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'सीता' कानून जिसके लिए है, वही बनी रोड़ा

'सीता' कानून जिसके लिए है, वही बनी रोड़ा

कानूनी उलझन के फेर में पडऩे से बचती है पुलिस

फूलचंद मीणा/ग्वालियर। शहर के लोगों की जुबान पर जब चाबड़ी बाजार का नाम आता था, तो वह अनायास ही सहम जाते थे, क्योंकि इसकी तंग गलियां बदनामी के कारोबार वैश्यावृत्ति के लिए प्रसिद्ध थीं, लेकिन आज पाश कॉलोनियों से लेकर होटलों तक में यह गोरखधंधा फलफूल रहा है। किसी को कोई शर्म महसूस नहीं होती है। वैश्यावृत्ति को रोकने के लिए कानूनी पचड़े ज्यादा होने के कारण पुलिस कार्रवाई करने से हमेशा बचती रहती है। जिनकी सुरक्षा के लिए यह कानून बना है, वही उसमें सबसे बड़ा रोड़ा बन गई हैं।

शहर की पाश कॉलोनियों में चोरी छिपे आज देह व्यापार का धंधा खूब फलफूल रहा है। किराए का मकान लेकर उसमें महिलाओं से देह व्यापार कराया जा रहा है। ऋषियों और शांत फिजा के लिए पहचान रखने वाली इस भूमि पर आज वैश्यावृत्ति जैसे धंधे बेरोकटोक चल रहे हैं। शहर के कई ऐसे पॉइंट हैं, जहां पर युवतियां इस गोरखधंधे को आसानी से संचालित कर रही हैं। पुलिस प्रशासन की पिछले पांच साल की गतिविधियों की बात करें तो वैश्यावृत्ति के अड्डों पर छापा ही नहीं मारा गया है। हालांकि जब कोई पीडि़त व्यक्ति शिकायत करता है तो पुलिस कभी-कभी ऐसे अड्डों पर छापामार कार्रवाई भी करती है, लेकिन जेब गर्म हो जाने पर वह ले देकर मामले को दबा देती है। पुलिस के पास कार्रवाई करने से बचने का सबसे अच्छा फार्मूला है कि जिस महिला को पकड़ा था, वो ही अब रिपोर्ट नहीं कराना चाहती है। ऐसे में पुलिस किसके खिलाफ कार्रवाई करे।

वैश्यावृत्ति को रोकने के लिए एक विशेष कानून सीता एक्ट बना है। जिस्म-फरोशी के अड्डों पर पुलिस को लगातार कार्रवाई करना चाहिए, लेकिन शहर में आज तक सीता कानून का पालन तो दूर, उसके लिए नियुक्त अधिकारी ने सुध तक नहीं ली। विनय नगर, सिटी सेन्टर, मुरार के पाश इलाके, शंकरपुर, एबी रोड आदि ऐसे स्थान हैं, जहां वैश्यावृत्ति करने वाले लोग मौजूद हैं और महिलाओं को बाहर से लाकर देह व्यापार का काम करा रहे हैं। शिवुपरी, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि स्थानों से महिलाओं को औने-पौने दामों में यहां लाया जाता है और फिर फूलबाग पर खड़े होने वाले दलाल ग्राहकों को तलाशने के बाद देह व्यापार के अड्डे पर ले जाते हैं। पुलिस को कई बार इसकी सूचना मिली है, लेकिन मामला रिपोर्ट पर आकर अटक जाता है।
इन्द्रमणि नगर में पकड़े थे लड़का-लड़की
घटना पुरानी है। गोले का मंदिर थाना क्षेत्र के इन्द्रमणि नगर में किराए के मकान में रहने वाली युवती की हरकतें संदिग्ध होने पर पड़ोसियों ने पुलिस को फोन लगाकर सूचना दे दी। महिला पुलिस बल के अलावा महराजपुरा और गोले का मंदिर थाने के स्टाफ ने उक्त घर में दबिश दी तो नाबालिग युवक-युवती आपत्ति जनक अवस्था में मिले। पुलिस ने युवक-युवती और मकान मालिक को थाने लाकर पूछताछ की। बाद में किसी खाकीधारी का ही फोन आने पर सौदा हजारों रुपए में तय होने के बाद सबको इज्जत के साथ थाने से विदाकर दिया गया। यह एक महज उदाहरण है। ऐसे काम शहर की अधिकतर कॉलोनियों में चल रहा है।

नियुक्त अधिकारी सीएसपी वीरेन्द्र रघुवंशी से सीधी बात

प्रश्न. आज तक कितने अड्डों पर छापे मारे?
उत्तर. अभी तक मेरे कार्यकाल में कोई छापा बगैरह नहीं मारा गया है।
प्रश्न. सीता कानून के तहत कितने साल से कार्रवाई नही हुई?
उत्तर. मुझे अच्छी तरह से याद नही है। हां छह साल पहले एक मामला पकड़ा था।
प्रश्न. शहर में कहां चल रहे हैं देह व्यापार के अड्डे?
उत्तर. वेसे तो शहर में कई स्थान हैं, जहां पर देह व्यापार चल रहा है, लेकिन पीडि़ता के पलट जाने से पुलिस कार्रवाई करने से बचती है।
प्रश्न. अब पुलिस की आगे की क्या कार्रवाई है?
उत्तर. यदि हमें मुखबिर मिल जाए तो छापे की कार्रवाई अवश्य की जाएगी, लेकिन समस्या यह है कि महिला को पकडऩे के बाद भी वह बयान से पलट जाती है।

क्या है सीता कानून
वैश्यावृत्ति के जहां पर भी अड्डे चल रहे हैं, उस स्थान पर पुलिस विभाग के राजपत्रित स्तर के अधिकारी के निर्देशन में छापामार कार्रवाई की जाती है। पुलिस पहले पैसे लेकर अपने मुखबिर को ग्राहक बनाकर भेजती है। जब रंगे हाथ मामला पकड़ा जाता है, तो फिर पुलिस सीता कानून के तहत कार्रवाई कर वैश्यावृत्ति की धाराओं में मामला दर्ज करती है।

दो दशक में कार्रवाई शून्य
पुलिस के खाते में सीता कानून के तहत कार्रवाई हुई ही नहीं है। पिछले दो दशक में पुलिस ने आधा दर्जन मामले भी दर्ज नहीं किए हैं। हालात ऐसे हैं कि जो इस काम के लिए नियुक्त है, उनके पास ही इस कानून की सम्पूर्ण जानकारी नहीं है।

Updated : 11 May 2016 12:00 AM GMT
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