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भोजन के साथ पेट में जाती हैं कई बेकार वस्तुएं

भोजन के साथ पेट में जाती हैं कई बेकार वस्तुएं

मेनका गांधी

आ पको इसकी जानकारी भी नहीं होगी कि आप अपने भोजन में कितनी घृणित वस्तुओं को खाते हैं? आइए मृत कीड़ों, पशु के वीर्य, उल्टी तथा मल पर आधारित कुछ वस्तुओं की सूची बनाते हैं।

1. कई मिठाइयों, जैली बीन और चॉकलेट उत्पादों पर कन्फेक्शनर्स ग्लेज नामक एक पदार्थ की परत लगी हुई होती है। कन्फेक्शनर्स ग्लेज, लाख के कीड़े लैकसीफा लैका से आता है, एक स्केल वाला कीड़ा जो पौधों के परभक्षण पर जीवित रहता है, विशेष रूप से बरगद के पेड़ पर। लाख के कीड़े का उपयोग शैलेक नामक एक मोम जैसी, वाटरप्रूफ परत बनाने के लिए किया जाता है जिसका उपयोग फर्नीचर से लेकर भोजन, मोम, चिपकाने वाले पदार्थ, पेंट, सौन्दर्य प्रसाधन, वार्निश, उर्वरक, दवाओं की परत और कन्फेक्शनरी में किया जाता है। अपने भोजन में छिपे हुए लाख के कीड़ों का पता लगाने के लिए उनके लेबलों पर निम्नलिखित अवयवों को देखें: कैंडी ग्लेज, रेसिन ग्लेज, प्राकृतिक भोजन ग्लेज, कन्फेक्शनर्स ग्लेज, कन्फेक्शनर्स रेसिन, लाख रेसिन, लैक्का या गोंद की लाख।
2. प्रत्येक देश इस तथ्य को स्वीकार कर चुका है कि वह भोजन से पशुओं को अलग नहीं कर सकता। इसलिए भारत सरकार ने कहा है कि गेहंू तथा चावल में चूहे का मल मिलाने की अनुमति है। अमेरिका में, फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करके जन स्वास्थ्य का बचाव करने वाला निकाय है। तथापि, भोजन कंपनियों को खुद को बचाने के लिए एक विचित्र बचाव का रास्ता दिया गया है, एफडीए कीट या एफिड जैसे कुछ कीड़ों को मिलाने की अनुमति देता है जब तक कि उनकी मौजूदगी से भोजन की ''सौन्दर्य'' की गुणवत्ता अर्थात दिखाई देने में कोई फर्क नहीं पड़ता! एफडीए की एक दोष स्तर हैंडबुक है जिसमें कीड़ों के टुकड़े, चूहे के बाल तथा मल को कानूनी रूप से अनुमति दी गई है जिसका अर्थ हुआ कि आप अपने भोजन में कीड़े पाए जाने पर विभिन्न भोजनों के विनिर्माताओं पर मुकद्दमा नहीं कर सकते है। ब्रोकोली, डिब्बाबंद टमाटर, और हॉप जैसे प्रमुख भोजनों में ''कीड़ों के अंग''-सिर, सीना और पैर- तथा यहां तक कि पूरे कीड़े भी होते है। अंजीर के पेस्ट में प्रति 100 ग्राम में 13 कीड़ों के सिर; डिब्बाबंद फलों के जूस में प्रति 250 मिलीलीटर में एक मैगट; 10 ग्राम हॉप में 2,500 एफिड हो सकते हैं। साइंटिफिक अमेरिकन में लेखक अनुमान लगाते है कि ''कोई व्यक्ति संभवत: प्रत्येक वर्ष बिना जाने लगभग एक किलो मक्खियां, मैगट तथा अन्य कीड़ों को खाता है।'' पालक हेतु कार्रवाई किए जाने की सीमा प्रति 100 ग्राम में 50 या उससे अधिक एफिड, थ्रिप /अथवा माइट की है। बीयर का नाम बदल कर कीड़ों वाली बीयर रखा जाना चाहिए। हॉप पर एफडीए की सीमा प्रति 10 ग्राम हॉप पर टंकी में जाने वाले 2,500 एफिड की है। आपकी बीयर बनाने वाले हॉप के कुल वजन का 5 प्रतिशत कीड़े हो सकते है। 100 किलो चॉकलेट में 1 किलो कीड़े और 100 किलो ब्रेड में 1.5 किलो कीड़े हो सकते है। रेसिन के प्रति 8 औंस पर 10 कीड़े और 35 फ्रूट फ्लाई अंडों और गेहंू, करी पाउडर, सभी मसालों तथा मिर्ची में प्रति 100 ग्राम पर चार रोडेन्ट के बालों की अनुमति है। एफडीए द्वारा अनुमेय पूर्ण एफिड सब्जी दर सब्जी भिन्न है। बासिल स्प्राउट में प्रति 100 ग्राम पर 100 एफिड और फ्रोजन ब्रोकोली में लगभग 60 की अनुमति है। डिब्बाबंद या फ्रोजन पालक के प्रत्येक 100 ग्राम अथवा फ्रोजन बंद गोभी/गोभी के एक पैकेज में 50 मक्का जुओं या कीटों की अनुमति है। डिब्बाबंद मशरूम के 100 ग्राम में 75 सफेद कीट तथा 20 मैगट हो सकते हैं। डिब्बाबंद फलों के जूस में 5 फ्रूट फ्लाई। मटर या लोभिया के प्रत्येक डिब्बे में 5 भूरे वीविल लारवा। कॉफी बीन के 10 प्रतिशत में कीड़े डाले जा सकते है।

