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भस्मासुर पाकिस्तान

भस्मासुर पाकिस्तान

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमलों के बाद से जिस तरह से पाकिस्तान का हाथ होने की बात सामने आई है, उससे यह सिद्ध हो गया है कि पाकिस्तान न केवल भारत में ही बल्कि विदेशों में भी आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देकर एशिया की शांति व्यवस्था को भंग करना चाहता है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने ढाका में हुए हमलों के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लेते हुए पाकिस्तान को सबसे बड़ा आतंकी देश करार दिया है। हालांकि प्रधानमंत्री का यह बयान शुरूआती दौर में आया है। अभी तक भारत ही पाकिस्तान पर आतंकी देश होने का आरोप लगाता रहा है। भारत ने अपने यहां हुए हमलों को लेकर जब दुनिया के देशों का ध्यान आकर्षित कराया था, तब लगभग सभी देश पाकिस्तान को आतंकी देश कहने से बचते रहे हैं। अब पाकिस्तान दुनिया के अन्य देशों में जब हमले करने लगा तब सबकी नींदें खुलीं। भारत पहले भी इस बात की अपील कर चुका है कि आतंकवाद का सबको मिलकर खात्मा करना होगा। अब भी समय है जब पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के खात्मे के लिए मिलकर लडऩा होगा, तभी दुनिया में शांति व्यवस्था बहाल की जा सकेगी। वर्ष 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के तार भी अंतत: आईएसआई से जुड़े थे और पिछले दिनों पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के भी। यही नहीं, अफगानिस्तान में भारतीय ठिकानों पर होने वाले आतंकी हमलों के तार भी आईएसआई से ही जुड़ते रहे हैं। पाकिस्तान की भारत विरोधी ग्रंथि नई नहीं है, लेकिन इसके चलते वह अब खुद अराजकता और असमंजस के मोड़ पर पहुंच गया है। हालांकि पाकिस्तान के अर्थशास्त्रियों समेत तमाम जानकार मानते हैं कि भारत से बेहतर रिश्ते ही उसके हित में हैं, लेकिन अपने निहित स्वार्थों से संचालित सत्ता और सेना में बैठे प्रभावी लोग सुनने-समझने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, पाकिस्तान के आंतरिक हालात भी अच्छे नहीं हैं। भारत को निशाना बनाने के लिए पाले-पोसे गये आतंकी गुट तो जब-तब वहां भी अपनी कारगुजारी दिखाने लगे हैं, नवाज शरीफ की निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार भी सेना के साये में काम करती नजर आ रही है। खुद प्रधानमंत्री शरीफ लंबे समय से इलाज के सिलसिले में विदेश में हैं और सेना प्रमुख राहील शरीफ की सक्रियता-दबदबा बढ़ता जा रहा है। बेशक शरीफ सरकार का अभी लगभग दो साल का कार्यकाल शेष है, लेकिन वह तेजी से अपना प्रभाव खोती जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के वार्ता के तानों पर भारत की दुविधा सहज ही समझी जा सकती है कि आखिर वह किससे वार्ता करे? शरीफ सरकार के हाथ में कुछ नजर नहीं आता और सेना से सीधे वार्ता की नहीं जा सकती, जबकि भारत विरोधी वारदातों को अंजाम देने वालों को गैर सरकारी तत्व करार दे कर पिंड छुड़ा लिया जाता है। इस पूरे खेल को समझ कर अमेरिका ने पाकिस्तान की लगाम कसने की कोशिश की तो उसने चीन का दामन थाम लिया है। भारत विरोधी ग्रंथि का शिकार चीन भी उसे इस्तेमाल करने से नहीं चूक रहा। ऐसा पाकिस्तान पड़ोसी भारत समेत विश्व शांति के लिए ही नहीं, खुद अपने अवाम के लिए भी खतरनाक बन गया है।

Updated : 6 July 2016 12:00 AM GMT
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