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यूँ भी जेब पर डाका डालता है रेलवे

यूँ भी जेब पर डाका डालता है रेलवे
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ग्वालियर। रेलवे विभाग वरिष्ठ नागरिकों, पत्रकारों तथा अन्य पात्र लोगों को रेल में रियायत देकर जहां वाहवाही लूट रहा है वहीं रियायती दर पर आरक्षित टिकट निरस्त कराने पर पूरी राशि काटकर इन रेल यात्रियों के साथ छलावा भी कर रहा है। रेलवे की इस प्रक्रिया से रियायती दर पर टिकट आरक्षण कराने वाले लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। हांलाकि इस संबंध में जब रेल अधिकारियों से पूछा गया तो उनका तर्क था कि यह रेलवे का नियम है, इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है, जबकि हकीकत में मामला यह है कि जब कोई रियायत पाने का पात्र व्यक्ति आरक्षण कराने जाता है तो उसे रियायती दर पर टिकट तो दे दिया जाता है, लेकिन जबवही व्यक्ति अपना रियायती टिकट निरस्त कराने जाता है तो रियायती दर पर टिकट निरस्त नहीं किया जाता है बल्कि सामन्य टिकट की पूरी राशि काटी जाती है, जिससे यात्री अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। विगत दिनों जब एक यात्री ने रियायती दर पर ग्वालियर से कानपुर तक का आरक्षित टिकट कराया तो टिकट क्लर्क ने रियायती दर पर यात्री को टिकट दे दिया, लेकिन किसी कारणवश जब यात्री का कानपुर जाना नहीं हुआ तो उन्होंने 15 सितम्बर को रियायटी दर वाला आरक्षित टिकट निरस्त करवाया, लेकिन जब टिकट रद्द कराया गया तो रेलवे ने रियायती दर पर राशि न काटते हुए पूरी राशि काट ली, जिस पर यात्री ने कहा कि इससे तो अच्छा होता कि वह किसी यात्री को सीट बेच देता।

काउंटर पर टिकट नहीं एजेंटों के पास भरमार

ट्रेन में सीटें होने के बावजूद दूसरे कोच में देते हैं सीट रेलवे के टिकट काउंटरों से टिकट लेना किसी युद्ध लडऩे से कम मुश्किल काम नहीं है। लम्बी लाइन और घण्टों तक लाइन में खड़े लोगों की तू-तू-मैं-मैं हर आधे घण्टे के बाद टिकट काउंटर पर होता हंगामा... यह सब सुनने के बाद जब आपका नम्बर आता है, तो पता चलता है कि टिकट वेटिंग में है..या फिर ट्रेन में सीटे है, तो दो एक कोच में दे दी जाती है, एक किसी अन्य कोच में दे दी जाती है, जिससे पारिवारिक लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं टिकट का वेटिंग नम्बर भी बताने में बुकिंग क्लर्क बेरुखी से पेश आते हैं। यही वजह है कि टिकट दलालों का धंधा फल-फूल रहा है। इन दलालों के बहाने रेलवे के बुकिंग क्लर्क मलाई चाट रहे हैं।

स्टेशन पर कम मिलता है कन्फर्म टिकट

ग्वालियर रेलवे स्टेशन के आरक्षण र्काालय पर अब ट्रेन का कन्फर्म टिकट बहुत ही कम मिलता है। ट्रेन की कन्फर्म टिकट मिलने का नया ठिकाना जगह-जगह खोले गए ट्रैवल एजेंसी के कार्यालय हैं। कन्फर्म टिकट अब सिर्फ ट्रैवल एजेंसी में बैठने वाले टिकट एजेंटों के पास ही मिलता है। टिकट एजेंटों ने रेलवे स्टेशन समेत रेलवे के सभी टिकट आरक्षण कार्यालय पर बैठने वाले बुकिंग क्लर्कों से जबरदस्त सेटिंग कर रखी है। प्रति कन्फर्म टिकट रिजर्वेशन पर निर्धारित कमीशन लेकर बुकिंग कलर्क एजेंटों को कन्फर्म टिकट देते हैं, जबकि काउंटर पर खड़े आम व्यक्ति द्वारा टिकट से संबंधित किसी सवाल का जवाब तक ठीक से नहीं देते हैं।

एक टिकट पर पांच से हजार रुपए तक की कमाई

ट्रेन के कन्फर्म टिकट पर बुकिंग क्लर्क एजेंटों से पांच रुपए से हजार रुपए तक कमीशन लेते हैं। स्लीपर क्लास का आरक्षण देने के एवज में दलालों को प्रति टिकट पांच से 10 रुपए तक चुकाने होते हैं। वहीं एसी क्लास के आरक्षण के लिए बुकिंग क्लर्क प्रति टिकट 20 से 50 रुपए एसी थ्री, टू और फस्र्ट क्लास के हिसाब से तक वसूलते हैं। दलाल टिकट की क्लास के मुताबिक 30 से 100 रुपए तक का मुनाफा कमाते हुए टिकट यात्री तक पहुंचा देता है। वहीं, तत्काल का टिकट देने के लिए बुकिंग क्लर्क 500 से 1000 रुपये प्रति टिकट तक एजेंटों से वसूल करता है।

Updated : 26 Sep 2016 12:00 AM GMT
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