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पांच साल में भी शुरू नहीं हो पाई स्कॉडा प्रणाली

भवन और कंट्रोल सेन्टर तैयार, लेकिन उपकेन्द्रों पर काम नहीं हो पाया

ईसुन रेरोले का ठेका निरस्त, अन्य कम्पनी को अब तक नहीं दिया काम

ग्वालियर। उपभोक्ताओं को गुणवत्ता पूर्ण और सतत् विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिले में चल रही अधिकांश विद्युत सुधार योजनाएं या तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं या फिर लापरवाही और कमीशन खोरी के फेर में अधर में लटकी हुई हैं। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षी योजना है 'स्कॉडा कंट्रोल सेन्टर।Ó जो पिछले पांच साल से अब तक अधर में लटकी हुई है। यदि यह योजना पूर्ण हो गई होती तो आज ग्वालियर शहर के उपभोक्ताओं को बार-बार होने वाले फाल्ट और ट्रिपिंग से होने वाली अघोषित बिजली कटौती से हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई होती। हालांकि इस योजना के लिए रोशनीघर में विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा आलीशान स्कॉडा भवन और कंट्रोल सेन्टर बनाकर जरूर तैयार कर दिया गया है, लेकिन विद्युत उपकेन्द्रों और 33 व 11 के.व्ही. लाइनों पर प्रस्तावित कार्य अभी तक नहीं हो पाया है।

जानकारी के अनुसार म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने भोपाल और ग्वालियर में 'स्कॉडा कंट्रोल सेन्टरÓ का काम एक साथ शुरू किया था, लेकिन भोपाल में प्रदेश का पहला 'स्कॉडा कंट्रोल सेन्टर और सब स्टेशन मैनेजमेंट सिस्टमÓ बहुत पहले ही क्रियाशील हो चुका है, जबकि ग्वालियर में स्कॉडा भवन और कंट्रोल सेन्टर तो तैयार हो गया है, लेकिन विद्युत उपकेन्द्रों और 33 व 11 के.व्ही. लाइनों पर होने वाला काम महज बीस फीसदी ही हो पाया है, इसलिए उपभोक्ताओं के लिए यह योजना एक सपना बनकर रह गई है। चूंकि इस योजना का काम कर रही बैंगलौर की कम्पनी 'ईसुन रेरोलेÓ का ठेका निरस्त कर दिया गया है और अभी तक किसी अन्य कम्पनी को ठेका भी नहीं दिया गया है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि ग्वालियर में 'स्कॉडा कंट्रोल सेन्टरÓ कब तक विकसित हो पाएगा।

83.57 करोड़ की है योजना
करीब 83.57 करोड़ की लागत से रोशनीघर में 'स्कॉडा कंट्रोल सेन्टरÓ विकसित किया जाना था। इसके लिए बैंगलौर की कम्पनी 'ईसुन रेरोलेÓ को 18 अपै्रल 2012 को ठेका दिया गया था, जिसे विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों पर प्रस्तावित काम 18 माह में (अक्टूबर 2013 तक) पूरा करना था, लेकिन उक्त कम्पनी दिसम्बर 2015 तक (चार साल में) महज 20 प्रतिशत काम ही कर पाई है। इस पर विद्युत वितरण कम्पनी ने जितना काम हुआ था, उसका करीब 48.42 लाख रुपए का भुगतान कर ईसुन रेरोले का ठेका दिसम्बर 2015 में ही निरस्त करने के साथ ही उसकी सिक्युरिटी राशि जब्त कर ली थी, लेकिन गुजरे चार माह बाद भी इस काम का ठेका किसी अन्य कम्पनी को नहीं दिया जा सका है।

यह होना था काम
स्कॉडा प्रणाली देश के चुनिंदा शहरों में विकसित की जा रही है, जिसमें ग्वालियर भी शामिल है। इस प्रणाली से शहर में मौजूद 47 विद्युत उपकेन्द्र, 33 के.व्ही. की 28 और 11 के.व्ही. की 184 विद्युत लाइनों को जोड़ा जाना है। यह काम होने के बाद शहर के समस्त 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र एवं विद्युत लाइनों को एक केन्द्रीय कक्ष से स्वचालित तकनीक द्वारा नियंत्रित किया जा सकेगा, जिससे विद्युत आपूर्ति अवरुद्ध होने पर उसे अल्पावधि में ही बहाल किया जा सकेगा।

