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पहले मिलती थी टोपी, अब चश्में व घड़ी

पहले मिलती थी टोपी, अब चश्में व घड़ी


आज हम आपको इस कॉलम के माध्यम से शहर के मध्य स्थित टोपी बाजार का भ्रमण कराएंगे। यह बाजार लगभग अस्सी वर्ष पुराना है। इस बाजार में पहले टोपी, सैनिकों की वर्दी और जूते का कारोबार होता था। समय के साथ बाजार में बदलाव आया और आज यहां आवश्यकता की सभी वस्तुएं उपलब्ध हैं।


अरूण शर्मा/ग्वालियर। ग्वालियर शहर के लोकप्रिय शासक माधवराव सिंधिया प्रथम के समय से टोपी बाजार स्थित है। यह बाजार लगभग 80 वर्ष पुराना है। पुराने दौर के समय में महाराज के सामने लोग नंगे सिर नहीं जाते थे। सिर पर टोपी या पगड़ी होना आवश्यक होता था। अत: लोग इस बाजार में टोपी खरीदने के लिए आते थे। इस वजह से इस बाजार का नाम टोपी बाजार पड़ गया। इस बाजार में माधवराव सिंधिया प्रथम की फौज के सिपाहियों के लिए वर्दी भी मिलती थी। टोपी बाजार में एक मस्जिद भी है। टोपी बाजार आज शहर के मध्य में स्थित है, लेकिन अब यहां टोपी और वर्दी नहीं मिलती हैं। इस बाजार में शहर के लोगों के लिए जरूरत का हर सामान मिलता है। इस बाजार में एक खास बात यह भी है कि यहां 10 से 12 परिवार भी निवास करते हैं।

ग्वालियर रियासत में पहले टोपी पहनने की परम्परा हुआ करती थी। टोपी पहनने के बाद ही लोग महाराज के दरबार में जा सकते थे। इस वजह से इस बाजार में लोगों के लिए टोपी बिका करती थीं। शहर का टोपी बाजार महाराज बाड़ा, दौलतगंज, रस्सी बाजार, दही मण्डी एवं सराफा बाजार से जुड़ा हुआ है। इस बाजार में प्रतिदिन चार से पांच हजार लोगों की आमद होती है। यहां प्रतिदिन एक से डेढ़ करोड़ रुपए का कारोबार होता है।

यह दुकानें हैं टोपी बाजार में
टोपी बाजार में स्वर्ण आभूषण, आर्टीफीशियल ज्वेलरी, घड़ी, चश्मे, जूते, क्रॉकरी, कपड़े, स्टेशनरी, छोटे-बड़े जनरल स्टोर, मोबाइल, प्लास्टिक का सामान, कम्पनियों के शो-रूम एवं चाट आदि की दुकानें हैं। त्यौहार के समय टोपी बाजार में जाना किसी चुनौती से कम नहीं होता है।

पार्किंग की है समस्या
टोपी बाजार शहर का मुख्य बाजार है, लेकिन यह बाजार इस समय पार्किंग की समस्या से जूझ रहा है। इस सकरे टोपी बाजार में पार्किंग संचालित होने के कारण सुबह से पूरा बाजार वाहनों से पट जाता है। शाम होते-होते टोपी बाजार में चारों ओर वाहन ही वाहन दिखाई देते हैं। स्थिति यह हो रही है कि यहां बड़े ग्राहकों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है, जिससे टोपी बाजार के व्यापारियों का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है।
यह भी करेंगे
*पूरे टोपी बाजार में पार्किंग के स्थान पर बीचों-बीच बड़े-बड़े घमलों में पेड़ लगाएंगे, जिससे टोपी बाजार हरा-भरा दिखेगा।
* टोपी बाजार में जगह-जगह डस्टबिन रखे जाएंगे।
* टोपी बाजार के सभी साइन बोर्ड एक जैसे लगेंगे।
*टोपी बाजार में कैमरे भी लगाए जाएंगे।

यह होगा लाभ
* टोपी बाजार से पार्किंग हटने पर और पेड-पौधे लगने से इस बाजार में प्रदूषण बहुत ही कम हो जाएगा।
* फेमिली ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी।
*व्यापारियों को व्यापार में लाभ होगा।
*ग्राहक भी बाहर पार्किंग करके आसानी से खरीदारी कर सकेंगे।

इन्होंने कहा
'संभवत: जून तक पार्किंग की समस्या हल हो जाएगी। इसके बाद टोपी बाजार को एक स्मार्ट बाजार बनाया जाएगा। पूरे शहर में इस बाजार की अलग ही पहचान होगी। हमारी टीम इस दिशा में काम कर रही है।'

ऋषि कपूर, सचिव, टोपी बाजार

'बाजार में पार्किंग आदि की समस्या को लेकर आए दिन परेशानी होती है। अगर नगर निगम इस पार्किंग को यहां से टाउन हॉल में स्थानांतरित करता है तो यह बाजार भी अन्य बाजारों की तरह अच्छा विकास करेगा। पार्किंग हटने के बाद इस बाजार को आधुनिक बाजार बनाया जाएगा।'

संदीप वैश्य, अध्यक्ष, टोपी बाजार

Updated : 17 May 2016 12:00 AM GMT
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