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भारत का सराहनीय कदम

भारत का सराहनीय कदम

भारत ने पाकिस्तान का इलाज करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में रह रहे अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने बच्चों को पाकिस्तान के स्कूलों में से निकाल लेने के लिए कहा है। हालांकि इस पर विचार तब से किया जा रहा है जब पाकिस्तान के सैनिक स्कूल में आतंकवादियों ने हमला कर सैकड़ों बच्चों की जान ले ली थी, तभी से इस पर विचार हो रहा था, लेकिन इस पर दिशा निर्देश अब जारी किए गए हैं। इसे कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के रवैए से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

घाटी में मारे गए आतंकवादी बुरहान को लेकर पाकिस्तान जिस तरह से तरफदारी कर रहा है, उसे देखते हुए भारत का यह कदम सराहनीय कहा जा सकता है और सही समय पर उठाया गया कदम भी। हम देख रहे हैं कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह लगातार भारत पर परोक्ष रूप से हमला कर रहा है। सीमाओं पर आतंकवादियों को पनाह देकर वह भारत की शांति भंग करने में लगा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वह अनर्गल प्रलाप कर भारत को बदनाम करने की साजिशें रच रहा है जिसमें उसे सफलता नहीं मिल पा रही है। ऐसे में भारत द्वारा उठाया गया उपरोक्त कदम उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नीचा दिखाने में मददगार साबित होगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि प्रभावित होगी और कुछ अन्य देश भी वैसा ही फैसला कर सकते हैं जैसा भारत ने किया। कई देशों ने पहले से ही पाकिस्तान को 'नो स्कूल गोइंग मिशन' वाली सूची में डाल रखा है। यह संभव है कि भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान भी ऐसा ही कोई जवाबी फैसला करे, लेकिन उसकी परवाह नहीं की जानी चाहिए।

परवाह इसकी की जानी चाहिए कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बना पाकिस्तान विश्व बिरादरी में और अधिक अलग-थलग कैसे पड़े? पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग करने की कोशिश इसलिए आवश्यक है, क्योंकि उससे संबंध सुधारने के जो भी प्रयास किए गए उन पर उसने पानी फेर दिया। हाल-फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं दिखती कि पाकिस्तान भारत को अशांत-अस्थिर करने और आतंकवाद फैलाने से बाज आएगा। पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हाशिये पर करने की कोशिश के तहत यह भी आवश्यक है कि उसे सबसे पहले दक्षिण एशिया के स्तर पर अलग-थलग किया जाए। इस मामले में बांग्लादेश और अफगानिस्तान विशेष सहयोगी बन सकते हैं। इन देशों की मदद से अन्य दक्षिण एशियाई देशों को यह संदेश देने में कोई कसर नहीं उठा रखी जानी चाहिए कि पाकिस्तान के रहते दक्षिण एशिया एक समूह के रूप में आपसी सहयोग की दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता। पाकिस्तान जिस तरह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है उसी तरह अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए भी। अब तो यह भी स्पष्ट है कि वह बांग्लादेश के हितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। यदि भारत, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश एक स्वर से पाकिस्तान के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकें तो इसे कहीं अधिक गंभीरता से सुना जाएगा।

Updated : 27 July 2016 12:00 AM GMT
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