लागू होना था सब स्टेशन मैनेजमेंट सिस्टम
स्काडा प्रणाली के माध्यम से शहर के सभी 33/11 विद्युत उपकेन्द्रों में स्थापित सभी उपकरणों की ऑनलाइन स्थिति प्राप्त करने के लिए 'सब स्टेशन मैनेजमेंट सिस्टमÓ नामक एक सॉफ्टवेयर और उपकेन्द्रों से संबंधित समस्त उपकरणों का डाटा बेस भी तैयार किया जाना है। इस सॉफ्टवेयर की सहायता से उपकेन्द्रों में स्थापित समस्त उपकरणों के कार्यशील होने या खराब होने की जानकारी मैदानी अधिकारियों को ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगी, जिससे त्वरित रखरखाव में आसानी होगी। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता पूर्ण और सतत् बिजली आपूर्ति देने में मदद मिलेगी।

आलीशान भवन फिर भी बैठक होटल में
रोशनीघर स्थित स्कॉडा भवन किसी आलीशान और सर्व सुविधा युक्त होटल से कम नहीं है। इस भवन में बैठक आयोजित करने के लिए पर्याप्त जगह मौजूद है। बावजूद इसके कम्पनी के अधिकारी बैठक का आयोजन होटलों में करके धन का अपव्य करते हैं। उदाहरण के लिए विगत छह अपै्रल को कम्पनी के प्रबंध संचालक विवेक पोरवाल ने शहर वृत्त की समीक्षा बैठक ग्वालियर शहर के एक नामी होटल में और सात अपै्रल को ग्रामीण वृत्त की बैठक दतिया में एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित की थी, जबकि इससे पहले सितम्बर 2015 में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आई.सी.पी. केशरी ने समीक्षा बैठक स्कॉडा भवन में ही ली थी।

यह काम भी अधूरे
फीडर सेपरेशन और राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्य भी अधूरे पड़े हैं। इन दोनों योजनाओं के कार्य कर रही कम्पनियों के ठेके भी एक साल पूर्व ही निरस्त कर दिए गए थे, लेकिन अभी तक अन्य कम्पनियों को ठेके नहीं दिए जा सके हैं। इसी प्रकार आर-पीएडीआरपी योजना के अंतर्गत ग्वालियर शहर में करीब 196.85 करोड़ की लागत से विभिन्न विद्युत सुधार कार्य कराए गए, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के चलते थाटीपुर गांव में इस योजना में प्रस्तावित कोई काम नहीं हो पाया है, जिसके चलते थाटीपुर गांव में सरेआम बिजली चोरी हो रही है।

स्काडा भवन पर ठेकेदारों का कब्जा
रोशनीघर स्थित स्कॉडा भवन का बेसमेंट पार्किंग के लिए है, लेकिन पूरे बेसमेंट पर विद्युत वितरण कम्पनी में कार्य करने वाले ठेकेदारों का कब्जा है। ठेकेदारों ने बेसमेंट में अपनी-अपनी निर्माण सामग्री भर रखी है। इस कारण विद्युत कर्मचारियों को अपने वाहन खुले में धूप में रखना पड़ रहे हैं। बताया गया है कि गुजरे सितम्बर में ग्वालियर प्रवास के दौरान मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंध संचालक विवेक पोरवाल ने स्कॉडा भवन से ठेकेदारों की सामग्री हटाकर बेसमेंट वाहन पार्किंग के लिए खाली कराने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके अभी तक ठेकेदारों की सामग्री वहां से नहीं हटवाई गई है।

इनका कहना है
रोशनीघर में स्कॉडा भवन एवं कंट्रोल सेन्टर बनकर तैयार है, लेकिन उपकेन्द्रों और लाइनों पर प्रस्तावित कार्य ईसुन रेरोले कम्पनी को करना था, जो उसने नहीं किया, इसलिए उसका ठेका निरस्त कर दिया गया है। अब दूसरी कम्पनी को इस काम का ठेका देने के लिए भोपाल मुख्यालय में टेण्डर प्रकिया चल रही है। संभवत: अपै्रल अंत तक किसी अन्य कम्पनी को ठेका दे दिया जाएगा।
आजाद जैन
नोडल अधिकारी
विद्युत वितरण कम्पनी ग्वालियर

Updated : 24 April 2016 12:00 AM GMT
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