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प्रो. सिंह ने कुलसचिव को लिखा पत्र,परीक्षा नियंत्रक की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

प्रो. सिंह ने कुलसचिव को लिखा पत्र,परीक्षा नियंत्रक की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
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प्रो. सिंह ने कुलसचिव को लिखा पत्र,परीक्षा नियंत्रक की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

ग्वालियर। छात्रों की परीक्षा और परीक्षा परिणाम घोषित समय पर घोषित नहीं होने से परेशान वाणिज्य संकाय के कार्यपरिषद् सदस्य डॉ. एस.के. सिंह ने परीक्षा नियंत्रक की कार्यप्रणाली को लेकर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो. आनन्द मिश्रा को पत्र लिखकर शिकायत की है।

उल्लेखनीय है कि शासन ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति की है, लेकिन इसके बावजूद भी जीवाजी विश्वविद्यालय में न तो परिणाम समय पर घोषित किए जा रहे हैं। पत्र में प्रो. सिंह ने कुलसचिव को बताया है कि विश्वविद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य समय पर परीक्षाएं और परिणाम घोषित कराना है, इससे विश्वविद्यालय की अन्य व्यवस्थाओं के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि विश्वविद्यालय परिधि में आठ जिले आते है, इनमे जीवाजी विवि से लगभग 450 कॉलेज संबद्ध है। इसलिए समय पर परीक्षा कराना आसान नहीं है।

जबकि इससे पहले परीक्षाओं की जिम्मेदारी रजिस्ट्रार सहित अन्य अधिकारी संभाल रहे थे, लेकिन वर्तमान में समन्वय समिति और शासन के निर्देश पर परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति की गई है, इनका कार्यकाल एक वर्ष रहता है, किन्तु नि:संदेह शिक्षकों की तुलना में अधिकारियों को परीक्षा कार्य कराने का अनुभव रहता है। इसलिए शिक्षक से परीक्षा नियंत्रक बने शिक्षकों से अधिकारियों की तरह कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती। यही कारण है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में मार्च 2015 से मार्च 2016 के मध्य तीन कंट्रोलर बदले जा चुके हंै, जिसमें प्रो.डीसी तिवारी को शामिल कर लें तो इनकी संख्या चार हो जाती है। लिहाजा परीक्षा नियंत्रक को लेकर समन्वय समिति और शासन को सुझाव भेजने के लिए आगामी कार्यपरिषद् में चर्चा की जाए।

प्रतिनियुक्ति के बाद भी कार्यपरिषद में शामिल
जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रस्ताव पर शासन द्वारा भौतिकी अध्यनशाला के प्रो. ए.के. श्रीवास्तव को एक वर्ष की प्रतिनियुक्ति के रूप में परीक्षा नियंत्रक बना दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी विश्वविद्यालय ने प्रो. श्रीवास्तव को अभी तक कार्यपरिषद् में शामिल रखा है। इसे लेकर कार्यपरिषद सदस्य गायत्री मण्डेलिया ने आपत्ति लगाई है, जिस पर कुलपति ने राजभवन से मार्गदर्शन मांगा है, जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कार्यपरिषद् सदस्य नहीं रह सकते।

प्रो. द्विवेदी व प्रो. श्रीवास्तव बने डीन
राज्यपाल के अवर सचिव ने मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 27 की उप धारा (4) के तहत प्रो. एसके द्विवेदी आचार्य प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला एवं प्रो. नलिनी श्रीवास्तव आचार्य जैव रसायन अध्ययनशाला को दो वर्ष की अवधि के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय में समाज विज्ञान एवं जीव विज्ञान संकाय का संकायाध्यक्ष नियुक्त किया है।

Updated : 1 Sep 2016 12:00 AM GMT
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