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हत्या कर शवों को फेंकने का सुरक्षित ठिकाना बना शहर

बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में मिले शव की भी नहीं हुई पहचान

फूलचंद मीणा/ग्वालियर। बदमाशों के लिए ग्वालियर शहर हत्या कर शव फेंकने का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। तीन युवकों की हत्या करने के बाद बदमाश शवों को सरेराह सड़क पर फेंककर फरार हो गए और पुलिस अंधेरे में तीर चलाकर मृतकों की पहचान कराने का प्रयास कर रही है। युवकों की हत्या किसने की है। यह शवों की पहचान होने के बाद ही पता चल सकेगा।

बहोड़ापुर थाना क्षेत्र के मेवाती मौहल्ला से जलालपुर वाले मार्ग पर शुक्रवार की देर रात एक युवक का खून से लथपथ शव पड़ा मिला था। युवक के सिर में धारदार हथियार से हमला कर उसकी हत्या को अंजाम दिया गया था। एक दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी पुलिस मृतक की पहचान नहीं कर सकी है। आखिर कौन सा गिरोह है, जो युवकों की हत्या करने के बाद शवों को रात के अंधेरे में फें ककर फरार हो जाता है। पुलिस भले ही इस मामले को गंभीरता से न ले, लेकिन यह अवश्य है कि युवकों को मौत के घाट उतारने से पहले बदमाश सुरक्षित ठिकाने की पहले तलाश करते हैं और उसके बाद शव को फेंकते हैं। पुलिस ने अभी तक ऐसे तीन शव बरामद किए हैं, जो सड़क पर पड़े मिले हैं। युवकों की बेरहमी से हत्या को अंजाम दिया गया है। तीनों ही शवों के मामले में पुलिस की जांच-पड़ताल शून्य है और थक हारकर अब जांच बंद कर दी गई है। इस तरह शहर अब बदमाशों के लिए शव फेंकने का सुरक्षित ठिकाना बन गया है। पुलिस की कार्यप्रणाली पर आज कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं क्योंकि सड़कों पर पहरा देने के बाद भी अपराध का ग्राफ गर्मी की तरह तेजी से बढ़ रहा है।

पुलिस के प्रयास
घटना स्थल पर पेचकस मिलने पर मैकेनिक की दुकान पर जाकर पहचान के प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
मृतक के पेम्पलेट छपवाकर बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन और आसपास के थानों में सूचना दी। कालोनियों और बस्ती में भी पूछताछ कर पहचान के प्रयास किए।

तीस दिन बाद भी शव अज्ञात
सिरौल में मर्सीहोम पहाड़ी के पास युवक की हत्या करने के बाद शव को बदमाश फेंककर लापता हो गए थे। आज 30 दिन बाद भी पुलिस तृतक की पहचान नहीं कर सकी है, जबकि घटना स्थल पर मिले सबूत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि युवक की हत्या करने वाले बदमाश संख्या में तीन से ज्यादा रहे होंगे।

चुनौती
शवों की पहचान करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। तीन लाशों को बटोरने के बाद भी पुलिस गंभीरता से लेने की वजाय सुस्त चाल से पड़ताल कर रही है।

क्या करना चाहिए
सबसे पहले थाने के बीट प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय कर हर व्यक्ति की जानकारी होना अति आवयश्क है, जिससे गुम व्यक्ति को तलाशने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। गुम इंसान की थाने में पहचान बीट प्रभारी के पास होगी तो फिर समस्या का समाधान होना तय है।

तीन महीनें में भी मृतक की पहचान नहीं

30 जनवरी को आंग्रे कॉलोनी में सुबह के समय झाडिय़ों में युवक का शव अधजली हालत में मिला था। युवक की हत्या करने के बाद लाश को झाडिय़ों के पीछे फेंका गया था। पुलिस ने शव के पास से एक पेचकस भी बरामद किया था। तीन महीने के बाद भी पुलिस मृतक की पहचान नहीं कर सकी है।

इनका कहना है

''मृतकों की पहचान करना सबसे बड़ी समस्या है। बदमाशों ने पहचान से संबंधित कोई साक्ष्य भी नहीं छोड़े हैं, इसलिए अभी इस मामले में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। मृतकों की पहचान होने के बाद हत्यारों को पकड़ लिया जाएगा।''

कुमार प्रतीक
प्रभारी पुलिस अधीक्षक

Updated : 25 April 2016 12:00 AM GMT
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