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रेड कॉर्नर

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रेड कॉर्नर

पठानकोट में आतंकी हमले के सूत्रधार मौलाना मसूद अजहर और उसके तीन साथियों के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। मसूद अजहर के जिन तीन साथियों के खिलाफ रेड कॉर्नर जारी हुआ है, उनमें अब्दुल रऊफ, काशिफ जान और शाहिद लतीफ शामिल हैं। अब्दुल रऊफ, मसूद अजहर का भाई है, काशिफ जान और शाहिद लतीफ वे लोग हैं, जो पाकिस्तान से पठानकोट के आतंकवादियों को निर्देश दे रहे थे। मसूद अजहर के खिलाफ यह पहला रेड कॉर्नर नोटिस नहीं है, भारत की संसद और जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर आतंकवादी हमलों के सिलसिले में उस पर पहले भी एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है। उसी तरह, अब्दुल रऊफ पर भी सन 1999 में भारतीय हवाई जहाज को अगवा करने के मामले में रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है।


भारतीय हवाई जहाज को नेपाल की राजधानी काठमांडू से अगवा करके अफगानिस्तान में कंधार ले जाया गया था, जहां उस समय तालिबान का राज था। तब मसूद अजहर भारतीय जेल में था और हवाई जहाज, उसके यात्रियों और चालक दल को छुड़ाने के लिए कुछ अन्य आतंकवादियों के साथ उसे भी छोड़ा गया था। इस रेड कॉर्नर नोटिस से व्यावहारिक स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि मसूद अजहर खुले तौर पर पाकिस्तान के अलावा किसी और देश में नहीं जाता। वह ऐसे किसी देश में तो जाएगा ही नहीं, जहां उसे गिरफ्तार करके भारत को सौंपे जाने का खतरा हो। पाकिस्तान से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करेगा। पाकिस्तानी सेना भले ही आतंकवादियों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई का दावा कर रही है, लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ उन आतंकवादी गुटों के खिलाफ है, जो पाकिस्तान में उपद्रव कर रहे हैं। उनमें से भी कई सेना की कार्रवाई से इसलिए बचे हुए हैं क्योंकि वे ताकतवर धार्मिक नेताओं के साथ हैं। अफगानिस्तान में हिंसा फैलाने वाले आतंकवादी समूहों को पाकिस्तानी सेना का समर्थन बदस्तूर जारी है। बल्कि यह भी माना जाता है कि उनकी सक्रियता पाकिस्तान की विदेश नीति का ही एक हिस्सा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अब पाकिस्तान के रवैये का खुला विरोध कर रहे हैं। अफगान तालिबान को पाकिस्तानी सेना का समर्थन मिला हुआ है। अ

फगानिस्तान और अमेरिका के भारी दबाव के बावजूद हक्कानी गुट को पाकिस्तान में सुरक्षित ठिकाने मिले हुए हैं। भारत के खिलाफ आतंकवादी वारदात करने वाले जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को भी पाकिस्तानी सेना का खुला समर्थन हासिल है। पाकिस्तान सरकार अगर चाहे भी, तो जैश के सरगना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद के खिलाफ कुछ नहीं कर सकती। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इन लोगों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हंै। पाकिस्तान का साथ देने के लिए ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का भारत का प्रस्ताव वीटो कर दिया था। इसका अर्थ यह नहीं है कि इस रेड कॉर्नर नोटिस से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इससे पाकिस्तान का पक्ष विश्व स्तर पर कमजोर पड़ेगा और उसे या उसके मित्रों के लिए मसूद अजहर का समर्थन करना मुश्किल होगा। इस नोटिस का यह मतलब भी है कि भारत के आरोपों व भारतीय अदालत से जारी वारंट को इंटरपोल की मान्यता मिली है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी चलने वाली है और इसमें इसी तरह एक-एक कदम बढ़ाना जरूरी है। रेड कॉर्नर नोटिस इस लड़ाई की एक छोटी सफलता है, जो देर-सबेर ज्यादा बड़े नतीजों तक ले जा सकती है।

Updated : 19 May 2016 12:00 AM GMT
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