दिन में तीन बार रूप बदलती है हनुमानजी की प्रतिमा

दिन में तीन बार रूप बदलती है हनुमानजी की प्रतिमा
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76 वर्ष पुराना है सिद्ध हनुमान मंदिर

*प्रशांत शर्मा


आज हम अपने पाठकों को इस कॉलम के माध्यम से श्रीराम भक्त हनुमानजी की अद्भुत और अलौकिक प्रतिमा के दर्शन कराएंगे। यह प्रतिमा शब्द प्रताप आश्रम के समीप स्थित 76 वर्ष पुराने श्री सिद्ध हनुमान मंदिर में विराजित है। इस प्रतिमा की विशेषता है कि यह दिन में तीन बार रूप बदलती है। इसकी महिमा अपरम्पार है और भक्त यहां दूर-दूर से दर्शनों के लिए आते हैं।



आपने अब तक अनेक मंदिरों और उनके चमत्कारों के बारे में सुना होगा, लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है जिसमें विराजित हनुमान जी की प्रतिमा दिन में तीन बार रूप बदलती है। लेकिन आज तक इसकी महिमा और रहस्य कोई नहीं जान सका है। यहां जो भी भक्त आते हैं उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति अवश्य ही होती है।

शब्दप्रताप आश्रम के समीप भूतेश्वर मंदिर के सामने स्थित मंदिर में बजरंगबली की अलौकिक प्रतिमा है। इसका स्वरूप सूर्य की किरणों के साथ ही परिवर्तित होता है। बताया जाता है कि प्रतिमा का स्वरूप प्रात: 9 बजे तक बाल्यावस्था, उसके बाद दोपहर 3 बजे तक रौद्र रूप तथा शाम 4 बजे से वृद्धावस्था का रूप धारण करते हैं। तीनों ही रूपों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं। इस मंदिर को श्री सिद्ध हनुमान के नाम से जाना जाता है। सच्ची श्रद्धा के साथ यहां आने वाले भक्त कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटते।

आमवाली अम्मा ने देखी थी हनुमान प्रतिमा

मंदिर की सेवा करने वाले अजय सक्सेना ने बताया कि सन 1939 में एक आम वाली अम्मा ने हनुमान जी की प्रतिमा को देखा था। इसके बाद उदासी बाबा ने इस मूर्ति की देखरेख की। सन् 1940 में विशन प्रसाद सक्सेना की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण कराया गया। उन्होंने बताया कि यह मूर्ति पहाड़ों में से ही निकली थी। सन् 1995 में स्व. विशन प्रसाद सक्सेना की पत्नी और वर्तमान में अजय सक्सेना इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

चूरमा का लगता है भोग, मनोकामना पूरी होने पर चढ़ती है घंटी
श्री सिद्ध हनुमान मंदिर पर प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं द्वारा चूरमा का भोग लगाया जाता है। वहीं मनोकामना पूरी होने पर घंटियां चढ़ाने की परम्परा है। इसके साथ ही मंदिर की यह मान्यता है कि जिसे कहीं पर भी न्याय नहीं मिले वह इनके दरबार में अर्जी लगाए तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है। यही कारण है कि कोने-कोने से आए श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए बड़ी संख्या में अर्जियां लिखकर यहां टांग जाते हैं, जिन्हें मन्दिर में देखा जा सकता है।

शुद्ध घी से चढ़ता है चोला
सिद्ध हनुमान मंदिर का श्रृगांर प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार के दिन हनुमान जी की शुद्ध घी से मालिश की जाती है और प्रत्येक मंगलवार को पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। हनुमान जयंती महोत्सव के अलावा शरद पूर्णिमा पर्व भी मंदिर पर धूमधाम से मनाया जाता है।

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