कनाडियाई खाद्य निरीक्षण एजेंसी का कीड़ों हेतु भोजन की ग्रेडिंग का अपना तरीका है। बंदगोभी में ऊपरी हिस्से पर 10 एफिड होने के बावजूद उसे निरीक्षण के दौरान नं.1 ग्रेडिंग दी जा सकती है, परंतु ऊपरी हिस्से (पत्तियों पर नहीं) पर कीड़ों की मौजूदगी बंदगोभी की ग्रेडिंग को नं.2 पर ला देगी - जो अनुमेय तो है परंतु उसे सस्ती दरों पर बेचा जाएगा।
जैन समुदाय वर्षों से टपीओका (साबूदाना) को प्रतिबंधित किए जाने की मांग कर रहे है क्योंकि उसमें मृत कीड़े होते है।

3. रेनेट एन्जाइमों का एक समूह है जो बछड़ों में उनकी मां के दूध को पचाने के लिए पाया जाता है। यह वाणिज्यिक चीज़ को बनाने में एक महत्वपूर्ण भाग है। चीज़ को बनाने के लिए रेनेट को बछड़े के पेट को काट कर निकाला जाता है, इसे छांछ तथा वाइन या सिरके में सुखा और फिर छाना जाता है। जब तक लेबल में विशिष्ट रूप यह कहा न गया हो कि रेनेट का उपयोग नहीं किया गया है, आप इसके लिए सुनिश्चित नहीं हो सकते कि आपकी ब्रांडेड चीज़ में बछड़े के एन्जाइम नहीं है।

4. एक आम योज्य कैस्टोरियम को बीवर के गुदा के ग्लैण्डों से बनाया जाता है। कैस्टोरियम गुदा से निकलने वाला स्राव है जिसका उपयोग बीवर द्वारा अपने क्षेत्रों को चिन्हित करने के लिए किया जाता है। इसकी गंध वनीला जैसी होती है। कैस्टोरियम (सीएएस सं. 8023-83-4; फेमा सं.2261) एक ऐसी वस्तु है जिसका उपयोग बेक की गई वस्तुओं में किया जाता है, विशेष रूप से वनीला के स्वाद हेतु। बीवर को मार कर उसकी गुदा की थैली को काट कर एल्कोहॉल में सुखाया तथा गलाया जाता है। इसका उपयोग इत्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है और उसे कम से कम 80 वर्षों से एक फ्लेवर अवयव के रूप में भोजन में डाला जा रहा है और इसे लेबल में ''प्राकृतिक फ्लेवर'' के रूप में दर्शाया जाता है। इसके कच्चे रूप को ''बर्च टार अथवा रशियन लैदर'' कहा जाता है।
स्वाद अवयवों संबंधी फरनेली की हैंडबुक में कैस्टोरियम अवयव के व्यक्तिगत वार्षिक उपभोग को .000081 एमजी प्रति किलोग्राम प्रति दिन दर्शाया गया है और इसका उपयोग फ्रोजन डेयरी, जिलाटिन, पुडिंग तथा गैर-एल्कॉहलिक पेयों में किया जाता है। कैस्टोरियम अवयव का उपयोग रसभरी या स्ट्रॉबेरी स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।

5. सभी वाणिज्यिक बिस्कुट और ब्रेड में एल. सिस्टीन नामक एमिनो एसिड होता है जिसे मानव के बाल और बतख़ के पंखों को उबाल तथा छान कर बनाया जाता है। श्रद्धालुओं के सिर से काटे तथा तिरूपति के मंदिर के ट्रस्ट द्वारा बेचे गए सारे बाल एल. सिस्टीन विनिर्माताओं को जाते हैं।

6. कारमाइन और कोचीनील लाल पिगमेंट होते हैं जिनका उपयोग लाल/गुलाबी रंग वाले सौदर्य प्रसाधनों, भोजन या पेय में किया जाता है। कोचीनील कीड़े नामक 70,000 स्केल वाले कीड़ों, जो कैक्टस से रस सोखते है, को मारा, सुखाया तथा कुचला जाता है और इनका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, वाइन, कैम्पारी, शैम्पू, सॉस, मिठाइयों और भोजन के रंगों में किया जाता है और इन भोजनों में सॉसेज तथा केकड़े से गुलाबी पेस्ट्री, दही तथा जूस शामिल है। हाल ही में स्टारबक्स ने अपने पेयों में रंग के उपयोग को स्वीकार किया था। यह पता लगाने के लिए कि क्या किसी उत्पाद में कोचीनील कीड़ा है, लेबल में इनमें से किसी भी अवयव को ढूंढे: कोचीनील अवयव, कोचीनील, कारमाइन, कारमाइनिक एसिड, ई 120 अथवा प्राकृतिक लाल नं. 4.10। मछली के ब्लैडरों का उपयोग वाइन, बीयर तथा भोजन को साफ करने के लिए किया जाता है। हर रोज लाखों मछलियों की हत्या उनके ब्लैडर के लिए की जाती है और इन्हें आइसिंग्लास कहते हंै।

लेखिका केन्द्रीय मंत्री व पशु कल्याण आंदोलन से संबद्ध हैं।

Updated : 12 May 2016 12:00 AM GMT
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