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मंगल दोष से मुक्ति दिलाते हैं मंगलेश्वर महादेव

मंगल दोष से मुक्ति दिलाते हैं मंगलेश्वर महादेव
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लाल रंग का चढ़ता है प्रसाद, मंगल को होती है पूजा

प्रशांत शर्मा/ग्वालियर। शिव आराधना के लिए सोमवार के दिन का विशेष महत्व होता है, लेकिन उपनगर ग्वालियर के घासमंडी में एक ऐसा शिवालय है, जहां मंगलवार को पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। करीब 600 वर्ष पुराने इस शिवालय लोग मंगलेश्वर के नाम से जानते हैं। यहां भू-गर्भ से निकले शिवलिंग के चमत्कारों की दास्तां बरबस ही लोगों को अपनी और खींच लेती है। इस शिव लिंग स्वत: ही जमीन से निकलने और यहां होने वाले चमत्कारों के कारण मंगलेश्वर महादेव लोगों की श्रद्घा के केन्द्र बने हुए हैं। इस मंदिर की महिमा अपरम्पार है। यहां आकर कोई भक्त निराश नहीं लौटता है। यह मंदिर भक्तों की सभी विपदाओं को हर लेता है। इसी कारण इस मंदिर का विशेष महत्व है।

बताया जाता है कि लगभग 600 वर्ष पहले भू-गर्भ से विशाल शिवलिंग मंगलवार के ही दिन निकला था। तभी से यह स्थान श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए कई श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और विशेष फल प्राप्त करते हैं। मंदिर के वर्तमान पुजारी राजीव शर्मा ने बताया कि मंगलवार को यहां पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और ग्वालियर-चम्बल संभाग के कई क्षेत्रों से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। उन्होंने बताया कि जिन लोगों की कुण्डली में मंगल दोष होता है या जिन जातकों को मंगलग्रह परेशान करता है, उनको मंगलेश्वर महादेव के दर्शन करने से शांति मिलती है। लोग यहां से अपनी झोली में न केवल अपार खुशियां लेकर लौटते हैं, बल्कि उनके सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

मंगलवार को लगती है भीड़
मंदिर के पुजारी श्री शर्मा ने बताया कि इस मंदिर पर मंगलवार को अधिकतर उन लोगों की भीड़ लगती है, जिनके विवाह में रुकावट आ रही हो। इसका मुख्य कारण वे युवक व युवती हैं, जो मंगली होते हैं। इस कारण उनके विवाह में रुकावट आती है। ऐसे युवक व युवती यदि 11 मंगलवार तक नियमित मंदिर पर आ कर पूजा-अर्चना करें तो उनका जल्द ही विवाह हो जाता है।

पूर्वजों को दिया था स्वप्न
मंदिर के पुजारी श्री शर्मा ने बताया कि आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व उनके घर के सामने कचरे का ढेर लगा हुआ था। इसी बीच उनके पूर्वजों को भोलेनाथ ने स्वप्न दिया कि कचरे के ढेर की खुदाई करवाई जाए। इसके बाद उस स्थान की खुदाई की गई। इसी दौरान एक मजदूर की गेंती बाबा की पिंडी पर पड़ी, तो उस जगह से सबसे पहले खून निकला, फिर दूध और अंत में जल निकला। इसके बाद श्री शर्मा के पूर्वजों ने उस स्थान पर मंदिर बनाया। उन्होंने बताया कि यह भू-प्रकट शिवलिंग है।

लाल रंग के प्रसाद का लगता है भोग

मंगलेश्वर मंदिर पर प्रत्येक मंगलवार को लाल रंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। पुजारी के अनुसार लाल मसूर की दाल, इमरती, गुलाब की माला, लाल रंग का कपड़ा, कच्चा दूध चढ़ाने से मंगलेश्वर महादेव प्रसन्न होते हैं।


छठवीं पीढ़ी कर रही है पूजा-अर्चना
पुजारी राजीव शर्मा ने बताया कि मंगलेश्वर मंदिर पर उनके परिवार की छठवीं पीढ़ी पूजा-अर्चना कर रही है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले उनके पूर्वज पं. अंतराम को पुजारी नियुक्त किया गया था। उनके बाद क्रमश: काशीराम, मुन्नालाल, ओमप्रकाश शर्मा और वर्तमान में वे स्वयं पूजा-अर्चना करते हैं।

शिवरात्रि पर होता है बड़ा आयोजन
पुजारी ने बताया कि मंगलेश्वर मंदिर पर वर्ष में एक बार शिवरात्रि के दिन भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दिन ग्वालियर चम्बल संभाग के श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना कर विशेष फल प्राप्त करते हैं।

पूरे प्रदेश में सिर्फ दो ही मंदिर हैं
पुजारी राजीव शर्मा के अनुसार मंगलेश्वर महादेव का एक मंदिर ग्वालियर में और दूसरा मंदिर उज्जैन में है, जो मंगलनाथ के नाम से जाना जाता है। पूरे प्रदेश ऐसे मंदिर सिर्फ दो ही हैं। उन्होंने बताया कि मंगलनाथ या मंगलेश्वर मंदिर में पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मंदिर में दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते हैं और उनकी मनोकामना पूरी भी होती है। उन्होंने बताया कि ऐसे लोग, जिनके लिए मंगल की शांति की पूजा बताई जाती है, उन्हें इस मंदिर पर आकर इस पूजा को करना चाहिए, जिससे उनके कष्टों का निवारण जल्द होगा।

Updated : 7 May 2016 12:00 AM GMT
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