ग्वालियर|
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं राज्य बीमारी सहायता योजना के तहत शुक्रवार को मुरार स्थित जिला अस्पताल में आयोजित शिविर में जहां उपचार के लिए आए छोटे-छोटे बच्चे भूख-प्यास से तड़पते रहे तो अधिकांश मरीज भी उपचार के लिए भटकते रहे। इनको न तो दवा मिली और न ही जांचें हुर्इं।

भितरवार निवासी गीता पत्नी मोनू साहू ने बताया कि वह अपने बच्चे दीपक का उपचार कराने के लिए शिविर में सुबह 9 बजे पहुंची थीं, उनका बच्चा सुबह से भूखा-प्यासा जमीन पर पड़ा रहा, लेकिन उपचार तो दूर, बच्चे को बैठने तक की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे का दिमाग स्वस्थ नहीं है, जिस कारण वह न तो कुछ समझ पाता है और न ही कुछ बोल पाता है। वह भितरवार से लगभग 700 रुपए खर्च करके यहां आई हैं, लेकिन न तो यहां दवा मिली और न ही जांचें हुर्इं, चिकित्सकों ने बाहर से जांच कराने के लिए कह दिया है। हम तो यह सोचकर आए थे कि यहां मेरे बच्चे का नि:शुल्क उपचार होगा। हम बहुत गरीब हैं, फिर भी किराया खर्च कर यहां तक आए और यहां कुछ नहीं हुआ।

शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह एवं विशेष अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया और नगरीय विकास मंत्री माया सिंह उपस्थित थीं। शिविर में ऐसे गंभीर बीमारियों से पीड़ित जिले के एक हजार से अधिक चिन्हित मरीजों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिऐ बुलाया गया था, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। मंत्रीगण अस्पताल की व्यवस्थाओं से इतने खुश दिखे कि उन्होंने चिकित्सकों को मुख्यमंत्री से सम्मानित कराने तक की बात कही। इस शिविर में अंचल भर से कैंसर, हृदय रोग, हिप ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, रीढ़ की हड्डी व घुटने के आॅपरेशन, जन्मजात विकृति के शिकार बच्चे मसलन न्यूरल ट्यूब दोष, डाउन सिन्ड्रोम, फटे होंठ व तालू, क्लबफुट, डवलपमेंट डिस्पलेसिया आॅफ हिप, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बधिरता, जन्मजात हृदय रोग के मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन शिविर में न तो मरीजों को दवा मिल रही थी और न ही उपचार। अस्पताल में बड़े-बड़े निजी अस्पतालों के चिकित्सक सिर्फ अपना प्रचार प्रसार करने में लगे हुए थे। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा मरीजों को उनके अस्पताल के पर्चे पर ही दवा लिखी जा रही थी। यही नहीं मरीजों को अस्पताल के पेम्पप्लेट भी वितरित किए गए। चिकित्सकों द्वारा लिखी जा रहीं दवाओं से लेकर जांचों की व्यवस्था अस्पताल में नहीं थी। इस कारण मरीज भूखे-प्यासे अस्पताल में घण्टों लाइन में ही खड़े रहे।

उधर जब कार्यक्रम के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंह से चर्चा के दौरान अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय से मरीज जिला अस्पताल में उपचार के लिए आ रहे हैं। अस्पताल में पूरी दवाएं मिल रही हैं। अल्ट्रासाउण्ड के लिए भी दूसरी मशीन उपलब्ध कराई जा रही है। अगर अस्पताल में दवा नहीं मिल रही है तो मुझे जानकारी दी जाए, मैं कार्यवाही करूंगा। इस तरह मंत्री जी भी अस्पताल की व्यवस्थाओं को छुपाते हुए दिखे। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष मनीषा यादव, ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अभय चौधरी, जिलाधीश डॉ. संजय गोयल, संचालक परिवार कल्याण डॉ. डी.एस. ओहरि, भाजपा जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा, पार्षद धर्मेन्द्र राणा, बृजेश गुप्ता व पुरुषोत्तम टमोटिया मंचासीन थे।

भितरवार से आई महिला का नहीं हुआ अल्ट्रासाउण्ड
भितरवार के देवरी गांव निवासी रामवती ने बताया कि वह बहुत गरीब है। वह यहां उपचार के लिए 500 रुपए खर्च करके आई है। सुबह से इंतजार करने के बाद चिकित्सकों द्वारा उसे अल्ट्रासाउण्ड करने की बात कही गई, लेकिन जब वह अल्ट्रासाउण्ड कक्ष में पहुंची तो चिकित्सकों ने मशीन खराब होने की बात कहते हुए वापस लौटा दिया।

सुबह से बैठी वृद्धा को नहीं मिली दवा
शिविर में आई वृद्ध महिला मथुरो बाई ने बताया कि वह यहां सुबह आठ बजे से अस्तताल में बैठी है। दोपहर 12 बजे चिकित्सकों ने उसे देखा और दवा लिखी, लेकिन जब वह दवा लेने के लिए दवा वितरण केन्द्र पर पहुंची तो उससे बाहर से दवा लाने की बात कही गई।

चिकित्सक के बेटे ने मरीजों से की अभद्रता
बड़ेगांव निवासी पुला बाई ने बताया कि वह सुबह 9 बजे अस्पताल आ गई थी। चिकित्कसों ने उसका परीक्षण कर अल्ट्रासाउण्ड कराने की बात कही, लेकिन उसका अल्ट्रासाउण्ड नहीं किया गया। भितरवार निवासी राजाबेटी ने भी यही बात कही कि चिकित्सकों द्वारा अल्ट्रासाउण्ड नहीं किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, जब महिलाएं अल्ट्रासाउण्ड कक्ष में पहुंचीं तो वहां उपस्थित रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक डॉ. विनोद खढ़ोड के बेटे डॉ. पुलकित खढ़ोड ने मरीजों के साथ अभद्रता करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अस्पतालों में हो धारा 144 लागू
शिविर में उद्बोधन के दौरान उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि अस्पतालों में राजनीति नहीं होनी चाहिए। अस्पतालों में धारा 144 लागू होनी चाहिए, जिससे अस्पताल में कोई धरना व प्रदर्शन न कर सके।

मंच से भगाया
अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे मरीजों को जब परेशानी हुई तो उन्होंने मंत्री से शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन मंच के नीचे खड़े चिकित्सकों ने मरीजों को मंत्री के पास नहीं जाने दिया। मुरार निवासी नारायणी बाई ने बताया कि उन्हें जो दवा लिखी गई थी, वह अस्पताल में नहीं है, जिसकी शिकायत करने के लिए वह मंच के पास पहुंचीं तो चिकित्सकों ने उन्हें भगा दिया।

कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में कांग्रेस नेता मुन्नालाल गोयल ने अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह को ज्ञापन सौंपा।

Updated : 28 Jan 2017 12:00 AM GMT
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