Home > Archived > याचिका खारिज, न्यायालय ने शहर में मीट बिक्री से रोक हटाई

याचिका खारिज, न्यायालय ने शहर में मीट बिक्री से रोक हटाई

याचिका खारिज,  न्यायालय ने शहर में मीट बिक्री से रोक हटाई
X

ग्वालियर। जैन समाज के पर्यूषण पर्व के दौरान शहर में मीट बिक्री पर लगाई गई रोक को उच्च न्यायालय ने नगर निगम के अभिभाषक के तर्कों से सहमत होकर खारिज कर दिया। निगम की ओर से याचिका में रखे गए बिन्दुओं का ग्वालियर के परिपेक्ष्य में तथ्यपूर्ण खंडन करते हुए मीट बिक्री पर रोक का अधिकार निगम के पास नहीं होने की बात कही थी।

उल्लेखनीय है कि 29 अगस्त से 15 सितम्बर तक जैन समाज के पर्यूषण पर्व के दौरान हिंसा पर रोक लगाने के उद्देश्य से पशु वध गृह और शहर में मांस, मछली की बिक्री पर रोक लगाए जाने को लेकर डॉ. जितेन्द्र जैन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अहमदाबाद (गुजरात) में मीट बिक्री पर रोक लगाए जाने के संबंध में हिंसा विरोधक संघ बनाम मिर्जापुर प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए एवं जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए नगर निगम को मीट बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिए जाने का अनुरोध न्यायालय से किया था। याचिका को न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए 1 से 6 सितम्बर तक शहर में मीट बिक्री पर रोक लगाई थी। इसके बाद इसे दो दिन और बढ़ाया था। इस बीच एक मीट विक्रेता और एक मुस्लिम कुरान शिक्षक की ओर से न्यायालय में अंत:क्षेप (इंटरवेंशन) आवेदन प्रस्तुत कर बकरीद के अवसर पर 13 से 15 सितम्बर तक मीट बिक्री पर रोक हटाए जाने का अनुरोध किया था।

गुरूवार 8 सितम्बर को नगर निगम की ओर से अभिभाषक गौरव मिश्रा ने तीन बिन्दुओं के साथ निगम द्वारा मीट की दुकानें बंद कराए जाने पर असमर्थता व्यक्त की।

निगम के अभिभाषक ने कहा कि हिंसा विधेयक संघ बनाम मिर्जापुर प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय म.प्र. और ग्वालियर के परिपे्रक्ष्य में उचित नहीं माना जा सकता क्योंकि अहमदाबाद और ग्वालियर की परस्थितियां भिन्न हैं। दूसरा तर्क था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार मुंबई महानगर पालिका की पिटीशन पर उच्च न्यायालय ने मीट बिक्री पर रोक नहीं लगाई थी क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को मीट बिक्री पर प्रतिबंध के परिप्रेक्ष्य में नहीं माना था। इसी प्रकार तीसरा तर्क रखा कि म.प्र .के नगर निगम विधान में यह प्रावधान नहीं है कि निगम यह तय कर सके कि दुकानें किस दिन या किस समय खुलें या बंद हों। निगम लायसेंस दे सकती है।

नियमों का पालन नहीं करने पर लायसेंस निरस्त कर सकती है। दुकान पर बिक रही सामग्री पर निगरानी रखना एवं जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई का अधिकार निगम के पास है। इस कारण दुकानों को इस तरह बंद कराने का अधिकार निगम के पास नहीं है। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि शासन ने पर्यूषण पर्व के दौरान प्रथम और अंतिम दिन मास बिक्री पर रोक लगाने का आदेश वर्ष 2007 से सभी जिला कलेक्टर्स को दिया हुआ है, जिसका प्रदेश के सभी जिलों में पालन किया जाता है। निगम और शासन के अभिभाषकों के तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने मास बिक्री पर लगी रोक को हटाते हुए डॉ. जितेन्द्र जैन की याचिका को निरस्त कर दिया।

Updated : 9 Sep 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Top