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मछलियां मरने के बाद पंपिंग स्टेशन बंद मिलने पर एडीएम ने लगायी फटकार

मछलियां मरने के बाद पंपिंग स्टेशन बंद मिलने पर एडीएम ने लगायी फटकार
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सिर्फ आदेश निर्देश और डांट-डपट से नहीं सुधरेंगे यमुना प्रदूषित करने में सहयोग करने वाले

मथुरा। यमुना में दूषित जल से मछलियों की मौत का मामला प्रकाश में आने पर एक बार फिर यमुना कार्य योजना के नोडल अधिकारी ने पंपिंग स्टेशन का निरीक्षण कर संचालक को खरी-खोटी सुनाकर आवश्यक दिशा-निर्देश दे डाले। यहां सवाल यह है कि यदि प्रशासनिक आदेश-निर्देश से ही सुधार हो जाता तो शायद यमुना प्रदूषण में कुछ कमी अवश्य आती। पंपिंग स्टेशन बंद मिलने पर सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है जिसे करने से पता नहीं क्यों प्रशासनिक अधिकारी कतराते हैं?

शनिवार को एक बार फिर यमुना में औद्योगिक इकाईयों से छोड़ा गया दूषित पानी और सीवेज की गंदगी ने मछलियों को अपना ग्रास बना लिया तथा यमुना भक्तों को श्राद्ध पक्ष में भारी पीड़ा पहुंचायी। यमुना में मछलियों की मृत्यु की सूचना पर रविवार को यमुना कार्य योजना के नोडल अधिकारी व एडीएम वित्त रविन्द्र कुमार ने मसानी स्थित पंपिंग स्टेशन का निरीक्षण किया। निरीक्षण करने के बाद उन्होनें पालिका कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये। इस दौरान उन्हें पंपिंग स्टेशन बंद मिला। नाले का गंदा पानी सीधे यमुना में प्रवाहित हो रहा था जिसे देख कर उनका माथा ठनक गया। उन्होंने साथ में मौजूद पालिका अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई। मसानी स्थित पंपिंग स्टेशन के निरीक्षण में हिंदूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने नालों को टेप किये जाने की बात कही। निरीक्षण के दौरान एडीएम ने प्रदूषण का जिम्मेवार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को माना। इस पर उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कड़ी फटकार भी लगाई। यमुना जल के नमूने भी एकत्रित किये गये हैं जिन्हें जांच के लिये प्रयोगशाला भिजवाया गया है।

निरीक्षण के दौरान फटकार की औपचारिकता से प्रदूषण नियंत्रण विभाग अथवा पंपिंग स्टेशन संचालक सुधरने वाले होते तो एडीएम साहब यमुना प्रदूषण में अवश्य कुछ कमी आती लेकिन वर्षों से ऐसा कुछ नहीं हुआ तो अब आदेश-निर्देश और फटकार कारगर होगी। यह कैसे मान लिया जाये? इसके लिये सख्ती की आवश्यकता है।

Updated : 19 Sep 2016 12:00 AM GMT
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