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राष्ट्रीय चेहरों के सहारे प्रदेश में कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा

राष्ट्रीय चेहरों के सहारे प्रदेश में कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा
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-2014 का प्रदर्शन दोहराने के लिए पार्टी की पश्चिमी उप्र के लिए खास रणनीति
-राष्ट्रीय मुद्दों के साथ एक तीर से कई निशाने लगाने की तैयारी
* मधुकर चतुर्वेदी
आगरा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की पहली सूची जारी करने के साथ ही भाजपा चुनावी समर में पूरे दमखम के साथ उतर गई है। प्रदेश में मतदान पश्चिमी से शुरू होकर पूर्वी उप्र की सीमा पर जाकर समाप्त होगा। ठीक ऐसा ही 2014 के लोकसभा चुनावों में हुआ था। इस दौरान पार्टी ने राज्य की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर अपना कब्जा जमाया था। 2014 मंे भाजपा को मिली इस विजय में इस खास रणनीति का जो लाभ मिला, उसी का अनुसरण करते हुए पार्टी ने विधानसभा चुनाव-2017 के लिए जारी पहली सूची में राष्ट्रीय राजनीति के चेहरों को उतारकर विपक्षी पार्टियों को सोचने पर मजबूत कर दिया है। आने वाले दिनों में भाजपा की चुनावी रणनीति के और भी नए कमाल देखने को मिलेंगे। जिस उप्र में भाजपा 2002 के बाद तीसरे पायदान पर खड़ी थी, आज पहली पंक्ति में खड़ी है।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली सूची में पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री एवं प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा को मथुरा से प्रत्याशी बनाया है। आगरा के टंूडला से भाजपा राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. एसपी सिंह बघेल, मेरठ से पार्टी से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई, छाता से पूर्व मंत्री लक्ष्मी नारायण सिंह, फतेहपुर सीकरी से जाट नेता चै. उदयभान सिंह जैसे बड़े नेताओं को पार्टी ने प्रत्याशी बनाकर स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का पूरा ध्यान पश्चिमी उप्र में अपनी पकड़ को मजबूत करना है। भाजपा ने लोकसभा चुनावों में यहां बेहतर प्रदर्शन किया था और अब उसे दोहराने की जिम्मेंदारी प्रत्याशी के रूप में इन राष्ट्रीय नेताओं के कंधों पर है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि इस प्रकार के व्यक्तित्वों से केवल उनकी अपनी विधानसभा ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों की भी विधानसभाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा।
इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि इन नेताओं से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बना रहता है और उत्साह भी। जैसा कि मथुरा से श्रीकांत शर्मा की घोषणा के बाद स्पष्ट भी हो जाता है। भाजपा ब्रजक्षेत्र के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र गुप्ता का कहना है कि पार्टी द्वारा पश्चिमी उप्र, खासकर ब्रजअंचल में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को चुनावी मैदान में उतारना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पार्टी जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास और सुशासन की बात कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अभी हाल ही में प्रदेश की सामाजिक स्थिति को प्रभावित करने वाले कैराना व मथुरा जवाहर बाग प्रकरण में वर्तमान उप्र सरकार व प्रशासन की विफलता को जतना के सामने लाना चाहती है और तमाम प्रश्नों के उत्तर व समय-समय पर संवाद में राष्ट्रीय नेताओं के अनुभव पार्टी के लिए काम आएंगे। वहीं आगरा में शिक्षक शैलेंद्र नरवार कहते हैं, दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विरोधी भले ही भाजपा की रणनीति पर सवाल उठाएं लेकिन इससे पहले भाजपा के चुनाव प्रचार में कभी इतना उत्साह नजर नहीं आता था।
वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारना भाजपा की मजबूती है। इसी योजना के तहत प्रदेश से बहुत सारे नेताओं को मंत्री बनाया गया। दरअसल केंद्र में पहली बार भाजपा की बहुमत वाली सरकार आई है। इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वहीं समाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने कहा कि अगर लोकसभा से विधानसभा चुनाव के बीच हम दस प्रतिशत वोटों की गिरावट मानें तब भी भाजपा को लाभ होगा। राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को मैदान में उतारने के बाद अगर मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय रहा, तब भी भाजपा को फायदा होगा।
भाजपा की राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति कितनी काम आती है, यह तो 11 मार्च को पता चल ही जाएगा। फिलहाल अभी तक भ्रष्टाचार का कोई मामला केंद्रीय सरकार के खिलाफ नहीं आया है, इसका फायदा राज्य के चुनाव में भाजपा को मिलेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

Updated : 21 Jan 2017 12:00 AM GMT
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